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क्या है आजम खान का हेट स्पीच केस, जिसमें रामपुर कोर्ट ने 6 साल बाद किया बरी, क्या अब लड़ पाएंगे चुनाव?

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रामपुर: उत्तर प्रदेश के रामपुर में एमपी-एमएलए कोर्ट ने समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता आजम खान को 2019 लोकसभा चुनाव के दौरान हेट स्पीच के आरोप में बरी कर दिया है। अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश अमित वीर सिंह ने निचली अदालत के फैसले को पलटते हुए कहा कि अभियोजन पक्ष अपने केस को साबित करने में नाकाम रहा। यह फैसला आजम खान के लिए बड़ी राहत है, हालांकि अन्य मामलों की वजह से वह अभी भी चुनाव नहीं लड़ पाएंगे।

ये है मामलादरअसल, यह मामला 2019 के लोकसभा चुनाव प्रचार के दौरान का है। 23 अप्रैल को रामपुर के मिलक थाना क्षेत्र के खटानागरिया गांव में आजम खान ने एक चुनावी सभा को संबोधित किया था। इस सभा में उन्होंने तत्कालीन रामपुर डीएम अन्जनेय कुमार सिंह, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और कांग्रेस उम्मीदवार संजय कपूर पर तीखी टिप्पणियां की थीं। अभियोजन पक्ष ने दावा किया कि आजम खान ने चुनाव आयोग को ‘भ्रष्ट’ बताते हुए मतदाताओं को ध्रुवीकरण के लिए उकसाया। यह भारतीय दंड संहिता की धारा 153ए (समूहों के बीच वैमनस्य फैलाना), 505 (सार्वजनिक शरारत के लिए बयान) और प्रतिनिधित्व ऑफ पीपल एक्ट की धारा 125 के तहत अपराध था।

केस दर्ज करायाअगले ही दिन, 24 अप्रैल 2019 को तत्कालीन एसडीएम ने सिविल लाइंस कोतवाली में आजम खान के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया। शिकायत में चुनाव आयोग की वीडियो मॉनिटरिंग टीम के इंचार्ज अनिल कुमार चौहान का जिक्र था, जिन्होंने सभा का वीडियो रिकॉर्ड किया था। मुकदमे में कहा गया कि आजम खान के बयानों से सामुदायिक तनाव बढ़ा और चुनावी माहौल बिगड़ा।

कोर्ट में पहुंचा मामला एमपी-एमएलए कोर्ट में मामला पहुंचा। अक्टूबर 2022 में निचली अदालत ने आजम खान को दोषी ठहराया और तीन साल की सजा सुनाई, जिसके चलते उनकी विधायकी रद्द हो गई थी। रामपुर सदर सीट पर उपचुनाव हुआ, जिसे भाजपा के आकाश सक्सेना ने जीता। आजम खान ने फैसले के खिलाफ अपील की, और दोनों पक्षों की बहस पिछले हफ्ते पूरी हो गई। आज कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए कहा कि निचली अदालत ने बयान के संदर्भ को न समझे बिना और सबूतों की ठीक से जांच किए बिना नतीजा निकाला, जो अवैध था। अभियोजन पक्ष के गवाहों ने भी दबाव में बयान देने की बात कबूली। आजम खान के वकील जुएर अहमद ने कहा कि यह न्याय की जीत है। भाषण चुनावी बहस का हिस्सा था, न कि हेट स्पीच।

चुनाव लड़ने के लिए अयोग्य बने रहेंगेकोर्ट ने कहा कि निचली अदालत ने बयान के संदर्भ को ठीक से नहीं समझा था। साथ ही, सबूतों की जांच भी ठीक से नहीं की गई थी, जिसके आधार पर फैसला सुनाया गया था। कोर्ट ने इस प्रक्रिया को अवैध करार दिया। आजम खान को इस मामले में एमपी-एमएलए कोर्ट द्वारा बरी कर दिया गया है। यह फैसला उनके लिए एक बड़ी राहत लेकर आया है। हालांकि, अन्य लंबित मामलों के कारण वह फिलहाल चुनाव लड़ने के लिए अयोग्य बने रहेंगे। यह निर्णय निचली अदालत के फैसले के खिलाफ अपील पर आया है।
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