इस दिन राम दरबार की प्राण प्रतिष्ठा के मुख्य अतिथि होंगे योगी
मान्यता है कि इसी तिथि को हुई थी श्रीकृष्ण के द्वापर की शुरुआत
लखनऊ, 01 जून . मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के लिए विश्व पर्यावरण दिवस हर वर्ष खास रहा है. वजह इसी दिन उनका जन्मदिन होना और पर्यावरण संरक्षण एवं संवर्धन के प्रति उनकी निजी रुचि तथा उनके किए जा रहे प्रयास हैं. इस बार का उनका जन्मदिन व पर्यावरण दिवस उनके लिए और खास होने वाला है.
भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता हरिशचंद्र श्रीवास्तव ने बताया कि योगी आदित्यनाथ यूपी के मुख्यमंत्री के साथ गोरखपुर स्थित गोरक्षपीठ के पीठाधीश्वर भी हैं. यह वही पीठ है जिसकी तीन पीढ़ियों ने करीब एक सदी तक राम मंदिर आंदोलन में बेहद महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. ये पीढ़ियां हैं योगी के दादागुरु ब्रह्मलीन महंत दिग्विजयनाथ, उनके गुरुदेव ब्रह्मलीन महंत अवैद्यनाथ और पीठ के उत्तराधिकारी एवं पीठाधीश्वर के रूप में वह खुद भी. देश और दुनिया के इतिहास में किसी एक मुद्दे पर एक ही शिद्दत से संघर्ष करने और उसे अंजाम तक पहुंचते हुए देखने वाला ऐसी पीढ़ियां खुद में अपवाद है. यही नहीं आज से करीब आठ साल पहले जब योगी उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने तब भी जब मौका मिला, अयोध्या जाकर उन्होंने लोगों और संत समाज को यह संदेश दिया कि वह अयोध्या के हैं और अयोध्या के लोग उनके. सिर्फ संदेश ही नहीं दिया, अयोध्या की बेहतरी के लिए जो भी संभव हुआ वह दिया. राम मंदिर के पक्ष में सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद तो उन्होंने अयोध्या के कायाकल्प के लिए खजाने का मुंह ही खोल दिया. आज बदली अयोध्या इसका प्रमाण है. बदलाव का यह सिलसिला तब तक जारी रहेगा जब तक उनकी मंशा के अनुसार अपने बदले रूप में अयोध्या का शुमार धार्मिक लिहाज से दुनिया के सबसे खूबसूरत तीर्थस्थान के रूप में नहीं हो जाता.
क्यों खास है इस बार योगी का जन्मदिन
दरअसल इसी दिन अयोध्या स्थित राम मंदिर के राम दरबार सहित पूरक मंदिरों में अन्य देवी-देवताओं की प्राण प्रतिष्ठा होनी है. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि होंगे. अपने जन्मदिन एवं पर्यावरण दिवस के नाते यह दिन उनके लिए यूं ही खास होता है. राम दरबार की स्थापना समारोह में मुख्य अतिथि होने के नाते यह और खास होने वाला है. यही नहीं मुहूर्त इसे और खास बना रहे है. मसलन यह कृष्ण के द्वापर युग की आरंभ तिथि है.
पांच जून को ज्येष्ठ शुक्ल दशमी की तिथि है. यह मोक्षदायिनी, जीवनदायिनी, दुनिया के सबसे पुरानी सभ्यताओं का पालना रही भारतीय परंपरा में सबसे पवित्र एवं पूज्यनीय गंगा नदी के धरा पर अवतरण की भी तिथि है. उनका अवतरण सतयुग में हुआ था. इस तिथि पर गंगा दशहरा का आयोजन होता है. त्रेता में भगवान श्रीराम ने लंका पर चढ़ाई करने के पूरे रामेश्वरम की स्थापना भी इसी तिथि पर की थी. इस तरह इस तिथि का विस्तार सभी युगों तक है.
उल्लेखनीय है कि अपनी परंपरा में शुभ मुहूर्त का शुरू से ही बेहद महत्व रहा है. यहां तक कि जब भगवान श्रीराम ने अवतार लिया था तब भी शुभ मुहूर्त ही था, इस बारे में रामचरित मानस में तुलसी दास ने लिखा है, नौमी तिथि मधुमास पुनीता, सुकल पच्छ अभिजित हरिप्रीता. मध्य दिवस अति सीत न घामा, पावन काल लोक विश्रामा.
राम मंदिर के हर आयोजन में रखा गया शुभ मुहूर्त का ख्याल
मालूम हो कि राम मंदिर निर्माण के हर महत्वपूर्ण कार्यक्रम के लिए शुभ मुहूर्त का चयन किया गया. मसलन पिछले 30 अप्रैल को जब निर्माण के बाद प्रतिमाओं को जयपुर से लाकर संबंधित मंदिरों में रखा गया, तब अक्षय तृतीया का दिन था. माना जाता है कि इस दिन कोई भी शुभ कार्य किया जा सकता है. इसी क्रम में पिछले साल 22 जनवरी को मंदिर के भूतल में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा पौष शुक्ल द्वादशी को हुई थी. इसे भगवान विष्णु के कूर्मावतार की तिथि मानी जाती है.
दादागुरु और गुरुदेव के सपनों और संघर्षों को मूर्त कर रहे योगी आदित्यनाथ
बतौर उत्तराधिकारी महंत अवैद्यनाथ के साथ दो दशक से लंबा समय गुजारने वाले उत्तर प्रदेश के मौजूदा मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर भी इस पूरे परिवेश की छाप पड़ी. बतौर सांसद उन्होंने अपने गुरु के सपने को स्वर्णिम आभा दी. मुख्यमंत्री होने के बावजूद अपनी पद की गरिमा का पूरा ख्याल रखते हुए कभी राम और रामनगरी से दूरी नहीं बनाई. गुरु के सपनों को अपना बना लिया. नतीजा सबके सामने है. उनके मुख्यमंत्री रहते हुए ही राम मंदिर के पक्ष में देश की शीर्ष अदालत का फैसला आया. देश और दुनिया के करोड़ों रामभक्तों, संतों, धर्माचार्यों की मंशा के अनुसार योगी की मौजूदगी में ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जन्मभूमि पर भव्य एवं दिव्य राम मंदिर की नींव रखी. युद्ध स्तर इसका जारी निर्माण अब पूर्णता की ओर है.
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/ बृजनंदन