झाबुआ, 2 अक्टूबर (Udaipur Kiran News) . विजयादशमी के विजय पर्व पर गुरुवार को Madhya Pradesh के जनजातीय बाहुल्य झाबुआ जिले के थान्दला में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ द्वारा प्रभावी रूप से विशाल पथ संचलन निकाला गया, साथ ही शताब्दी वर्ष के निमित्त संघ नींव में विसर्जित पुष्प जो कि जिले में संघ की स्थापना में अग्रगण्य रहे, ऐसे संघ गाथा में उल्लेखित महापुरुषों के योगदान का सम्मान पूर्वक स्मरण किया गया. इस मौके पर संघ कार्य को दर्शाते हुए प्रदर्शनी भी अवलोकनार्थ लगाई गई.
विजयादशमी पर्व पर सर्व प्रथम बौद्धिक हुआ, जिसमें प्रांत धर्मजागरण संयोजक, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ द्वारा स्वयं सेवकों को संबोधित किया गया. तत्पश्चात नगर में पथ संचलन निकाला गया. यह पथ संचलन नवीन मंडी प्रांगण से निकला और नगर के विभिन्न मार्गों से होता हुआ पुनः मण्डी प्रांगण पहुंचा. नगर में विभिन्न स्थानों पर पथ संचलन का पुष्प वर्षा कर स्वागत, अभिनन्दन किया गया.
इस अवसर पर बोद्धिक में स्वयं सेवको को संबोधित करते हुए प्रांत धर्मजागरण संयोजक ललित कोठारी ने कहा कि हमारा एक मात्र उद्देश्य भारत को परम वैभव पर पहुंचाना है. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की सौ वर्षों की यात्रा संघर्ष पूर्ण रही, जो कि 1925 में कुछ बाल स्वयं सेवको से प्रारंभ हुई थी, और उपहास, तिरस्कार प्रतिबंधों को सहती हुई लगातार आगे बढ़ती रही, इस यात्रा के मार्ग में अनेक विघ्न आए लेकिन संघ कभी नहीं डिगा, क्योंकि हमारे कार्य का आधार शुद्ध सात्विक परस्पर प्रेम रहा है. डॉक्टर साहब व गुरुजी को ही सभी ने स्वीकार किया. संघ की कार्य शैली व्यक्ति केंद्रित नहीं रही, बल्कि राष्ट्र केंद्रित रही.
कोठारी ने कहा हमारा सौभाग्य है कि संघ की स्थापना के बाद झाबुआ जिले में संघ की पहली शाखा थांदला में लगी व पहले प्रचारक थांदला से निकले क्योंकि संघ की कार्य पद्धति शाखा केंद्रित रही जो एक साधना स्थली है. शाखा से ही व्यक्तित्व विकास प्रारंभ होता है जहां से व्यक्ति में मैं और मेरा से ऊपर उठकर हमारा और हम सबका भाव विकसित होता है, और देश के लिए कार्य करने प्रेरणा मिलती है. देश के इतिहास में ऐसे अनेकों उदाहरण है, जिसमें संघ के स्वयंसेवक संकट की घड़ी में समाज के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़े रहे.
शताब्दी वर्ष के बारे में जानकारी देते हुए कोठारी ने कहा संघ शताब्दी वर्ष के निमित प्रत्येक स्वयंसेवक को पंच परिवर्तन को अपने और परिवार के व्यवहार और आचरण में उतारना होगा. सामाजिक समरसता, कुटुंब प्रबंधन, सामूहिक परिवार परिकल्पना के साथ अपने स्व को स्थापित करना , पर्यावरण संरक्षण के लिए संकल्पित होना, साथ ही नागरिक शिष्टाचार निर्वहन करना हमारा कर्तव्य है, और इसके समुचित निर्वहन में ही शताब्दी वर्ष की सार्थकता निहित है. इस अवसर पर मंच पर खंड संघ चालक जितेंद्र राठौर, एवं डॉ मनीष दुबे उपस्थित थे.
शताब्दी वर्ष के निमित संघ नींव में विसर्जित पुष्प जो कि जिले में संघ की स्थापना में अग्रगण्य रहे, ऐसे संघ गाथा में उल्लेखित स्व. हीरालाल शास्त्री, बलदेव प्रसाद भट्ट, मांगीलाल टेलर, आदि के योगदान का सम्मान पूर्वक स्मरण किया गया. इस मौके पर रुस्तम चरपोटा द्वारा संघ कार्य की प्रदर्शनी भी अवलोकनार्थ लगाई गई थी.
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(Udaipur Kiran) / डॉ. उमेश चंद्र शर्मा
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