अलवर: राजस्थान की सियासत में आज जबरदस्त हलचल मच गई है। मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा की अगुवाई वाली सरकार ने पूर्ववर्ती मुख्यमंत्री अशोक गहलोत सरकार द्वारा बनाए गए खैरथल-तिजारा जिले का नाम बदलने का ऐतिहासिक फैसला ले लिया है। अब यह जिला नए नाम भर्तृहरि नगर के नाम से जाना जाएगा। साथ ही जिला मुख्यालय को भिवाड़ी करने की मंजूरी भी दे दी गई है।
यह फैसला आते ही जहां एक तरफ समर्थकों में खुशी की लहर दौड़ पड़ी, वहीं दूसरी ओर कांग्रेस विधायक ने इस कदम पर सियासी तलवारें तान दी हैं। खासकर किशनगढ़बास से कांग्रेस विधायक दीपचंद खैरिया ने तो यहां तक कह डाला कि अगर मुख्यालय कहीं और बनाया तो सरकार के लोग गांव में घुस भी नहीं पाएंगे!
नाम बदला, खेल शुरू!
मीडिया रिपोर्टस के मुताबिक, राजस्व विभाग को सीएम भजनलाल शर्मा ने निर्देश दे दिए हैं कि जिले का नाम बदलकर भर्तृहरि नगर करने और जिला मुख्यालय भिवाड़ी बनाने का प्रस्ताव कैबिनेट में रखा जाए। वहां से मंजूरी के बाद यह मामला जाएगा विधानसभा में, फिर केंद्र के गृह मंत्रालय की अनुमति के बाद यह नाम आधिकारिक रूप से लागू होगा।
क्यों पड़ा नाम भर्तृहरि नगर?
इस फैसले के पीछे सांस्कृतिक वजह बताई गई है। केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि अलवर की यह भूमि महान तपस्वी बाबा भर्तृहरि नाथ की तपोभूमि रही है। इस निर्णय से धार्मिक और सांस्कृतिक पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा।
कांग्रेस विधायक का पलटवार: 'नीतियों की नहीं, नियत की बात है
वहीं, कांग्रेस विधायक दीपचंद खैरिया इस फैसले से खासे नाराज़ दिखे। उन्होंने सरकार पर नाम बदलने की प्रक्रिया पर तंज कसने के साथ जुबानी हमला बोलते हुए कहा— नाम बदलने में सरकार की नीयत क्या है, ये तो भगवान ही जानें। लेकिन अगर जिला मुख्यालय कहीं और बनाया गया तो जनता इसका जवाब सड़क पर देगी। और ये लोग गांवों में घुस नहीं पाएंगे!
अब आगे क्या? नाम बदलने की प्रक्रिया ऐसे होगी पूरी
राजस्व विभाग कैबिनेट में प्रस्ताव रखेगा। कैबिनेट की मंजूरी के बाद प्रस्ताव जाएगा विधानसभा में। विधानसभा से पास होने के बाद प्रस्ताव भेजा जाएगा केंद्रीय गृह मंत्रालय को। गृह मंत्रालय की मंजूरी के बाद जारी होगी अधिसूचना।
खैरथल-तिजारा की पृष्ठभूमि
अगस्त 2023 में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत सरकार ने इसे नया जिला घोषित किया था। पहले यह अलवर जिले का हिस्सा था। जिले में 5 उपखंड और 7 तहसीलें शामिल हैं—टपूकड़ा, तिजारा, किशनगढ़ बास, कोटकासिम और मुंडावर प्रमुख हैं। प्रशासनिक कामकाज में खैरथल को एक मिनी सचिवालय और बायोडायवर्सिटी पार्क से नवाज़ा जाएगा।
अब नाम पर राजनीति गरम
भर्तृहरि नगर का नाम भले ही श्रद्धा और इतिहास से जुड़ा हो, लेकिन सियासत में इसे नियत' बनाम नीतिकी लड़ाई के रूप में देखा जा रहा है। आने वाले दिनों में यह नामकरण भाजपा और कांग्रेस के बीच एक नया मुद्दा बनकर उभरेगा, ऐसी सियासत में चर्चा शुरू हो गई है। फिलहाल इतना तय है कि भर्तृहरि नगर नाम के साथ एक नया जिला और एक नई सियासी कहानी दस्तक दे चुकी है। अब देखना होगा—ये फैसला वोट बटोरता है या विवाद खड़ा करता है।
अभी ओर अन्य जिलों और कस्बों के नाम बदले जायेंगे
बताते चले कि राज्य की भजनलाल सरकार के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार ने पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की कांग्रेस सरकार ओर से अपने कार्यकाल में लागु की गई कई योजनाओं का नाम पहले बदल दिया है। नाम बदलने की प्रक्रिया में भजनलाल सरकार का एक ओर कदम हैं। सियासी चर्चा है कि यह पहले जिले से शुरूआत है अभी ओर अन्य जिलों और कस्बों के नाम बदले जायेंगे।
यह फैसला आते ही जहां एक तरफ समर्थकों में खुशी की लहर दौड़ पड़ी, वहीं दूसरी ओर कांग्रेस विधायक ने इस कदम पर सियासी तलवारें तान दी हैं। खासकर किशनगढ़बास से कांग्रेस विधायक दीपचंद खैरिया ने तो यहां तक कह डाला कि अगर मुख्यालय कहीं और बनाया तो सरकार के लोग गांव में घुस भी नहीं पाएंगे!
नाम बदला, खेल शुरू!
मीडिया रिपोर्टस के मुताबिक, राजस्व विभाग को सीएम भजनलाल शर्मा ने निर्देश दे दिए हैं कि जिले का नाम बदलकर भर्तृहरि नगर करने और जिला मुख्यालय भिवाड़ी बनाने का प्रस्ताव कैबिनेट में रखा जाए। वहां से मंजूरी के बाद यह मामला जाएगा विधानसभा में, फिर केंद्र के गृह मंत्रालय की अनुमति के बाद यह नाम आधिकारिक रूप से लागू होगा।
क्यों पड़ा नाम भर्तृहरि नगर?
इस फैसले के पीछे सांस्कृतिक वजह बताई गई है। केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि अलवर की यह भूमि महान तपस्वी बाबा भर्तृहरि नाथ की तपोभूमि रही है। इस निर्णय से धार्मिक और सांस्कृतिक पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा।
कांग्रेस विधायक का पलटवार: 'नीतियों की नहीं, नियत की बात है
वहीं, कांग्रेस विधायक दीपचंद खैरिया इस फैसले से खासे नाराज़ दिखे। उन्होंने सरकार पर नाम बदलने की प्रक्रिया पर तंज कसने के साथ जुबानी हमला बोलते हुए कहा— नाम बदलने में सरकार की नीयत क्या है, ये तो भगवान ही जानें। लेकिन अगर जिला मुख्यालय कहीं और बनाया गया तो जनता इसका जवाब सड़क पर देगी। और ये लोग गांवों में घुस नहीं पाएंगे!
अब आगे क्या? नाम बदलने की प्रक्रिया ऐसे होगी पूरी
राजस्व विभाग कैबिनेट में प्रस्ताव रखेगा। कैबिनेट की मंजूरी के बाद प्रस्ताव जाएगा विधानसभा में। विधानसभा से पास होने के बाद प्रस्ताव भेजा जाएगा केंद्रीय गृह मंत्रालय को। गृह मंत्रालय की मंजूरी के बाद जारी होगी अधिसूचना।
खैरथल-तिजारा की पृष्ठभूमि
अगस्त 2023 में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत सरकार ने इसे नया जिला घोषित किया था। पहले यह अलवर जिले का हिस्सा था। जिले में 5 उपखंड और 7 तहसीलें शामिल हैं—टपूकड़ा, तिजारा, किशनगढ़ बास, कोटकासिम और मुंडावर प्रमुख हैं। प्रशासनिक कामकाज में खैरथल को एक मिनी सचिवालय और बायोडायवर्सिटी पार्क से नवाज़ा जाएगा।
अब नाम पर राजनीति गरम
भर्तृहरि नगर का नाम भले ही श्रद्धा और इतिहास से जुड़ा हो, लेकिन सियासत में इसे नियत' बनाम नीतिकी लड़ाई के रूप में देखा जा रहा है। आने वाले दिनों में यह नामकरण भाजपा और कांग्रेस के बीच एक नया मुद्दा बनकर उभरेगा, ऐसी सियासत में चर्चा शुरू हो गई है। फिलहाल इतना तय है कि भर्तृहरि नगर नाम के साथ एक नया जिला और एक नई सियासी कहानी दस्तक दे चुकी है। अब देखना होगा—ये फैसला वोट बटोरता है या विवाद खड़ा करता है।
अभी ओर अन्य जिलों और कस्बों के नाम बदले जायेंगे
बताते चले कि राज्य की भजनलाल सरकार के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार ने पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की कांग्रेस सरकार ओर से अपने कार्यकाल में लागु की गई कई योजनाओं का नाम पहले बदल दिया है। नाम बदलने की प्रक्रिया में भजनलाल सरकार का एक ओर कदम हैं। सियासी चर्चा है कि यह पहले जिले से शुरूआत है अभी ओर अन्य जिलों और कस्बों के नाम बदले जायेंगे।
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