नई दिल्ली। बिहार में वोटरों के विशेष पुनरीक्षण (एसआईआर) के खिलाफ दाखिल याचिकाओं पर 12 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट में फिर सुनवाई होगी। सुप्रीम कोर्ट ने पिछली सुनवाई में चुनाव आयोग से कहा था कि वो बिहार की ड्राफ्ट वोटर लिस्ट से हटाए गए लोगों के बारे में लिस्ट देकर बताए कि किसे किस वजह से हटाया गया। सुप्रीम कोर्ट ने ये भी कहा था कि ये लिस्ट सभी राजनीतिक दलों को भी दी जाए। इस पर चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दिया है। चुनाव आयोग ने हलफनामे में कहा है कि नियमों के तहत ड्राफ्ट वोटर लिस्ट से हटाए गए लोगों की अलग लिस्ट देने के लिए वो बाध्य नहीं है।
#BREAKING In the Bihar SIR matter, #ElectionCommissionIndia tells #SupremeCourt that it is not bound by the Rules to publish a separate list of persons not included in the draft electoral roll.#ElectionCommission adds that it is also not required under the Rules to furnish the… pic.twitter.com/MCZOVBvg2H
— Live Law (@LiveLawIndia) August 10, 2025
चुनाव आयोग ने साथ ही सुप्रीम कोर्ट में एक अतिरिक्त हलफनामा भी दाखिल किया है। चुनाव आयोग ने इस हलफनामा में कहा है कि बिना पूरी सुनवाई का मौका दिए किसी भी वोटर का नाम बिहार की वोटर लिस्ट से नहीं हटाया जाएगा। चुनाव आयोग ने हलफनामा में ये भी कहा है कि उसने उन लोगों के नामों की बूथ स्तर की लिस्ट पार्टियों को दी है, जिनके पुनरीक्षण फॉर्म जमा नहीं हुए हैं। चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट से कहा है कि ड्राफ्ट वोटर लिस्ट में जिनके नाम नहीं हैं, वे उसे नाम चढ़ाने के लिए फॉर्म भरकर दे सकते हैं। चुनाव आयोग ने कहा है कि उसके बीएलओ हर घर गए और पुनरीक्षण फॉर्म इकट्ठा किए। साथ ही अन्य राज्यों में काम करने वाले बिहार के लोगों को जानकारी देने के लिए 246 अखबारों में विज्ञापन के जरिए प्रचार भी किया गया। चुनाव आयोग ने कहा है कि हर संभव कदम उठाया गया कि एक भी मान्य वोटर का नाम न छूटे।
बिहार में अक्टूबर-नवंबर में विधानसभा के चुनाव होने हैं। इससे पहले चुनाव आयोग की तरफ से एसआईआर कराने पर आरजेडी और कांग्रेस समेत विपक्षी दल सवाल खड़े कर रहे हैं। इन दलों के नेताओं ने सुप्रीम कोर्ट में एसआईआर के खिलाफ याचिका दाखिल की है। वहीं, एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) नाम के संगठन ने भी याचिका दी है। विपक्षी दलों का आरोप है कि बीजेपी को फायदा पहुंचाने के लिए चुनाव आयोग बिहार विधानसभा चुनाव से ठीक पहले एसआईआर करा रहा है। वहीं, चुनाव आयोग का कहना है कि उसे संविधान के अनुच्छेद 324 और 326 के तहत ये जानने का अधिकार है कि वोटर भारत का नागरिक है या नहीं। बिहार के एसआईआर के पहले चरण के बाद 65.64 लाख लोगों के नाम ड्राफ्ट वोटर लिस्ट से हटाए गए हैं।
The post Election Commission On Bihar SIR: ‘नियमों के तहत हटाए गए बिहार के वोटरों की अलग लिस्ट देने को बाध्य नहीं…बिना सुनवाई किसी का नाम नहीं काटेंगे’, सुप्रीम कोर्ट से बोला चुनाव आयोग appeared first on News Room Post.
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