राकेश पाण्डेय
उत्तर प्रदेश के विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में अब फर्जीवाड़े की खैर नहीं! मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सभी शैक्षणिक संस्थानों में मान्यता और प्रवेश प्रक्रिया की गहन जांच के आदेश दे दिए हैं। हर मंडल में खास जांच टीमें बनेंगी, जो जमीनी स्तर पर जाकर हर जिले के कॉलेजों की पड़ताल करेंगी। इन टीमों को 15 दिन के अंदर अपनी रिपोर्ट शासन को सौंपनी होगी। अगर कोई गड़बड़ी पकड़ी गई, तो सख्त कार्रवाई तय है!
सीएम योगी का बड़ा फैसलाहाल ही में बाराबंकी के श्री रामस्वरूप विश्वविद्यालय में फर्जी डिग्री को लेकर छात्रों ने जमकर हंगामा किया। इस दौरान पुलिस ने प्रदर्शनकारी छात्रों पर लाठीचार्ज कर दिया, जिसके बाद सीएम योगी ने सख्त रुख अपनाया। उन्होंने पूरे प्रदेश में चल रहे विश्वविद्यालयों, कॉलेजों और अन्य शैक्षणिक संस्थानों के पाठ्यक्रमों की मान्यता और दाखिला प्रक्रिया की जांच का आदेश दिया। योगी ने साफ कहा कि छात्रों के भविष्य के साथ खिलवाड़ बर्दाश्त नहीं होगा।
जांच टीमें करेंगी गहन पड़तालसीएम के आदेश के बाद हर मंडलायुक्त अपने क्षेत्र के जिलों में विशेष जांच टीमें गठित करेंगे। इन टीमों में एक वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी, एक पुलिस अधिकारी और एक शिक्षा विभाग का अधिकारी शामिल होगा। यह टीमें हर संस्थान में जाकर यह जांचेंगी कि वहां चल रहे कोर्स और दाखिले की प्रक्रिया पूरी तरह वैध है या नहीं। किसी भी तरह की गड़बड़ी पाए जाने पर संस्थानों को कड़ा सबक सिखाया जाएगा।
मान्यता-पत्र दिखाना होगा जरूरीजांच के दौरान हर कॉलेज और विश्वविद्यालय को शपथ पत्र देना होगा, जिसमें यह साफ करना होगा कि वे केवल वही कोर्स चला रहे हैं, जिन्हें यूजीसी, विश्वविद्यालय या किसी नियामक बोर्ड से मान्यता मिली है। साथ ही, सभी कोर्स की सूची और उनके मान्यता-पत्र जमा करना अनिवार्य होगा। अगर कोई संस्थान बिना मान्यता के कोर्स चलाता पकड़ा गया या अवैध दाखिले किए, तो उसकी खैर नहीं।
गड़बड़ी पकड़ी तो होगी सख्त कार्रवाईअगर जांच में किसी संस्थान में फर्जी दाखिले या बिना मान्यता के कोर्स चलाने की बात सामने आई, तो उस पर कड़ी कार्रवाई होगी। इतना ही नहीं, ऐसे संस्थानों को छात्रों की पूरी फीस ब्याज सहित लौटानी पड़ेगी। सरकार ने साफ कर दिया है कि शिक्षा की गुणवत्ता और छात्रों के भविष्य से कोई समझौता नहीं किया जाएगा।
15 दिन में चाहिए पूरी रिपोर्टजांच टीमें 15 दिन के अंदर अपनी रिपोर्ट शासन को सौंपेंगी। सीएम योगी ने इसे सिर्फ औपचारिकता नहीं, बल्कि छात्रों के भविष्य से जुड़ा गंभीर मसला बताया है। मंडलायुक्तों को इस पूरी प्रक्रिया पर नजर रखने और किसी भी तरह की लापरवाही न बरतने के सख्त निर्देश दिए गए हैं। अब देखना यह है कि इस जांच से कितने संस्थानों की पोल खुलती है और कितनों को सुधार का मौका मिलता है।
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