कोलकाता : दुर्गा पूजा आने में 21 दिन बचे हैं। हर साल इन दिनों मुर्शिदाबाद के बेलडांगा में प्रह्लाद दास के घर में खूब चहल-पहल रहती थी। दिन-रात तैयारियां होती थीं। प्रह्लाद समेत उनका पूरा परिवार ढोल नगाड़ों को पैक करने और उनके मैंटीनेंस में सब व्यस्त रहते थे। प्रह्लाद दास कई वर्षों से मुंबई के पवई में होने वाली दुर्गा पूजा में ढोल बजाने जाते रहे हैं। लेकिन इस साल, उनके घर में एक डर का माहौल है। डर यह कि कहीं उन्हें हिरासत में न ले लिया जाए, या फिर देश से ही न निकाल दिया जाए।
प्रह्लाद का यह डर बेवजह नहीं है। पिछले एक महीने से बंगाल से बीजेपी शासित प्रदेशों में गए मजदूरों के साथ बुरा व्यवहार हो रहा है। उनके ऊपर बांग्लादेशी होने का शक सिर्फ इसलिए किया जा रहा है क्योंकि वे बांग्ला बोलते हैं।
बांग्लादेश में 6 लोग जेल मेंकुछ लोगों को आधार कार्ड, वोटर आईडी कार्ड (EPIC) और जमीन के कागजात जैसे भारतीय पहचान पत्र होने के बावजूद वापस बांग्लादेश भेज दिया गया। तीन नाबालिग और एक गर्भवती समेत लगभग छह लोग बांग्लादेश की जेल में बंद हैं। क्योंकि उन्हें बंगाल से बांग्लादेशी कहकर बांग्लादेश भेज दिया गया और वहां उन्हें अवैध प्रवासी बताकर जेल में डाल दिया गया।
दस्तावेज लेकर जा रहे दूसरे राज्यप्रह्लाद जैसे ढोल बजाने वाले लोग इस बार अलर्ट हैं। वे ढोल बजाने का काम लेने से पहले बहुत सावधानी बरत रहे हैं। जो लोग इस साल दुर्गा पूजा पर ढोल बजाने दिल्ली, गुड़गांव और मुंबई जैसे शहरों में जा रहे हैं वे अपने साथ सारे दस्तावेज रख रहे हैं। आधार कार्ड से लेकर बर्थ सर्टिफिकेट तक वे कुछ भी नहीं भूल रहे हैं। ये लोग पुलिस से 'क्लियरेंस सर्टिफिकेट' भी ले रहे हैं।
सिंगर अभिजीत भट्टाचार्य के यहां बजाएंगे ढोल
प्रह्लाद 35 साल के हैं। उन्होंने कहा कि मैं इतने सालों से मुंबई जा रहा हूं। कभी कोई दस्तावेज लेकर नहीं गए। यह पहली बार है कि जब हमें पुलिस से क्लियरेंस सर्टिफिकेट लेकर जाना पड़ रहा है। प्रह्लाद ने बताया कि जब उनके पास ढोल बजाने का काम नहीं होता है तो वह नाई का काम करते हैं। उनके पिता लालू भी उनके साथ मुंबई जा रहे हैं। दोनों मुंबई में सिंगर अभिजीत भट्टाचार्य की लोखंडवाला में होने वाली पूजा में ढोल बजाएंगे।
प्रह्लाद के साथ जा रही टीमप्रह्लाद के साथ 9 लोगों की टीम है। इन सभी ने अपने दस्तावेज एकत्र कर लिए हैं। वे 24 सितंबर को मुर्शिदाबाद से मुंबई के लिए रवाना होंगे। लालू ने कहा कि मेरी उम्र 60 साल की हो गई है। मैं पिछले दो दशकों से मुंबई में दुर्गा पूजा के दौरान ढोल बजाता रहा हूं। हमें हमेशा सुरक्षित महसूस होता था। इस बार हम डरे हुए हैं और अलर्ट हैं।
कुछ ने तो कहीं भी जाना किया कैंसलबांकुरा के बिशजोर गांव के नयन बद्यकार (42) ने कहा कि दो महीने पहले, हमारे गांव के कुछ मजदूरों को हरियाणा में रोका गया। उनसे पूछा कि क्या वे बांग्लादेशी हैं। उनके परिवारों को उनके WhatsApp पर सारे दस्तावेज भेजने पड़े। पुलिस ने उनके घंटों पूछताछ की। उसके बाद उन्हें छोड़ा गया। बांकुरा में साल्टोरा के निर्मल कालिंदी और ताज बद्दकार जैसे कुछ ढोल बजाने वालों ने इस साल कहीं भी बाहर जाकर ढोल न बजाने का फैसला लिया है।
ममता बनर्जी साध रहीं निशानाबंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी बीजेपी शासित राज्यों में बंगालियों के साथ हो रहे व्यवहार को लेकर लगातार निशाना साध रही हैं। उन्होंने पूछा कि क्या आप बंगाल के लोगों को इंसान नहीं मानते हैं? बंगाल के लगभग 22 लाख मजदूर दूसरे राज्यों में काम करते हैं। ममता ने उन्हें प्रताड़ित करने का आरोप लगाते हुए प्रवासी मजदूरों से बंगाल वापस लौटने का आग्रह किया है।
विधायक अरूप चक्रवर्ती ने दी धमकीहाल ही में, बांकुरा के ढोल बजाने वालों के एक गुट ने विधायक अरूप चक्रवर्ती से मुलाकात करके उनसे मदद मांगी थी। विधायक ने कहा कि अगर बंगाल के किसी भी ढोल बजाने वाले को दूसरे राज्यों में तकलीफ होगी तो हम हजारों ढोल बजाने वालों के साथ दिल्ली में संसद भवन का घेराव करेंगे। उन्होंने कहा कि ज्यादातर ढोल बजाने वालों के लिए, दुर्गा पूजा सिर्फ एक त्योहार नहीं उनकी कमाई का सबसे बड़ा जरिया है।
क्यों दिल्ली-मुंबई जाते हैं ढोल बजाने?मुर्शिदाबाद के ढोल बजाने वाले बिस्वनाथ दास ने कहा कि कोलकाता में उन लोगों को ढोल बजाने के लिए प्रति व्यक्ति 4,000 से 5,000 रुपये मिलते हैं। वहीं दिल्ली-मुंबई जैसे शहरों में 15,000 से 25,000 रुपये प्रति व्यक्ति तक मिलते हैं। इसके अलावा मुफ्त में रहने- खाने और यात्रा का भत्ता भी मिलना है।
प्रह्लाद का यह डर बेवजह नहीं है। पिछले एक महीने से बंगाल से बीजेपी शासित प्रदेशों में गए मजदूरों के साथ बुरा व्यवहार हो रहा है। उनके ऊपर बांग्लादेशी होने का शक सिर्फ इसलिए किया जा रहा है क्योंकि वे बांग्ला बोलते हैं।
बांग्लादेश में 6 लोग जेल मेंकुछ लोगों को आधार कार्ड, वोटर आईडी कार्ड (EPIC) और जमीन के कागजात जैसे भारतीय पहचान पत्र होने के बावजूद वापस बांग्लादेश भेज दिया गया। तीन नाबालिग और एक गर्भवती समेत लगभग छह लोग बांग्लादेश की जेल में बंद हैं। क्योंकि उन्हें बंगाल से बांग्लादेशी कहकर बांग्लादेश भेज दिया गया और वहां उन्हें अवैध प्रवासी बताकर जेल में डाल दिया गया।
दस्तावेज लेकर जा रहे दूसरे राज्यप्रह्लाद जैसे ढोल बजाने वाले लोग इस बार अलर्ट हैं। वे ढोल बजाने का काम लेने से पहले बहुत सावधानी बरत रहे हैं। जो लोग इस साल दुर्गा पूजा पर ढोल बजाने दिल्ली, गुड़गांव और मुंबई जैसे शहरों में जा रहे हैं वे अपने साथ सारे दस्तावेज रख रहे हैं। आधार कार्ड से लेकर बर्थ सर्टिफिकेट तक वे कुछ भी नहीं भूल रहे हैं। ये लोग पुलिस से 'क्लियरेंस सर्टिफिकेट' भी ले रहे हैं।
सिंगर अभिजीत भट्टाचार्य के यहां बजाएंगे ढोल
प्रह्लाद 35 साल के हैं। उन्होंने कहा कि मैं इतने सालों से मुंबई जा रहा हूं। कभी कोई दस्तावेज लेकर नहीं गए। यह पहली बार है कि जब हमें पुलिस से क्लियरेंस सर्टिफिकेट लेकर जाना पड़ रहा है। प्रह्लाद ने बताया कि जब उनके पास ढोल बजाने का काम नहीं होता है तो वह नाई का काम करते हैं। उनके पिता लालू भी उनके साथ मुंबई जा रहे हैं। दोनों मुंबई में सिंगर अभिजीत भट्टाचार्य की लोखंडवाला में होने वाली पूजा में ढोल बजाएंगे।
प्रह्लाद के साथ जा रही टीमप्रह्लाद के साथ 9 लोगों की टीम है। इन सभी ने अपने दस्तावेज एकत्र कर लिए हैं। वे 24 सितंबर को मुर्शिदाबाद से मुंबई के लिए रवाना होंगे। लालू ने कहा कि मेरी उम्र 60 साल की हो गई है। मैं पिछले दो दशकों से मुंबई में दुर्गा पूजा के दौरान ढोल बजाता रहा हूं। हमें हमेशा सुरक्षित महसूस होता था। इस बार हम डरे हुए हैं और अलर्ट हैं।
कुछ ने तो कहीं भी जाना किया कैंसलबांकुरा के बिशजोर गांव के नयन बद्यकार (42) ने कहा कि दो महीने पहले, हमारे गांव के कुछ मजदूरों को हरियाणा में रोका गया। उनसे पूछा कि क्या वे बांग्लादेशी हैं। उनके परिवारों को उनके WhatsApp पर सारे दस्तावेज भेजने पड़े। पुलिस ने उनके घंटों पूछताछ की। उसके बाद उन्हें छोड़ा गया। बांकुरा में साल्टोरा के निर्मल कालिंदी और ताज बद्दकार जैसे कुछ ढोल बजाने वालों ने इस साल कहीं भी बाहर जाकर ढोल न बजाने का फैसला लिया है।
ममता बनर्जी साध रहीं निशानाबंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी बीजेपी शासित राज्यों में बंगालियों के साथ हो रहे व्यवहार को लेकर लगातार निशाना साध रही हैं। उन्होंने पूछा कि क्या आप बंगाल के लोगों को इंसान नहीं मानते हैं? बंगाल के लगभग 22 लाख मजदूर दूसरे राज्यों में काम करते हैं। ममता ने उन्हें प्रताड़ित करने का आरोप लगाते हुए प्रवासी मजदूरों से बंगाल वापस लौटने का आग्रह किया है।
विधायक अरूप चक्रवर्ती ने दी धमकीहाल ही में, बांकुरा के ढोल बजाने वालों के एक गुट ने विधायक अरूप चक्रवर्ती से मुलाकात करके उनसे मदद मांगी थी। विधायक ने कहा कि अगर बंगाल के किसी भी ढोल बजाने वाले को दूसरे राज्यों में तकलीफ होगी तो हम हजारों ढोल बजाने वालों के साथ दिल्ली में संसद भवन का घेराव करेंगे। उन्होंने कहा कि ज्यादातर ढोल बजाने वालों के लिए, दुर्गा पूजा सिर्फ एक त्योहार नहीं उनकी कमाई का सबसे बड़ा जरिया है।
क्यों दिल्ली-मुंबई जाते हैं ढोल बजाने?मुर्शिदाबाद के ढोल बजाने वाले बिस्वनाथ दास ने कहा कि कोलकाता में उन लोगों को ढोल बजाने के लिए प्रति व्यक्ति 4,000 से 5,000 रुपये मिलते हैं। वहीं दिल्ली-मुंबई जैसे शहरों में 15,000 से 25,000 रुपये प्रति व्यक्ति तक मिलते हैं। इसके अलावा मुफ्त में रहने- खाने और यात्रा का भत्ता भी मिलना है।
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