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144 के लिए अकेला योद्धा, केके पाठक के बाद एस सिद्धार्थ के राज में हाईटेक एजुकेशन सिस्टम में 'एक स्कूल ऐसा भी'

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नालंदा: देश भर में आप कहीं भी हों लेकिन नालंदा का नाम सुनते ही जेहन में प्राचीन ज्ञान का अद्वितीय केंद्र उभरता है। लेकिन आज इसी ऐतिहासिक धरती पर शिक्षा व्यवस्था की एक ऐसी तस्वीर सामने आई है, जो चौंकाने वाली है। सरमेरा प्रखंड के गोवा काजीचक प्राथमिक विद्यालय में बीते दो साल से केवल एक ही शिक्षक 144 बच्चों के भविष्य की नींव रखने में जुटे हैं। अकेले ही संभाल रखा पूरा स्कूलविद्यालय में तैनात शिक्षक अरविंद प्रसाद यादव न सिर्फ पढ़ाते हैं, बल्कि प्रधानाध्यापक, कार्यालय सहायक, खेल प्रशिक्षक, और कभी-कभी रसोइया तक की भूमिका निभाते हैं। पहली से लेकर पांचवीं कक्षा तक पढ़ने वाले बच्चों को एक ही कमरे में बैठाकर पढ़ाया जाता है, क्योंकि और कोई उपाय नहीं है। अरविंद यादव 2003 में शिक्षा मित्र बने और 2005 से इसी विद्यालय में कार्यरत हैं। समय के साथ बाकी चार शिक्षक रिटायर हो गए,लेकिन नए शिक्षक अब तक नहीं आए। छुट्टी ली, तो हुआ खुलासाहाल ही में जब अरविंद यादव ने सिर्फ एक दिन की छुट्टी के लिए आवेदन दिया, तो प्रशासन को मजबूरन दूसरे स्कूल से शिक्षक भेजना पड़ा। यह दर्शाता है कि व्यवस्था कितनी नाजुक है। इस स्कूल में अगर एक दिन भी शिक्षक न रहें तो स्कूल पूरी तरह ठप हो सकता है। बच्चों की जुबानी जानिए बाकी कहानीइसी स्कूल में पढ़ने वाली छात्रा शबनम कुमारी कहती है, 'सर हमें अच्छे से पढ़ाते हैं, समय पर खाना और किताबें भी मिलती हैं, लेकिन अकेले सर कितना कुछ करेंगे?' बच्चों को न तो बेंच-डेस्क मिले हैं, न ही पर्याप्त सुविधाएं। वे आज भी बोरी या फर्श पर बैठकर पढ़ते हैं, लेकिन स्कूल पढ़ाई के मामले में सरमेरा प्रखंड के टॉप स्कूलों में शुमार है। इसका पूरा श्रेय एकमात्र शिक्षक को जाता है। हाईटेक सिस्टम को पता नहीं ये बात! हैरत हैजिला शिक्षा पदाधिकारी राज कुमार का कहना है कि उन्हें मीडिया के जरिए इस बात की जानकारी मिली है और फिलहाल एक शिक्षक की अस्थायी प्रतिनियुक्ति की गई है। हालांकि ये भी एक हैरत की ही बात है कि जिले में दो साल से एक स्कूल में एक ही शिक्षक हैं और शिक्षा विभाग के हाईटेक हो चुके सिस्टम को इसका पता तक नहीं है!
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