राजस्थान की वीरभूमि में फैले थार रेगिस्तान के कई गाँव अपनी सांस्कृतिक विरासत और इतिहास के लिए प्रसिद्ध हैं, लेकिन इन्हीं गाँवों में से एक है कुलधरा, जो अपनी भूतिया कहानियों के लिए भी जाना जाता है। यह गाँव धन-धान्य और समृद्धि की कहानियों से भरा हुआ था, लेकिन 200 साल पहले की उस रात की घटना ने इसे हमेशा के लिए वीरान और रहस्यमय बना दिया।कुलधरा गाँव का इतिहास लगभग 250 साल पुराना माना जाता है। यह गाँव प्राचीन पाली और जैसलमेर मार्ग के पास स्थित था। यहाँ रहने वाले लोग जोधपुर के जैसवंतगढ़ राजपूत परिवार और विशेष रूप से पालीवाल ब्राह्मण थे। कहा जाता है कि इस गाँव में सुख-समृद्धि की कभी कोई कमी नहीं रही। खेतों में हरियाली थी, तालाबों में पानी भरा रहता था और घरों में खुशियों का माहौल रहता था।
लेकिन 200 साल पहले एक रात अचानक यह समृद्ध गाँव वीरान और वीरान हो गया। विभिन्न कथाओं और लोककथाओं के अनुसार, ग्रामीण उस समय के स्थानीय शासक की लालची नीतियों और अत्याचारों से परेशान थे। शासक ने ग्रामीणों से अत्यधिक कर और संपत्ति की माँग की थी। यही वह रात थी जब ग्रामीणों ने अपनी परिस्थितियों के विरुद्ध विरोध प्रदर्शन करने का निर्णय लिया।कहानी के अनुसार, ग्रामीण अचानक रातों-रात अपने घर छोड़कर गाँव से चले गए। वे अपने घर, मंदिर और खेत-खलिहान पीछे छोड़ गए। उस रात का अजीबोगरीब रहस्य ऐसा है कि आज तक कोई भी कुलधरा में बसने की हिम्मत नहीं कर पाया। स्थानीय लोगों का मानना है कि उस रात के कष्टों और अत्याचारों की आत्माएँ आज भी गाँव में भटकती हैं।
कुलधरा की सबसे डरावनी बात यह है कि यहाँ की हवेलियाँ और घर आज भी वैसे ही खड़े हैं जैसे वे थे। खिड़कियाँ टूटी हुई हैं, दरवाजे गिर चुके हैं और दीवारों पर समय के निशान साफ़ दिखाई देते हैं। स्थानीय लोग इसे एक भूतिया गाँव कहते हैं और रात में यहाँ जाना वर्जित मानते हैं। पर्यटन और शोधकर्ताओं के अनुसार, कुलधरा की सुनसान गलियाँ और सुनसान रास्ते 200 साल पहले हुए उस रहस्य की गवाही देते हैं।
यात्रियों और शोधकर्ताओं की मान्यताओं के अनुसार, कुलधरा में रात में अजीबोगरीब आवाज़ें सुनाई देती हैं और एक अजीब सा स्पर्श महसूस होता है। यहाँ आने वाले कुछ लोगों का कहना है कि उन्हें अचानक ठंडी हवा का झोंका लगा या किसी की नज़र पड़ी। इन अनुभवों ने कुलधरा को एक "भूतिया गाँव" बना दिया है।हालाँकि, आधुनिक समय में कुलधरा पर्यटन और इतिहास प्रेमियों के लिए आकर्षण का केंद्र बन गया है। लोग यहाँ पुराने घरों की बनावट और वास्तुकला का अध्ययन करने आते हैं, लेकिन ज़्यादातर लोग रात में यहाँ रुकने से डरते हैं। स्थानीय प्रशासन ने यह भी सुनिश्चित किया है कि पर्यटक सुरक्षित रूप से केवल दिन के समय ही गाँव में आएँ।
कुलधरा का यह रहस्य सिर्फ़ एक कहानी नहीं है; यह इतिहास, लोककथाओं और रहस्य का मिश्रण है। 200 साल पहले उस रात जो हुआ, उसने इस गाँव को हमेशा के लिए वीरान और भूतिया बना दिया है। आज भी कुलधरा की सुनसान गलियाँ और वीरान घर उस रात की कहानी बयां करते हैं। यह गाँव राजस्थान के इतिहास में एक रहस्यमयी अध्याय के रूप में हमेशा याद रखा जाएगा।
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