News India Live, Digital Desk: कैंसर का नाम सुनते ही मन में एक डर बैठ जाता है, और जब बात ऑपरेशन की आती है, तो बड़े चीरे, लंबे समय तक अस्पताल में भर्ती रहने और असहनीय दर्द का ख्याल हमें और डरा देता है. लेकिन अब उत्तर प्रदेश और आस-पास के राज्यों के लोगों के लिए, खासकर प्रोस्टेट कैंसर से जूझ रहे मरीजों के लिए, लखनऊ के संजय गांधी स्नातकोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थान (SGPGI) से एक बहुत बड़ी और उम्मीद जगाने वाली खबर आई है.PGI लखनऊ ने अब कैंसर के इलाज में एक लंबी छलांग लगाते हुए एडवांस रोबोटिक सर्जरी (Advanced Robotic Surgery) की सुविधा शुरू कर दी है. हाल ही में डॉक्टरों ने इस अत्याधुनिक तकनीक का इस्तेमाल करके एक 68 वर्षीय मरीज के प्रोस्टेट कैंसर का सफल ऑपरेशन भी किया है.क्या है ये रोबोटिक सर्जरी और ये काम कैसे करती है?इसे आसान भाषा में समझिए. यह एक ऐसी हाई-टेक सर्जरी है, जिसमें डॉक्टर सीधे मरीज का ऑपरेशन नहीं करते, बल्कि एक कंप्यूटर कंसोल (एक तरह का कंट्रोल सेंटर) पर बैठकर रोबोटिक हाथों को कंट्रोल करते हैं.सर्जन 3D कैमरे की मदद से ऑपरेशन वाली जगह को कई गुना बड़ा और बिल्कुल साफ-साफ देखते हैं.फिर, जॉयस्टिक जैसे कंट्रोलर से वे रोबोट के छोटे-छोटे हाथों को निर्देश देते हैं.ये रोबोटिक हाथ इंसान के हाथों से भी ज्यादा स्थिर और सटीक होते हैं. वे ऐसी जगहों पर भी आसानी से पहुंच जाते हैं, जहां डॉक्टर के हाथ का पहुंचना मुश्किल होता है.कमाल की बात यह है कि पूरा कंट्रोल सर्जन के हाथ में ही रहता है, रोबोट अपनी मर्जी से कुछ नहीं करता.मरीज के लिए ये किसी वरदान से कम क्यों नहीं?इस नई तकनीक का सबसे बड़ा फायदा मरीजों को ही मिलने वाला है. पारंपरिक ओपन सर्जरी के मुकाबले रोबोटिक सर्जरी में:छोटा सा चीरा: बड़े चीरे की जगह बस कुछ छोटे-छोटे छेद किए जाते हैं.दर्द न के बराबर: चीरा छोटा होने की वजह से मरीज को दर्द लगभग नहीं होता.खून बहुत कम बहता है: सर्जरी इतनी सटीकता से होती है कि खून का बहना बहुत कम हो जाता है.जल्दी छुट्टी, जल्दी रिकवरी: मरीज बहुत तेजी से ठीक होता है और उसे सिर्फ 2-3 दिन में ही अस्पताल से छुट्टी मिल जाती है.इंफेक्शन का खतरा कम: घाव छोटे होने के कारण इंफेक्शन का खतरा भी बहुत घट जाता है.UP के लिए एक बड़ी उपलब्धिPGI के यूरोलॉजी और रीनल ट्रांसप्लांट विभाग के प्रमुख डॉ. एम.एस. अंसारी ने बताया कि यह सुविधा जटिल और कठिन ऑपरेशन को बहुत आसान बना देगी. इस तकनीक को शुरू करने के लिए PGI में एक खास वर्कशॉप भी रखी गई थी, जिसमें दिल्ली और मुंबई के बड़े-बड़े एक्सपर्ट्स ने भी हिस्सा लिया.यह वाकई में उत्तर प्रदेश की स्वास्थ्य सेवाओं के लिए एक नया अध्याय है. अब यहां के लोगों को कैंसर के एडवांस इलाज के लिए दिल्ली-मुंबई जैसे बड़े शहरों के चक्कर नहीं काटने पड़ेंगे, उन्हें विश्व स्तरीय सुविधा अपने ही शहर में मिल सकेगी.
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