Next Story
Newszop

हरियाणा में कौन है ये 'चालाक किसान'? सरकार ने किया चिन्हित, अब होगी बड़ी कार्रवाई!

Send Push

हरियाणा में खेती-किसानी के लिए जरूरी यूरिया और डीएपी खाद की खरीद पर अब सरकार की कड़ी निगरानी शुरू हो गई है। हाल ही में, हरियाणा कृषि एवं किसान कल्याण विभाग ने एक बड़ा कदम उठाते हुए उन किसानों की जांच शुरू की है, जो खरीफ सीजन के दौरान 20 या उससे अधिक बोरी यूरिया खरीद रहे हैं। इस पहल का मकसद खाद की कालाबाजारी और दुरुपयोग को रोकना है, ताकि छोटे और जरूरतमंद किसानों को उर्वरक की कमी न झेलनी पड़े। आइए, इस मुहिम के पीछे की वजह और इसके प्रभावों को समझते हैं।

यूरिया की बढ़ती खपत ने बढ़ाई चिंता

हरियाणा में इस साल खरीफ सीजन के दौरान यूरिया की बिक्री में भारी उछाल देखा गया है। आंकड़ों के मुताबिक, 1 अप्रैल से 11 जुलाई 2025 तक यूरिया की बिक्री 6,63,714 मीट्रिक टन तक पहुंच चुकी है, जो पिछले साल की समान अवधि में 5,39,542 मीट्रिक टन थी। इस 23% की वृद्धि ने न केवल खाद के स्टॉक पर दबाव डाला है, बल्कि सरकार को कालाबाजारी और अनाधिकृत उपयोग की आशंका भी सता रही है। विभाग ने पाया कि कुछ लोग जरूरत से ज्यादा यूरिया खरीदकर इसे गलत तरीके से इस्तेमाल कर रहे हैं, जिससे छोटे किसानों को खाद की किल्लत का सामना करना पड़ सकता है।

ग्राउंड लेवल पर सत्यापन की शुरुआत

कालाबाजारी पर लगाम कसने के लिए हरियाणा सरकार ने सख्त कदम उठाए हैं। कृषि विभाग ने सभी जिलों के उपनिदेशकों को निर्देश दिए हैं कि 20 या उससे अधिक बोरी यूरिया खरीदने वाले किसानों का ग्राउंड लेवल पर सत्यापन किया जाए। इसके लिए एकीकृत उर्वरक प्रबंधन प्रणाली (आईएफएमएस) पोर्टल के डेटा का उपयोग किया जा रहा है। किसानों को तीन श्रेणियों में बांटा गया है:

  • श्रेणी 1: 40-50 बोरी यूरिया खरीदने वाले

  • श्रेणी 2: 30-40 बोरी यूरिया खरीदने वाले

  • श्रेणी 3: 20-30 बोरी यूरिया खरीदने वाले

विभाग ने फील्ड स्टाफ को निर्देश दिया है कि वे पहले श्रेणी 1 के किसानों की जांच करें, फिर श्रेणी 2 और 3 पर ध्यान दें। नई खरीद के मामले में, खरीद के तीन दिनों के भीतर सत्यापन पूरा करना अनिवार्य है, और इसकी रिपोर्ट तुरंत मुख्यालय को भेजनी होगी।

उड़न दस्तों और चौकियों का गठन

खाद की कालाबाजारी और अनाधिकृत परिवहन को रोकने के लिए सरकार ने कई स्तरों पर निगरानी बढ़ा दी है। स्थानीय प्रशासन ने कृषि और पुलिस विभाग के अधिकारियों के साथ मिलकर उड़न दस्तों का गठन किया है, जो रिटेल स्टोर्स पर खाद की बिक्री की जांच करेंगे। इसके अलावा, राज्य की सीमाओं पर चौकियां स्थापित की गई हैं, ताकि यूरिया और डीएपी का अवैध परिवहन रोका जा सके। ये कदम सुनिश्चित करेंगे कि खाद केवल वास्तविक किसानों तक पहुंचे और इसका दुरुपयोग न हो।

किसानों के लिए क्या है इसका मतलब?

यह मुहिम छोटे और मझोले किसानों के हित में है, जो अक्सर खाद की कमी के कारण परेशान होते हैं। सरकार का लक्ष्य यह सुनिश्चित करना है कि हर जरूरतमंद किसान को समय पर और उचित मात्रा में उर्वरक मिले। हालांकि, बड़े पैमाने पर खाद खरीदने वाले किसानों को अब अतिरिक्त जांच का सामना करना पड़ सकता है। यदि कोई किसान कालाबाजारी या दुरुपयोग में शामिल पाया जाता है, तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।

Loving Newspoint? Download the app now