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'जेनिटल फीचर मैपिंग' से खुला राज! पहली बार देश में इस्तेमाल हुई हाईटेक तकनीक, प्रज्वल रेवन्ना की अश्लीलता पर लगा पक्की मुहर

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कर्नाटक के प्रज्वल रेवन्ना सेक्स स्कैंडल की जाँच में, एसआईटी ने एक ऐसी फोरेंसिक तकनीक का इस्तेमाल किया है जिसका इस्तेमाल भारत में पहली बार हुआ है। इस हाई-प्रोफाइल मामले में, पूर्व सांसद प्रज्वल रेवन्ना की पहचान 'जेनिटल फ़ीचर मैपिंग' के ज़रिए अपराधी के रूप में की गई। यह वही तरीका है जिसका इस्तेमाल अब तक सिर्फ़ तुर्की जैसे देशों में ही होता था। लेकिन पहली बार भारतीय जाँचकर्ताओं ने किसी मामले में इसका इस्तेमाल किया और आरोपी की पहचान निर्णायक रूप से साबित कर दी।

एसआईटी सूत्रों के अनुसार, इस स्कैंडल के वायरल वीडियो से हाई-रेज़ोल्यूशन स्क्रीनशॉट लिए गए। इनका मिलान रेवन्ना के मेडिकल टेस्ट के दौरान ली गई तस्वीरों से किया गया। इस प्रक्रिया में विशेषज्ञ त्वचा रोग विशेषज्ञ और मूत्र रोग विशेषज्ञ भी शामिल थे। उन्होंने मेडिकल प्रोटोकॉल के अनुसार गुप्तांग, कमर और हाथ की शारीरिक तुलना की। जिस तरह उंगलियों के निशान किसी व्यक्ति की विशिष्ट पहचान माने जाते हैं, उसी तरह इस तकनीक में शारीरिक संरचना की तुलना करके ठोस निष्कर्ष निकाले गए। यह सबूत अदालत में काफ़ी मज़बूत साबित हुआ।

इन सबूतों के आधार पर, प्रज्वल रेवन्ना को आजीवन कारावास की सज़ा सुनाई गई। पुलिस जाँच का सबसे बड़ा आधार वह वीडियो था जिसे प्रज्वल रेवन्ना ने खुद अपने मोबाइल फोन (सैमसंग गैलेक्सी J4) पर रिकॉर्ड किया था। इन वीडियो में पीड़िता के साथ गन्निकाडा स्थित फार्म हाउस और बेंगलुरु स्थित घर में यौन उत्पीड़न होते साफ़ दिखाई दे रहा था। वीडियो फुटेज में पीड़िता को जबरन उठाकर ले जाते और बिना सहमति के शारीरिक संबंध बनाते हुए दिखाया गया था। घटनास्थल की पहचान पीड़िता ने खुद SIT के सामने की थी।

FSL रिपोर्ट में पुष्टि

फोरेंसिक साइंस लेबोरेटरी (FSL) ने भी पुष्टि की है कि सभी वीडियो असली हैं। इनमें कोई एडिटिंग या छेड़छाड़ नहीं की गई थी। वीडियो में आरोपी का चेहरा और आवाज़ दोनों साफ़ तौर पर पहचाने जा सकते थे। आरोपी की आवाज़ के नमूने एकत्र किए गए और वीडियो के ऑडियो ट्रैक से उनका मिलान किया गया। FSL रिपोर्ट में दोनों आवाज़ें एक जैसी पाई गईं। इस वैज्ञानिक विश्लेषण से यह साबित हुआ कि रिकॉर्ड किए गए कृत्यों में आरोपी खुद भी शामिल था। इसके बाद, फोरेंसिक जाँच में प्रज्वल रेवन्ना की मौजूदगी और पुख्ता हो गई।

डीएनए और फोरेंसिक साक्ष्य

प्रज्वल रेवन्ना के घर में गद्दे से दाग मिले। पीड़िता के कपड़ों और बालों से नमूने एकत्र किए गए। इन दागों और नमूनों के डीएनए का मिलान आरोपी के जैविक नमूनों (वीर्य और उपकला कोशिकाओं) से किया गया। रिपोर्ट में स्पष्ट रूप से बताया गया कि अपराधी ने पीड़िता के साथ चिन्हित स्थानों पर यौन संबंध बनाए थे। अटल बिहारी वाजपेयी शोध संस्थान में अपराधी का मेडिकल परीक्षण कराया गया। इस दौरान, एफएसएल विशेषज्ञों ने प्रज्वल रेवन्ना के गुप्तांगों की उच्च-रिज़ॉल्यूशन तस्वीरें लीं। इसके बाद, उनका मिलान वायरल वीडियो से किया गया।

पीड़िता की मेडिकल जाँच

फोरेंसिक टीम ने पुष्टि की है कि वीडियो और तस्वीरों में दिख रहे गुप्तांग बिल्कुल मेल खाते हैं। इस निर्णायक साक्ष्य ने मामले को और मजबूत किया। पीड़िता की मेडिकल जाँच में यौन उत्पीड़न से संबंधित स्पष्ट चोटें और निशान पाए गए। शरीर पर पुराने घाव, आँसू के निशान, वीर्य के निशान और स्वाब में डीएनए, ये साक्ष्य पीड़िता की गवाही की पुष्टि करते हैं। अदालत ने इन सभी को निर्णायक माना। गनीकडा फार्महाउस के श्रमिक क्वार्टर से 11 वस्तुएँ बरामद की गईं। इनमें कपड़े, बाल और निजी सामान शामिल थे। इन पर आरोपी के जैविक अंश पाए गए।

पीड़िता की लगातार गवाही

इससे पीड़िता के बयान की पुष्टि हुई। पीड़िता ने अदालत में लगातार एक ही बयान दिया, जिसका फोरेंसिक, डिजिटल और मेडिकल साक्ष्यों से पूरा समर्थन हुआ। अदालत ने रिपोर्ट दर्ज करने में देरी को उचित ठहराया, क्योंकि पीड़िता ने राजनीतिक दबाव, धमकियों और बंधक बनाए जाने जैसे कारणों का हवाला दिया। एफएसएल ने यह सुनिश्चित किया कि मोबाइल फोन, कपड़े, स्वाब और आवाज के नमूने जैसे सभी सबूत कानूनी प्रोटोकॉल के अनुसार सुरक्षित रखे जाएँ। अदालत ने बचाव पक्ष की आपत्तियों को सिरे से खारिज कर दिया।

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