HDFC Bank ने त्योहारी सीजन से पहले अपने करोड़ों ग्राहकों को खुशखबरी दी है। देश का सबसे बड़ा निजी बैंक अपने ग्राहकों के लिए लोन की ब्याज दरों में कटौती लेकर आया है। अब चाहे घर खरीदने का सपना हो या नई कार लेने की चाहत, HDFC Bank ने लोन को और सस्ता कर दिया है। यह खबर उन लोगों के लिए राहत की सांस लाएगी, जो दिवाली की खरीदारी या जश्न के लिए लोन लेने की सोच रहे हैं।
इस कदम से न सिर्फ नए ग्राहकों को फायदा होगा, बल्कि पुराने ग्राहकों की EMI का बोझ भी कम होगा। बैंक ने MCLR (Marginal Cost of Funds Based Lending Rate) में कटौती की है, जिसका सीधा असर होम लोन, कार लोन और पर्सनल लोन पर पड़ेगा। आइए जानते हैं कि यह कटौती क्या है और इसका आपकी जेब पर क्या असर होगा।
कितनी हुई ब्याज दरों में कटौती?HDFC Bank ने अपनी MCLR में 0.15% तक की कमी की है। यह कटौती अलग-अलग अवधि के लोन्स पर लागू होगी। आसान शब्दों में, MCLR वह न्यूनतम ब्याज दर है, जिसके नीचे बैंक लोन नहीं दे सकता। जब इस दर में कमी होती है, तो फ्लोटिंग रेट वाले लोन सस्ते हो जाते हैं।
7 अक्टूबर, 2025 से लागू नई दरें इस प्रकार हैं:
- ओवरनाइट MCLR: 8.55% से घटकर 8.45%।
- एक महीने का MCLR: 8.55% से 8.40%, यानी 0.15% की सबसे बड़ी कटौती।
- तीन महीने का MCLR: 8.60% से 8.45%।
- छह महीने का MCLR: 8.65% से 8.55%।
- एक साल का MCLR: 8.65% से 8.55%, जो ज्यादातर कंज्यूमर लोन्स से जुड़ा है।
- दो साल और तीन साल का MCLR: क्रमशः 8.70% से 8.60% और 8.75% से 8.65%।
यह कटौती खासकर उन लोगों के लिए फायदेमंद है, जो त्योहारी सीजन में पर्सनल लोन लेकर अतिरिक्त खर्चों को पूरा करना चाहते हैं।
आपकी EMI पर क्या होगा असर?MCLR में कटौती का सबसे बड़ा फायदा यह है कि फ्लोटिंग रेट वाले लोन की EMI कम हो जाएगी। जब आपका लोन रीसेट होगा, तो नई और कम ब्याज दर लागू होगी। उदाहरण के लिए, अगर आपका होम लोन एक साल के MCLR से जुड़ा है, तो अगली रीसेट डेट पर ब्याज दर 0.10% कम होगी, जिससे आपकी मासिक किस्त में कमी आएगी।
भले ही यह कटौती छोटी लगे, लेकिन लंबी अवधि के लोन जैसे होम लोन में यह बड़ी बचत करा सकती है। साल भर में यह छोटी-सी कमी हजारों रुपये की बचत में बदल सकती है। कार लोन या पर्सनल लोन लेने वालों को भी तुरंत राहत मिलेगी, क्योंकि उनकी EMI में कमी आएगी।
MCLR क्या है और क्यों है यह जरूरी?MCLR का मतलब है मार्जिनल कॉस्ट ऑफ फंड्स बेस्ड लेंडिंग रेट। यह वह दर है, जिसके आधार पर बैंक लोन की ब्याज दर तय करता है। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने इसे 2016 में शुरू किया था ताकि लोन की प्रक्रिया को और पारदर्शी बनाया जा सके।
MCLR कई चीजों पर निर्भर करता है, जैसे:
- बैंक की जमा राशि पर दी जाने वाली ब्याज दर।
- RBI का रेपो रेट।
- कैश रिजर्व रेशियो (CRR) की लागत।
- बैंक के अपने परिचालन खर्चे।
जब RBI अपने रेपो रेट में बदलाव करता है, तो बैंकों को भी MCLR में बदलाव करना पड़ता है। इससे होम लोन, कार लोन, और पर्सनल लोन जैसे लोन ग्राहकों के लिए और सस्ते हो जाते हैं।
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