ढाका: अमेरिका की कुख्यात खुफिया एजेंसी CIA दुनियाभर में सरकारों को गिराने, नेताओं की हत्या करने, देशों के बीच झगड़ा लगाने जैसे कामों के लिए कुख्यात रही है। CIA नागरिक विद्रोह को भड़काकर सरकारों पर प्रेशर बढ़ाती है, सरकारें गिराती है और अमेरिका का अधिपत्य स्थापित होता है। जैसे पाकिस्तान, नेपाल और बांग्लादेश में हालिया समय में हुआ है। दक्षिण एशिया में पिछले कुछ सालों से लगातार CIA काफी एक्टिव है और पिछले कुछ सालों में आप जो भी नाटक भारत के पड़ोसी देशों में देख रहे हैं, उसमें CIA के काफी ज्यादा एक्टिव रहने का दावा किया गया है।
ऑर्गनाइजर की एक ताजा रिपोर्ट में सनसनीखेज आरोप लगाया गया है। ये आरोप बांग्लादेश की राजधानी ढाका में अमेरिका के एक अधिकारी की रहस्यमय मौत को लेकर है। दावा किया गया है कि 31 अगस्त को बांग्लादेश के ढाका स्थित एक होटल के कमरे में अमेरिकी स्पेशल फोर्स के अधिकारी टेरेंस अर्वेल जैक्सन की रहस्यमयी मौत की घटना ने दक्षिण एशिया, खासकर भारत के आंतरिक क्षेत्र में अमेरिकी खुफिया कार्रवाइयों को लेकर संदेह को काफी बढ़ा दिया है।
अमेरिकी अधिकारी की मौत को लेकर सनसनीखेज दावा
ऑर्गनाइजर की रिपोर्ट में अमेरिकी सुरक्षा अधिकारी की मौत को लेकर आशंका जताई गई है कि क्या अमेरिकी अधिकारी को भारत और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को निशाना बनाने के इरादे से ढाका में तैनात किया गया था। ऑर्गेनाइजर ने एक्सपर्ट्स के हवाले से अनुमान दिया है कि प्रधानमंत्री मोदी की हत्या की योजना और कोशिश हो सकती है। जिसे भारत और रूस की खुफिया इकाइयों के संयुक्त अभियान ने नाकाम कर दिया। रिपोर्ट में कई सुराग और घटनाओं को जोड़कर अनुमान लगाया जा रहा है कि जैक्सन, भारत और खासकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ कोई गुप्त कार्रवाई या असाइनमेंट पर तैनात किया गया था, लेकिन उसका प्लान नाकाम हो गया।
अमेरिकी अधिकारी टेरेंस अर्वेल जैक्सन 31 अगस्त को ढाका स्थित अपने होटल के कमरे में मृत पाए गए थे। ऑर्गेनाइजर ने दावा किया है कि सतही तौर पर रिपोर्टों से पता चलता है कि उन्हें बांग्लादेश में तैनात किया गया था। रिपोर्ट में कहा गया है कि इसका मकसद सेंट मार्टिन द्वीप को लेकर बांग्लादेशी सेना को ट्रेनिंग देना हो सकता है। जिस दिन अमेरिकी अधिकारी टेरेंस अर्वेले मृत पाए गए, उस दिन प्रधानमंत्री मोदी शंघाई सहयोग संगठन (SCO) शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए चीन के तियानजिन में थे। शिखर सम्मेलन के बाद, प्रधानमंत्री मोदी और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने कार के अंदर काफी देर तक अकेले में बातचीत की थी। तियानजिन में मोदी-पुतिन की इस मुलाकात की खूब चर्चा हुई और इसे ग्लोबल कवरेज मिला।
ऑर्गनाइजर ने दावा किया है कि, विश्लेषण किया जा रहा है कि प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति पुतिन के नेतृत्व में, भारत और रूसी खुफिया बलों ने एक संयुक्त अभियान में ढाका में उस अमेरिकी सुरक्षा अधिकारी को मार गिराया, जो प्रधानमंत्री मोदी की हत्या की साजिश रच रहा था। नवभारत टाइम्स इस दावे की पुष्टि नहीं करता है। रिपोर्ट में कहा गया है कि यह पूरी संभावना है कि प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति पुतिन ने तियानजिन में कार के अंदर 45 मिनट की अनियोजित बातचीत के दौरान इस बेहद हाई-प्रोफाइल और गहन एजेंडे पर चर्चा की हो। शायद, जिस दिन मोदी और पुतिन ने गुप्त चर्चा की, उसी दिन ढाका में वह अमेरिकी अधिकारी मृत पाया गया।
क्या पीएम मोदी ने इस बात को लेकर दिए थे भाषण में संकेत?
ऑर्गनाइजर ने प्रधानमंत्री मोदी एक बयान को हाईलाइट करने की कोशिश की है। इसने ध्यान दिलाते हुए कहा है कि 2 सितंबर को, चीन के तियानजिन से लौटने के ठीक अगले दिन, प्रधानमंत्री मोदी ने नई दिल्ली में सेमीकॉन शिखर सम्मेलन को संबोधित किया था। इस कार्यक्रम के दौरान, प्रधानमंत्री मोदी ने पूछा, "क्या आप इसलिए ताली बजा रहे हैं क्योंकि मैं चीन गया था या इसलिए बजा रहे हैं क्योंकि मैं वापस आया हूं?" विश्लेषकों के मुताबिक, प्रधानमंत्री मोदी की ये गूढ़ टिप्पणियां एक गंभीर संदेश देती हैं। इसमें प्रधानमंत्री के जीवन को खतरे के बारे में संदेश भेजा गया है।
क्या भारत को अस्थिर करना चाहता है अमेरिका?
डोनाल्ड ट्रंप पिछले कुछ महीनों से लगातार भारत विरोधी बयान दे रहे हैं। वो पाकिस्तान की तरफदारी कर रहे हैं। पीएम मोदी के लिए कठिन माहौल बनाने वाली राजनीतिक बयानबाजी भी कर रहे हैं। ट्रंप ने भारत पर 50 प्रतिशत का टैरिफ भी लगा रखा है, इसीलिए सवाल उठ रहे हैं कि क्या तमाम पड़ोसी देशों को परेशान करने के बाद अब अमेरिका, भारत को अस्थिर करने की कोशिश कर रहा है? क्या CIA भारत को अस्थिरता की आग में झोंकना चाहता है, जैसे नेपाल, बांग्लादेश या श्रीलंका में हुआ है? नवभारत टाइम्स इसकी पुष्टि नहीं कर सकता है, लेकिन अगर ये रिपोर्ट सच है तो भारत-अमेरिका संबंध को बुरी तरह से प्रभावित कर सकता है!
ऑर्गनाइजर की एक ताजा रिपोर्ट में सनसनीखेज आरोप लगाया गया है। ये आरोप बांग्लादेश की राजधानी ढाका में अमेरिका के एक अधिकारी की रहस्यमय मौत को लेकर है। दावा किया गया है कि 31 अगस्त को बांग्लादेश के ढाका स्थित एक होटल के कमरे में अमेरिकी स्पेशल फोर्स के अधिकारी टेरेंस अर्वेल जैक्सन की रहस्यमयी मौत की घटना ने दक्षिण एशिया, खासकर भारत के आंतरिक क्षेत्र में अमेरिकी खुफिया कार्रवाइयों को लेकर संदेह को काफी बढ़ा दिया है।
अमेरिकी अधिकारी की मौत को लेकर सनसनीखेज दावा
ऑर्गनाइजर की रिपोर्ट में अमेरिकी सुरक्षा अधिकारी की मौत को लेकर आशंका जताई गई है कि क्या अमेरिकी अधिकारी को भारत और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को निशाना बनाने के इरादे से ढाका में तैनात किया गया था। ऑर्गेनाइजर ने एक्सपर्ट्स के हवाले से अनुमान दिया है कि प्रधानमंत्री मोदी की हत्या की योजना और कोशिश हो सकती है। जिसे भारत और रूस की खुफिया इकाइयों के संयुक्त अभियान ने नाकाम कर दिया। रिपोर्ट में कई सुराग और घटनाओं को जोड़कर अनुमान लगाया जा रहा है कि जैक्सन, भारत और खासकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ कोई गुप्त कार्रवाई या असाइनमेंट पर तैनात किया गया था, लेकिन उसका प्लान नाकाम हो गया।
अमेरिकी अधिकारी टेरेंस अर्वेल जैक्सन 31 अगस्त को ढाका स्थित अपने होटल के कमरे में मृत पाए गए थे। ऑर्गेनाइजर ने दावा किया है कि सतही तौर पर रिपोर्टों से पता चलता है कि उन्हें बांग्लादेश में तैनात किया गया था। रिपोर्ट में कहा गया है कि इसका मकसद सेंट मार्टिन द्वीप को लेकर बांग्लादेशी सेना को ट्रेनिंग देना हो सकता है। जिस दिन अमेरिकी अधिकारी टेरेंस अर्वेले मृत पाए गए, उस दिन प्रधानमंत्री मोदी शंघाई सहयोग संगठन (SCO) शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए चीन के तियानजिन में थे। शिखर सम्मेलन के बाद, प्रधानमंत्री मोदी और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने कार के अंदर काफी देर तक अकेले में बातचीत की थी। तियानजिन में मोदी-पुतिन की इस मुलाकात की खूब चर्चा हुई और इसे ग्लोबल कवरेज मिला।
ऑर्गनाइजर ने दावा किया है कि, विश्लेषण किया जा रहा है कि प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति पुतिन के नेतृत्व में, भारत और रूसी खुफिया बलों ने एक संयुक्त अभियान में ढाका में उस अमेरिकी सुरक्षा अधिकारी को मार गिराया, जो प्रधानमंत्री मोदी की हत्या की साजिश रच रहा था। नवभारत टाइम्स इस दावे की पुष्टि नहीं करता है। रिपोर्ट में कहा गया है कि यह पूरी संभावना है कि प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति पुतिन ने तियानजिन में कार के अंदर 45 मिनट की अनियोजित बातचीत के दौरान इस बेहद हाई-प्रोफाइल और गहन एजेंडे पर चर्चा की हो। शायद, जिस दिन मोदी और पुतिन ने गुप्त चर्चा की, उसी दिन ढाका में वह अमेरिकी अधिकारी मृत पाया गया।
क्या पीएम मोदी ने इस बात को लेकर दिए थे भाषण में संकेत?
ऑर्गनाइजर ने प्रधानमंत्री मोदी एक बयान को हाईलाइट करने की कोशिश की है। इसने ध्यान दिलाते हुए कहा है कि 2 सितंबर को, चीन के तियानजिन से लौटने के ठीक अगले दिन, प्रधानमंत्री मोदी ने नई दिल्ली में सेमीकॉन शिखर सम्मेलन को संबोधित किया था। इस कार्यक्रम के दौरान, प्रधानमंत्री मोदी ने पूछा, "क्या आप इसलिए ताली बजा रहे हैं क्योंकि मैं चीन गया था या इसलिए बजा रहे हैं क्योंकि मैं वापस आया हूं?" विश्लेषकों के मुताबिक, प्रधानमंत्री मोदी की ये गूढ़ टिप्पणियां एक गंभीर संदेश देती हैं। इसमें प्रधानमंत्री के जीवन को खतरे के बारे में संदेश भेजा गया है।
क्या भारत को अस्थिर करना चाहता है अमेरिका?
डोनाल्ड ट्रंप पिछले कुछ महीनों से लगातार भारत विरोधी बयान दे रहे हैं। वो पाकिस्तान की तरफदारी कर रहे हैं। पीएम मोदी के लिए कठिन माहौल बनाने वाली राजनीतिक बयानबाजी भी कर रहे हैं। ट्रंप ने भारत पर 50 प्रतिशत का टैरिफ भी लगा रखा है, इसीलिए सवाल उठ रहे हैं कि क्या तमाम पड़ोसी देशों को परेशान करने के बाद अब अमेरिका, भारत को अस्थिर करने की कोशिश कर रहा है? क्या CIA भारत को अस्थिरता की आग में झोंकना चाहता है, जैसे नेपाल, बांग्लादेश या श्रीलंका में हुआ है? नवभारत टाइम्स इसकी पुष्टि नहीं कर सकता है, लेकिन अगर ये रिपोर्ट सच है तो भारत-अमेरिका संबंध को बुरी तरह से प्रभावित कर सकता है!





