BJP on MP Nishikant Dubey: भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने अपने सांसद निशिकांत दुबे और दिनेश शर्मा द्वारा सुप्रीम कोर्ट और भारत के मुख्य न्यायाधीश के खिलाफ दिए गए बयानों से स्पष्ट दूरी बना ली है. पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने शनिवार को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर एक पोस्ट में इन टिप्पणियों को पूरी तरह से व्यक्तिगत राय करार देते हुए कहा कि पार्टी न तो इन बयानों से सहमत है और न ही उनका समर्थन करती है.
जेपी नड्डा ने सांसदों को दी हिदायत
जेपी नड्डा ने आगे बताया कि उन्होंने दोनों सांसदों को इस प्रकार की बयानबाज़ी से बचने की सख्त हिदायत दी है. साथ ही यह भी स्पष्ट किया कि भाजपा न्यायपालिका का हमेशा सम्मान करती आई है और उसे भारतीय लोकतंत्र की मूलभूत संरचना का अभिन्न अंग मानती है.
सांसदों के बयानों पर बीजेपी का रुख
भाजपा सांसद निशिकांत दुबे और दिनेश शर्मा का न्यायपालिका एवं देश के चीफ जस्टिस पर दिए गए बयान से भारतीय जनता पार्टी का कोई लेना–देना नहीं है। यह इनका व्यक्तिगत बयान है, लेकिन भाजपा ऐसे बयानों से न तो कोई इत्तेफाक रखती है और न ही कभी भी ऐसे बयानों का समर्थन करती है। भाजपा इन बयान…
— Jagat Prakash Nadda (@JPNadda) April 19, 2025
न्यायपालिका का सम्मान
जेपी नड्डा ने कहा, "भाजपा हमेशा से न्यायपालिका का सम्मान करती रही है और उसके सुझावों व आदेशों को सहर्ष स्वीकार किया है. पार्टी का मानना है कि सभी अदालतें, विशेषकर सर्वोच्च न्यायालय, हमारे लोकतंत्र का अविभाज्य हिस्सा हैं. ये संविधान की रक्षा के मजबूत स्तंभ हैं."
निशिकांत दुबे का विवादास्पद बयान
BJP सांसद निशिकांत दुबे ने शनिवार को विवाद खड़ा कर दिया जब उन्होंने X पर पोस्ट करते हुए कहा, "अगर सुप्रीम कोर्ट को ही कानून बनाना है, तो संसद को बंद कर देना चाहिए." बाद में समाचार एजेंसियों से बातचीत में भी उन्होंने यही बात दोहराई. इसके अलावा उन्होंने भारत के मुख्य न्यायाधीश को देश में 'गृहयुद्ध' के लिए जिम्मेदार ठहराया.
उनका यह बयान उस समय आया जब सुप्रीम कोर्ट हाल ही में लागू वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 पर सुनवाई कर रही है. कोर्ट ने इस अधिनियम के कुछ प्रावधानों, विशेष रूप से 'यूजर द्वारा वक्फ' की धारा पर सवाल उठाए हैं. केंद्र सरकार ने कोर्ट को आश्वस्त किया कि अगली सुनवाई (5 मई) तक संबंधित प्रावधानों को लागू नहीं किया जाएगा.
दिनेश शर्मा का भी न्यायपालिका पर प्रहार
उत्तर प्रदेश के पूर्व उपमुख्यमंत्री और BJP सांसद दिनेश शर्मा ने भी सुप्रीम कोर्ट की आलोचना करते हुए कहा, "भारत के संविधान के अनुसार, न लोकसभा और न ही राज्यसभा को कोई निर्देश दे सकता है. राष्ट्रपति पहले ही इस अधिनियम को स्वीकृति दे चुकी हैं, इसलिए कोई भी उन्हें चुनौती नहीं दे सकता. राष्ट्रपति सर्वोच्च हैं."
उपराष्ट्रपति की भी आलोचना
निशिकांत दुबे के बयानों से पहले उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ भी न्यायपालिका की आलोचना कर चुके हैं. उन्होंने कहा था कि "भारत को ऐसा लोकतंत्र कभी नहीं चाहिए था जहां न्यायाधीश विधायक, कार्यपालिका और 'सुपर संसद' की भूमिका निभाएं." उन्होंने यह भी सवाल उठाया कि किसी मौजूदा जज के खिलाफ FIR दर्ज करने के लिए मुख्य न्यायाधीश और राष्ट्रपति की अनुमति क्यों आवश्यक है.
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