स्वतंत्रता दिवस के मौक़े पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लाल क़िले से दिए गए भाषण में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की तारीफ़ ने सियासी तूफ़ान खड़ा कर दिया है। ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने इस पर तीखी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने पीएम के इस बयान को देश की आज़ादी की लड़ाई का अपमान बताया है।
ओवैसी का गुस्सा: “आज़ादी की लड़ाई का अपमान”ओवैसी ने कहा कि 15 अगस्त जैसे ऐतिहासिक दिन पर लाल क़िले से आरएसएस की तारीफ़ करना “हमारी स्वतंत्रता संग्राम की बहुत बड़ी तौहीन” है। उन्होंने दावा किया कि आरएसएस और उसके सहयोगी संगठनों ने कभी भी आज़ादी की जंग में हिस्सा नहीं लिया। बल्कि, वे उन महान नेताओं से नफ़रत करते थे, जिन्होंने देश को अंग्रेज़ों की ग़ुलामी से मुक्ति दिलाई।
“आरएसएस का राष्ट्रवाद सबको साथ नहीं लेता”ओवैसी ने अपने बयान में यह भी कहा कि आरएसएस हमेशा से उस समावेशी राष्ट्रवाद का विरोध करता रहा है, जिसकी नींव पर भारत ने अपनी आज़ादी हासिल की थी। उन्होंने आरोप लगाया कि यह संगठन देश में नफ़रत और बंटवारे की भावना को बढ़ावा देता है। ओवैसी ने कहा, “प्रधानमंत्री उस संगठन की तारीफ़ कर रहे हैं, जो इस मुल्क में नफ़रत फैलाता है।”
“देश के लिए ग़लत है ये बयान”ओवैसी ने अपनी निराशा ज़ाहिर करते हुए कहा कि पीएम का यह बयान बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है। उन्होंने इसे देश के लिए ठीक नहीं बताया और कहा, “मुझे बहुत अफ़सोस है कि प्रधानमंत्री ने ऐसी बात की। यह बिल्कुल ग़लत है और देश के हित में नहीं है।”
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