नई दिल्ली, 30 अप्रैल . समाजवादी पार्टी के कार्यालय के बाहर एक पोस्टर लगा था, जिसमें सपा प्रमुख अखिलेश यादव की तुलना डा. आंबेडकर से की गई थी. इसे भारतीय जनता पार्टी ने निशाना साधते हुए इसे डा. आंबेडकर का अपमान बताया है. बुधवार को केंद्रीय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने प्रेसवार्ता में कहा कि यह तस्वीर आंबेडकर का अपमान है, जिन्हें संविधान निर्माता और खासकर दलितों के बीच एक आदर्श माना जाता है.
उन्होंने कहा कि डा. आंबेडकर को पहला चुनाव 1952 में कांग्रेस ने हरवाया, 1953 में भंडारा का उपचुनाव हराने का काम कांग्रेस ने किया और अब अखिलेश यादव कांग्रेस के साथ हैं . ऐसे में दलित समाज कैसे अखिलेश के साथ हो सकता है. जब लोकसभा में एक बार संयुक्त प्रगतिशील गंठबंधन (यूपीए- दो) के समय पदोन्नति में आरक्षण का बिल आया था तो समाजवादी पार्टी के नगीना से सांसद ने उस बिल को फाड़ दिया था.
मेघवाल ने कहा कि अखिलेश तो परिवारवादी पार्टी के मुखिया हैं, जबकि डा. आम्बेडकर हमेशा परिवारवाद के खिलाफ रहे. कांग्रेस ने बाबा साहब को दो बार हराया और अब अखिलेश यादव उनके साथ हैं. दलित उनका समर्थन कैसे कर सकते हैं? हरियाणा और महाराष्ट्र में इनका भ्रम टूट चुका है. अखिलेश यादव और उनके परिवार के सदस्य ओबीसी आरक्षण के हिमायती रहे हैं. अगर किसी ने ओबीसी आरक्षण का कड़ा विरोध किया था तो वह राजीव गांधी थे, जिन्होंने लोकसभा में दो घंटे से अधिक लंबा भाषण दिया था. अखिलेश उसी कांग्रेस से जुड़े हैं और खुद को बाबा साहब जैसा बताते हैं. यह बाबा साहब का अपमान है.
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/ विजयालक्ष्मी
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