जबलपुर, 31 अक्टूबर (Udaipur Kiran) . राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की अखिल Indian कार्यकारी मंडल की वार्षिक बैठक के दूसरे दिन शुक्रवार को सिख परम्परा के नवम गुरु गुरुतेगबहादुर की शहादत को लेकर संघ के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले ने उनके सर्वस्व जीवन के के ऊपर प्रकाश डाला. सरकार्यवाह ने बताया कि इस वर्ष सिख परम्परा के नवम गुरु गुरुतेगबहादुर जी की शहादत के 350 वें प्रेरणादायी दिवस पर विभिन्न धार्मिक-सामाजिक संस्थाओं सहित भारत के सम्पूर्ण समाज द्वारा श्रद्धा एवं सम्मान के साथ अनेकानेक कार्यक्रमों का आयोजन हो रहा है. संघर्ष के उस कालखंड में भारत का अधिकांश भू-भाग विदेशी शासक औरंगजेब के क्रूर अत्याचारों से त्रस्त था. सम्पूर्ण भारतवर्ष में अनादिकाल से चली आ रही धर्माधिष्ठित संस्कृति एवं आस्थाओं को नष्ट करने हेतु बलपूर्वक मतांतरण किया जा रहा था.
उसी कालखंड में कश्मीर घाटी से समाज के प्रमुख जन एकत्र होकर पं.कृपाराम दत्त जी के नेतृत्व में गुरुतेगबहादुर जी के पास मार्गदर्शन हेतु आए. गुरुजी ने परिस्थिति की भीषणता को समझते हुए समाज की चेतना एवं संकल्प शक्ति को जगाने हेतु निज के देहोत्सर्ग का निश्चय किया और औरंगजेब की क्रूर सत्ता को चुनौती दी. धर्मांध कट्टरपंथी शासन ने उन्हें गिरफ्तार कर मुसलमान बनो या मृत्युदंड स्वीकार करने को कहा. गुरु तेगबहादुरजी ने अत्याचारी शासन के सामने सिर झुकाने के स्थान पर आत्मोत्सर्ग का मार्ग स्वीकार किया. गुरुतेगबहादुर जी के संकल्प और आत्मबल को तोड़ने की कुचेष्टा में मुगल सल्तनत ने उनके शिष्यों, भाई दयाला (देग में गरम तेल में उबालकर),भाई सतीदास (रुई-तेल में लपेटकर जीवित जलाकर) तथा भाई मतिदास (आरे से चीर कर) की नृशंसतापूर्वक हत्या की.
तदुपरांत तेगबहादुरजी मार्गशीर्ष शुक्ल 5,संवत् 1732 (सन् 1675) को दिल्ली के चांदनी चौक में धर्म की रक्षा के लिए दिव्य ज्योति में लीन हो गए. उनकी शहादत ने समाज में धर्म की रक्षा के लिए सर्वस्वार्पण एवं संघर्ष का वातावरण खड़ा कर दिया, जिसने मुगल सत्ता की नींव हिला दी. गुरु तेगबहादुर जी का जीवन समाज में धार्मिक आस्था के दृढ़ीकरण हेतु, रूढ़ि-कुरीतियों से समाज को मुक्त कर समाज कल्याण के लिए समर्पित था. उन्होंने श्रेष्ठ जीवन के लिए हर्ष-शोक,स्तुति-निंदा, मान-अपमान, लोभ-मोह, काम-क्रोध से मुक्त जीवन जीने का उपदेश दिया. मुगलों के अत्याचारों से आतंकित समाज में उनके संदेश भै कहु को देत नाहि, न भय मानत आनि (ना किसी को डराना और न किसी से भय मानना) ने निर्भयता और धर्म रक्षा का भाव जागृत किया.
सरकार्यवाह ने कहा कि Indian परंपरा के इस दैदीप्यमान नक्षत्र गुरुतेगबहादुर जी की शिक्षाएं और उनके आत्मोत्सर्ग का महत्व जन-जन तक पहुँचाना ही उनके प्रति सच्ची श्रद्धांजलि होगी. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ सभी स्वयंसेवकों सहित सम्पूर्ण समाज से आवाह्न करता है कि उनके जीवन के आदर्शों और मार्गदर्शन का स्मरण करते हुए अपने-जीवन का निर्माण करें एवं इस वर्ष आयोजित होने वाले सभी कार्यक्रमों में श्रद्धापूर्वक भागीदारी करें.
—————
(Udaipur Kiran)
You may also like

बिहार चुनाव के बीच शिवहर में पुलिस का बड़ा एक्शन, अब तक 213 लोग गिरफ्तार, 88 लाख से अधिक कैश जब्त!

ना कोई भाषण ना ही शोर... आज तक नहीं खेला कोई इंटरनेशनल मैच, कौन हैं टीम इंडिया को फाइनल में पहुंचाने वाले कोच अमोल मजूमदार?

हेमा मालिनी ने शाहरुख खान को मुंह पर ही कह दिया था बदसूरत, लुंगी पहने धर्मेंद्र वहीं बैठकर पढ़ रहे थे अखबार

DevUthani Ekadashi 2025:जाने एकादशी पर पूजा का शुभ मुहूर्त और विधि, आपकी थाली में पूजा के लिए होनी चाहिए ये सामग्री

झूमरˈ की तरह लटकते पेट को कीजिये मैदान की तरह सपाट, वो भी घर पर इस चमत्कारी उपाय से, जरूर पढ़े﹒





