बेंगलुरु: कर्नाटक हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार को अनुमति दी कि वह आवश्यक यात्रा दस्तावेज जारी कर रूसी महिला नीना कुटिना और उसकी दो नाबालिग बेटियों को रूस वापस भेजने की प्रक्रिया पूरी करे। नीना कुटिना और उसकी बेटियां कर्नाटक के उत्तर कन्नड़ जिले के गोकर्णा क्षेत्र में एक गुफा में रह रही थीं। न्यायमूर्ति बी.एम. श्याम प्रसाद की पीठ ने यह आदेश उस याचिका पर सुनाया जिसे इजरायली नागरिक डॉर श्लोमो गोल्डस्टीन ने दाखिल किया था। गोल्डस्टीन ने दावा किया था कि वह दोनों बच्चियों का पिता है और केंद्र सरकार को उनकी अचानक निर्वासन की कार्रवाई से रोका जाए।
कोर्ट ने क्या कहा
कोर्ट को बताया गया कि महिला और उसके बच्चे गोकर्णा के जंगलों में एक सुनसान गुफा में बिना किसी बुनियादी सुविधा के रह रहे थे। इस पर कोर्ट ने कहा कि जब मां और बच्चों को इस हालत में पाया गया तो उनकी पुनर्वास की जिम्मेदारी संबंधित अधिकारियों की है। इस संदर्भ में अदालत का यह मानना उचित और न्यायसंगत होगा कि बच्चों के सर्वोत्तम हित को प्राथमिकता दी जाए। अन्य परिस्थितियों को भी ध्यान में रखा जाना चाहिए जो इन पक्षों के लिए विशेष हो सकती हैं।
कोर्ट ने किया याचिका का निपटारा
कोर्ट ने केंद्र सरकार को यात्रा दस्तावेज जारी करने का अधिकार देते हुए याचिका का निपटारा कर दिया। साथ ही यह भी स्पष्ट किया कि बच्चों के भविष्य और भलाई के मुद्दे को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जानी चाहिए। गोल्डस्टीन की याचिका में यह आशंका जताई गई थी कि केंद्र सरकार अचानक कार्रवाई कर बच्चों को भारत से किसी अन्य देश भेज सकती है। हालांकि कोर्ट ने कहा कि मामला केवल दस्तावेजों और औपचारिकताओं तक सीमित है और सरकार को इसमें आवश्यक कदम उठाने की अनुमति है। इस फैसले के बाद अब नीना कुटिना और उसकी दोनों बेटियों के रूस लौटने का रास्ता साफ हो गया है।
कोर्ट ने क्या कहा
कोर्ट को बताया गया कि महिला और उसके बच्चे गोकर्णा के जंगलों में एक सुनसान गुफा में बिना किसी बुनियादी सुविधा के रह रहे थे। इस पर कोर्ट ने कहा कि जब मां और बच्चों को इस हालत में पाया गया तो उनकी पुनर्वास की जिम्मेदारी संबंधित अधिकारियों की है। इस संदर्भ में अदालत का यह मानना उचित और न्यायसंगत होगा कि बच्चों के सर्वोत्तम हित को प्राथमिकता दी जाए। अन्य परिस्थितियों को भी ध्यान में रखा जाना चाहिए जो इन पक्षों के लिए विशेष हो सकती हैं।
कोर्ट ने किया याचिका का निपटारा
कोर्ट ने केंद्र सरकार को यात्रा दस्तावेज जारी करने का अधिकार देते हुए याचिका का निपटारा कर दिया। साथ ही यह भी स्पष्ट किया कि बच्चों के भविष्य और भलाई के मुद्दे को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जानी चाहिए। गोल्डस्टीन की याचिका में यह आशंका जताई गई थी कि केंद्र सरकार अचानक कार्रवाई कर बच्चों को भारत से किसी अन्य देश भेज सकती है। हालांकि कोर्ट ने कहा कि मामला केवल दस्तावेजों और औपचारिकताओं तक सीमित है और सरकार को इसमें आवश्यक कदम उठाने की अनुमति है। इस फैसले के बाद अब नीना कुटिना और उसकी दोनों बेटियों के रूस लौटने का रास्ता साफ हो गया है।
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