अगली ख़बर
Newszop

अदालतों में गंदे वॉशरूम...सुप्रीम कोर्ट में सौंपी गई स्टेटस रिपोर्ट..किस ओर उंगली उठी

Send Push
नई दिल्ली: देश भर की अदालत परिसरों में गंदे वॉशरूम इसका इस्तेमाल करने वाले लोगों के मौलिक अधिकारों और उनकी गरिमा का उल्लंघन है। विभिन्न हाई कोर्ट की ओर से सुप्रीम कोर्ट में पेश की गई स्टेटस रिपोर्ट में जजों, वकीलों, याचिकाकर्ताओं और अदालत के स्टाफ को भी इससे पीड़ितों के रूप में शामिल किया गया है। सुप्रीम कोर्ट को बताया गया है कि बड़े शहरों में हाई कोर्ट के शौचालयों तक की जो स्थिति है, वह फंड के आवंटन, मेंटेनेंस कॉन्ट्रैक्ट लागू करने और जवाबदेही तय करने में व्यवस्था और प्रशासनिक नाकामी दिखाती है।

सुप्रीम कोर्ट में सौंपी गई स्टेटस रिपोर्ट
पीटीआई की एक रिपोर्ट के मुताबिक स्टेटस रिपोर्ट में सुप्रीम कोर्ट तक यह बात पहुंचाई गई है कि ज्यादातर कोर्ट थर्ड जेंडर को जेंडर न्यूट्रल वॉशरूम दिलवाने में नाकाम रहे हैं, जिससे उनके मौलिक अधिकारों और गरिमा को ठेस पहुंचती है। रिपोर्ट में सर्वोच्च अदालत को यह भी बताया गया है कि क्रेच और चाइल्ड केयर की सुविधाओं के अभाव में उन महिला वकीलों और कर्मचारियों के कार्यों पर नकारात्मक असर पड़ता है, जो मां हैं। इससे न्यायिक पेशे में लैंगिक समानता में एक रुकावट पैदा होती है।

रिपोर्ट में चुनौतियों को किया गया चिन्हित
इसमें निचले स्तर पर विकास पर सबसे ज्यादा जोर देते हुए कहा गया है कि निचली अदालतों में तो इन समस्याओं की और भी ज्यादा भरमार है। स्टेटस रिपोर्ट में स्थानीय जरूरत के हिसाब से विशेष बजट के आवंटन, सुचारू जल आपूर्ति, प्लंबिंग और रोजाना सफाई के लिए ठेके दिए जाने पर भी फोकस करने को कहा गया है। सुप्रीम कोर्ट से कहा गया है कि इन परिस्थितियों में न्यायिक अधिकारियों और स्टाफ का कार्य भी प्रभावित होता है और यह उनके स्वास्थ्य और दक्षता पर भी असर डालता है, साथ ही न्यायिक संस्था की गरिमा भी इससे गिरती है। वकील राजीब कलिता की ओर से दायर पीआईएल में इन समस्याओं की ओर ध्यान खींचा गया था।


सबके लिए शौचालय उपलब्ध कराने के निर्देश
इससे पहले 15 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट ने इसके संबंध में कुछ निर्देश जारी किए थे, जिसके तहत राज्य सरकारों केंद्र शासित प्रदेशों से कहा गया था कि सार्वजनिक शौचालयों की उपलब्धता इनकी महत्वपूर्ण ड्यूटी है और यह सुविधाएं सभी के लिए सुलभ हों, यह सुनिश्चित करना आवश्यक है। अपने निर्देशों में सुप्रीम कोर्ट ने देश भर के सभी हाई कोर्ट, राज्य सरकारों और केंद्र शासित प्रदेशों से यह सुनिश्चित करने को कहा है कि महिलाओं, पुरुषों, दिव्यांगजनों और ट्रांसजेंडर व्यक्तियों के लिए सभी कोर्ट परिसरों और ट्रिब्यूनलों में अलग-अलग शौचालय उपलब्ध करवाना सुनिश्चित करें।

न्यूजपॉईंट पसंद? अब ऐप डाउनलोड करें