नवरात्रि साल में चार बार आती है। यह माघ (जनवरी के आसपास), चैत्र (अप्रैल के आसपास), आषाढ़ (जुलाई के आसपास) और आश्विन (अक्टूबर के आसपास) महीनों में चार बार आती है। इनमें से चैत्र नवरात्रि को हम वासंतिक नवरात्रि और आश्विन नवरात्रि को शारदीय नवरात्रि के नाम से जानते हैं। नवरात्रि यानी नौ रातें, जब हम माँ दुर्गा की पूजा करते हैं। नवरात्रि में आने वाली सकारात्मकता हमारे वातावरण से बुराइयों को दूर करती है। इस दौरान अच्छाई, शांति और खुशी का माहौल बनता है। साथ ही, हमारे मन में उत्साह और उमंग भी बढ़ती है। इस बार शारदीय नवरात्रि का पर्व सोमवार, 22 सितंबर से शुरू होने जा रहा है और माँ दुर्गा के ये पावन दिन 1 अक्टूबर, महानवमी को समाप्त होंगे। शारदीय नवरात्रि 2025 तिथि
इस साल शारदीय नवरात्रि 22 सितंबर, सोमवार से शुरू होने जा रही है। नवरात्रि की अष्टमी 30 सितंबर और महानवमी 1 अक्टूबर को मनाई जाएगी। शारदीय नवरात्रि सबसे बड़े नवरात्रों में से एक मानी जाती है। इसकी शुरुआत पहले दिन कलश स्थापना से होती है और शुभ मुहूर्त में इसकी स्थापना की जाती है। पंचांग के अनुसार, आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि 22 सितंबर को दोपहर 1:23 बजे से शुरू होकर 23 सितंबर को सुबह 2:55 बजे समाप्त होगी। उदयातिथि के अनुसार, इस बार शारदीय नवरात्रि 22 सितंबर को मनाई जाएगी।
शारदीय नवरात्रि घटस्थापना मुहूर्त
ज्योतिषाचार्य के अनुसार, शारदीय नवरात्रि के पहले दिन घटस्थापना का समय सुबह 6:09 बजे से 8:06 बजे तक रहेगा। ऐसे में कलश स्थापना की कुल अवधि 1 घंटा 56 मिनट होगी। वहीं, अगर किसी कारणवश आप प्रातःकाल के मुहूर्त में कलश स्थापना नहीं कर पा रहे हैं, तो आप अभिजीत मुहूर्त में भी कलश स्थापना कर सकते हैं। जिसका मुहूर्त सुबह 11:49 बजे से दोपहर 12:38 बजे तक रहेगा।
माँ दुर्गा इसी वाहन पर सवार होंगी
हर बार नवरात्रि में देवी अलग वाहन पर विराजमान होती हैं और उसी वाहन के अनुसार अगले छह महीनों की स्थिति का अनुमान लगाया जाता है। इस बार माँ दुर्गा हाथी पर विराजमान होंगी। हाथी धन, समृद्धि और ज्ञान का प्रतीक है। हाथी बृहस्पति देव का वाहन है, जो ज्ञान और समृद्धि प्रदान करते हैं। इसलिए इस बार यदि आप माँ की पूजा करेंगे तो आपको धन और ज्ञान दोनों की प्राप्ति होगी। आने वाला यह समय लोगों के लिए सुख-समृद्धि लेकर आने वाला है। देवी का हाथी पर आगमन हमारे लिए अत्यंत शुभ है। इससे जीवन में धैर्य, आनंद और शांति बढ़ेगी।
शारदीय नवरात्रि का महत्व
संसार की समस्त शक्ति नारी या स्त्री रूप में है, इसीलिए नवरात्रि में देवी की पूजा की जाती है। देवी स्वयं शक्ति का स्वरूप हैं, इसीलिए नवरात्रि को शक्ति की नवरात्रि भी कहा जाता है। नवरात्रि के नौ दिनों में माँ दुर्गा के नौ अलग-अलग स्वरूपों की पूजा की जाती है, जिन्हें नवदुर्गा कहा जाता है। हर स्वरूप से हमें अलग-अलग आशीर्वाद और वरदान प्राप्त होते हैं। साथ ही, ग्रहों के कारण होने वाली बाधाएँ भी दूर होती हैं।
साथ ही, नवरात्रि के पहले दिन हम माँ शैलपुत्री की पूजा करते हैं। शैलपुत्री का अर्थ है पर्वत पुत्री, जो हिमालय की पुत्री हैं। इन्हें पार्वती भी कहा जाता है। इनकी पूजा करने से उत्तम स्वास्थ्य और दीर्घायु का आशीर्वाद मिलता है। साथ ही, जीवन में यदि सूर्य से संबंधित कोई समस्या है, तो वह भी दूर हो जाती है।
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