2025 के बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर सरगर्मी बढ़ती जा रही है। चुनाव की तारीख से पहले एनडीए में सियासी भूचाल आ गया है। राष्ट्रीय लोक मोर्चा (RLM) के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा ने हलचल मचा दी है। वह एनडीए में सीट बंटवारे से नाखुश हैं। वह भाजपा नेताओं के समझाने-बुझाने से इनकार कर रहे हैं। अब उन्होंने अमित शाह से सीधे बात करने की शर्त रख दी है। अब सवाल यह है कि उपेंद्र कुशवाहा इतने परेशान क्यों हैं? उनकी इच्छा क्या है? वह अचानक अमित शाह से मिलने पटना से दिल्ली क्यों पहुँचे हैं? कौन सी सीट विवाद का कारण है? चिराग पासवान और उपेंद्र कुशवाहा अब इसी सीट को लेकर आमने-सामने हैं।
दरअसल, उपेंद्र कुशवाहा की मुख्य टक्कर चिराग पासवान की पार्टी से है। महुआ विधानसभा सीट को लेकर राष्ट्रीय लोक मोर्चा और जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के बीच विवाद है। एनडीए के सीट बंटवारे में महुआ सीट चिराग पासवान को दी गई है, लेकिन उपेंद्र कुशवाहा इसे स्वीकार नहीं कर रहे हैं। यही वजह है कि चिराग पासवान और उपेंद्र कुशवाहा दोनों इस सीट पर अपनी दावेदारी ठोक रहे हैं। इससे भाजपा की परेशानी बढ़ गई है। भाजपा दोनों के बीच सुलह कराना चाहती है। इसलिए उपेंद्र कुशवाहा को मनाने की लगातार कोशिशें की जा रही हैं। मंगलवार रात नित्यानंद राय और सम्राट चौधरी ने खुद कुशवाहा से मुलाकात की, लेकिन मुलाकात बेनतीजा रही।
कुशवाहा को मनाने की कोशिशें
उपेंद्र कुशवाहा ने मंगलवार को अपने उम्मीदवार को नामांकन दाखिल करने से रोक दिया। इसके बाद, सम्राट चौधरी और नित्यानंद राय समेत कई भाजपा नेता आधी रात को कुशवाहा के घर पहुँचे। उनके पटना स्थित आवास पर बैठक सुबह 5 बजे तक चली। हालाँकि, भाजपा नेताओं और कुशवाहा के बीच आधी रात की बैठक बेनतीजा रही। कुशवाहा ने साफ तौर पर कहा था कि वह महुआ सीट नहीं छोड़ेंगे। सूत्रों का कहना है कि कुशवाहा चाहते हैं कि उनका बेटा महुआ सीट से चुनाव लड़े। उन्होंने यह भी कहा कि जब तक अमित शाह से उनकी बात नहीं हो जाती, तब तक कुछ भी तय नहीं है। उन्होंने यह भी कहा कि एनडीए में सब कुछ ठीक नहीं है। इसके बाद, कुशवाहा, नित्यानंद राय के साथ आज दिल्ली पहुँचे, जहाँ वे आज दोपहर अमित शाह से मुलाकात करेंगे।
चिराग को भी मिले हैं आदेश
सूत्रों का दावा है कि उपेंद्र कुशवाहा की नाराज़गी के चलते चिराग पासवान को महुआ सीट से अपना नामांकन स्थगित करने को कहा गया है। यही वजह है कि चिराग पासवान ने अभी तक इस सीट से अपने उम्मीदवार की घोषणा नहीं की है। महुआ सीट अब उनके लिए प्रतिष्ठा का सवाल बन गई है। चिराग पासवान ने भी काफ़ी सौदेबाज़ी करके यह सीट हासिल की थी। एनडीए के सीट बंटवारे में चिराग पासवान की लोजपा (आर) को महुआ समेत कुल 29 सीटें मिली थीं। बताया जा रहा है कि कुशवाहा अपनी छह सीटों से नाराज़ हैं। महुआ सीट न मिलने से उनका गुस्सा और बढ़ गया है। यही वजह है कि भाजपा उपेंद्र कुशवाहा को मनाने में रात भर जुटी रही।
महुआ सीट क्यों अहम है?
अब सवाल यह है कि महुआ सीट इतनी अहम क्यों है? महुआ सीट वैशाली ज़िले में आती है। यह एक हाई-प्रोफाइल विधानसभा क्षेत्र है। इस सीट पर यादव, मुस्लिम और कुशवाहा समुदाय का दबदबा है। एक तरह से महुआ विधानसभा सीट यादव और मुस्लिम बहुल है। आंकड़े बताते हैं कि महुआ विधानसभा सीट पर यादव और मुस्लिम आबादी लगभग 35 प्रतिशत है। मुस्लिम और यादव राजद और लालू परिवार के कोर वोटर माने जाते रहे हैं। वहीं, इस सीट पर अनुसूचित जाति की आबादी लगभग 21 प्रतिशत है, जिसमें पासवान और रविदास निर्णायक भूमिका में हैं। यहाँ कुशवाहा आबादी भी अच्छी खासी है। यही वजह है कि चिराग पासवान और कुशवाहा दोनों ही इस सीट के लिए दावेदारी कर रहे हैं। 2015 में तेज प्रताप यादव ने यहाँ से चुनाव जीता था।
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