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हिमाचल प्रदेश में 22 जुलाई तक भारी बारिश का येलो-ऑरेंज अलर्ट, एक नेशनल हाईवे समेत 257 सड़कें ठप

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शिमला, 16 जुलाई (Udaipur Kiran) । हिमाचल प्रदेश में मानसून की वर्षा का दौर लगातार जारी है और कई स्थानों पर भूस्खलन से जनजीवन प्रभावित हुआ है। मौसम विभाग ने प्रदेश के कई हिस्सों में 22 जुलाई तक भारी वर्षा की चेतावनी दी है। विभाग के पूर्वानुमान के अनुसार 16 से 20 जुलाई तक भारी वर्षा का येलो अलर्ट और 21 व 22 जुलाई के लिए भारी से बहुत भारी वर्षा का ऑरेंज अलर्ट जारी किया गया है। राजधानी शिमला सहित कई जिलों में बुधवार सुबह से रुक-रुक कर बारिश हो रही है, जबकि सिरमौर में मंगलवार रात भारी बारिश हुई।

बारिश और भूस्खलन के चलते प्रदेश में जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया है। राज्य आपातकालीन परिचालन केंद्र की रिपोर्ट के मुताबिक बुधवार सुबह तक हिमाचल में एक नेशनल हाईवे समेत कुल 257 सड़कें बंद पड़ी हैं। अकेले मंडी जिले में सबसे ज्यादा 140 सड़कें प्रभावित हुई हैं, वहीं सिरमौर में एक नेशनल हाईवे (एनएच-707) समेत 55 सड़कें, कुल्लू में 35, कांगड़ा में 12 और सोलन जिले में 10 सड़कें बंद हैं।

भारी बारिश के कारण मंडी जिले में हालात सबसे ज्यादा खराब हैं। यहां 143 बिजली ट्रांसफार्मर और 142 पेयजल योजनाएं ठप हो चुकी हैं। राज्य में कुल 151 ट्रांसफार्मर बंद पड़े हैं और 171 पेयजल योजनाओं पर भी असर पड़ा है। यहां 30 जून की रात बादल फटने की 12 घटनाओं में भारी तबाही हुई है। कांगड़ा जिला के नूरपुर उपमंडल में 18 और सिरमौर के नौहराधार में 11 पेयजल योजनाएं प्रभावित हुई हैं।

इस बीच शिमला जिला में एनजेएचपीएस नाथपा बांध प्रबंधन ने भी एडवाइजरी जारी कर लोगों को सतलुज नदी के किनारे न जाने की चेतावनी दी है क्योंकि बांध से लगातार अतिरिक्त पानी छोड़ा जा रहा है।

बीते 24 घंटों में सबसे ज्यादा बारिश कुल्लू के कोठी में 44 मिमी रिकॉर्ड की गई। जातोन बैरेज में 40 मिमी, पच्छाद में 33 मिमी, नाहन में 21 मिमी और मनाली में 17 मिमी बारिश हुई है।

बारिश और भूस्खलन से न केवल यातायात पर असर पड़ा है, बल्कि बिजली और पानी की आपूर्ति भी बाधित हुई है। आपातकालीन परिचालन केंद्र के मुताबिक इस मानसून सीजन में अब तक प्रदेश को लगभग 818 करोड़ रुपये की संपत्ति का नुकसान हो चुका है। पिछले 26 दिनों में बारिश से जुड़ी घटनाओं में 106 लोगों की जान चली गई, 35 लोग अब भी लापता हैं और 189 लोग घायल हुए हैं।

मौतों के मामले में मंडी जिला सबसे अधिक प्रभावित है, जहां अब तक 21 लोगों की मौत और 27 लोग लापता हुए हैं। कांगड़ा में 17, कुल्लू में 11, हमीरपुर व चम्बा में 9-9 और बिलासपुर व ऊना जिलों में 8-8 लोगों की मौत हुई है।

अब तक राज्य में 1050 घर आंशिक या पूरी तरह टूट चुके हैं, 244 दुकानें और 850 गौशालाएं तबाह हो गई हैं। अकेले मंडी जिले में 856 घर, 222 दुकानें और 692 गौशालाएं प्रभावित हुई हैं। 30 जून की रात मंडी में बादल फटने की 12 घटनाओं ने खासतौर पर सिराज क्षेत्र में भारी तबाही मचाई थी।

भारी बारिश से कृषि और पशुपालन को भी बड़ा नुकसान हुआ है। अब तक 21,500 पोल्ट्री के पक्षी और 1190 अन्य पशु मारे जा चुके हैं। प्रदेश में मानसून के दौरान बादल फटने की 22, अचानक आई बाढ़ की 31 और भूस्खलन की 18 घटनाएं रिकॉर्ड हुई हैं।

सरकारी आकलन के अनुसार अब तक सबसे ज्यादा नुकसान जल शक्ति विभाग को हुआ है, जिसकी करीब 418 करोड़ रुपये की संपत्ति प्रभावित हुई है। लोक निर्माण विभाग को भी लगभग 367 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है।

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(Udaipur Kiran) / उज्जवल शर्मा

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