कोलकाता, 11 अक्टूबर (Udaipur Kiran News) . West Bengal की Chief Minister ममता बनर्जी द्वारा राज्य के मुख्य निर्वाचन अधिकारी (सीईओ) मनोज अग्रवाल को लेकर दिए गए विवादित बयान के बाद अब यह मामला और गहराता जा रहा है. Chief Minister ने आरोप लगाया था कि सीईओ “भ्रष्टाचार में लिप्त” हैं और “अति सक्रियता” दिखा रहे हैं. इस बयान के समय राज्य के मुख्य सचिव मनोज पंत भी बैठक में मौजूद थे, जिसे लेकर निर्वाचन आयोग ने असंतोष जताया है.
आयोग का मानना है कि Chief Minister के इस तरह के बयान के दौरान मुख्य सचिव की बैठक में मौजूदगी अनुचित थी और उन्हें तत्काल उस बैठक से बाहर चले जाना चाहिए था. चुनाव आयोग से जुड़े एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार, आयोग ने इस पर गंभीर आपत्ति जताई है और इसे सेवा शिष्टाचार के विरुद्ध बताया है.
इस पूरे घटनाक्रम पर राज्य के नेता प्रतिपक्ष शुभेंदु अधिकारी ने शुक्रवार को मुख्य निर्वाचन अधिकारी के कार्यालय में एक औपचारिक शिकायत दर्ज कराई. उन्होंने अपने पत्र में Chief Minister के बयान को “लोकतंत्र के लिए खतरनाक” बताते हुए कहा कि Chief Minister सीधे तौर पर आयोग को धमकी दे रही हैं.
शुभेंदु अधिकारी ने आरोप लगाया कि राज्य के मुख्य सचिव की मौजूदगी में Chief Minister ने सीईओ को निशाना बनाया, जो पूरी तरह से अनुचित है.
शुभेंदु ने आगे कहा कि अगर Chief Minister अपने आरोपों को साबित नहीं कर पातीं, तो वे दीपावली के बाद सीईओ कार्यालय के बाहर धरना देंगे. उन्होंने यह भी सवाल उठाया कि आयोग के आदेश के बावजूद सभी आरोपित अधिकारियों के खिलाफ अब तक कार्रवाई क्यों नहीं हुई और केवल दो अधिकारियों को ही निलंबित क्यों किया गया.
सीईओ कार्यालय के एक अधिकारी ने बताया कि इस स्तर के अधिकारी के खिलाफ बिना प्रमाण सार्वजनिक रूप से भ्रष्टाचार का आरोप लगाना उचित नहीं है. लोकपाल कानून के तहत किसी सरकारी अधिकारी पर भ्रष्टाचार का आरोप तभी लगाया जा सकता है जब उसके समर्थन में लिखित साक्ष्य मौजूद हों. यदि आरोप झूठा पाया गया तो आरोप लगाने वाले को जेल और जुर्माने का सामना करना पड़ सकता है. अधिकारी के मुताबिक, मुख्य सचिव को इस प्रावधान की जानकारी होनी चाहिए थी और ऐसे में उन्हें बैठक छोड़ देनी चाहिए थी.
इस बीच, शुभेंदु अधिकारी द्वारा सीईओ को दी गई शिकायत की प्रति चुनाव आयोग को भेज दी गई है. सीईओ कार्यालय ने स्पष्ट किया कि नियमों के तहत जो भी शिकायत प्राप्त होती है, उसे आयोग के दिल्ली कार्यालय को अग्रेषित किया जाता है, और इसी प्रक्रिया के तहत शुभेंदु अधिकारी की चिट्ठी भी भेजी गई है.
उक्त अधिकारी ने नाम उजागर नहीं करने की शर्त पर बताया कि मुख्य सचिव से निश्चित तौर पर इस मामले में जवाब तलब किया जाएगा और आवश्यकता पड़ने पर कार्रवाई भी होगी.
(Udaipur Kiran) / ओम पराशर
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