सुब्रह्मण्यम वेदम उर्फ सुब्बू। 1983 में उनकी उम्र महज 22 साल थी, जब रूममेट के कत्ल के आरोप में उन्हें अमेरिका में जेल की सलाखों के पीछे ठूंस दिया गया। वो अपनी बेगुनाही के लिए लगातार गुहार लगाते रहे, लेकिन इंसाफ नहीं मिला। अपने करियर बनाने के सपने देख रहे सुब्बू की पूरी जवानी जेल की चारदीवारी में बीत गई। करीब 42 साल के बाद आखिर वो दिन आया, जिसका उन्होंने हर दिन इंतजार किया।
पिछले महीने अक्टूबर में आखिरकार उनकी बेगुनाही साबित हुई और उन्हें कत्ल के आरोप से बरी कर दिया गया। लेकिन परेशानियों ने सुब्रह्मण्यम का पीछा नहीं छोड़ा। अब अमेरिकी प्रशासन उन्हें वापस भारत भेजना चाहता है। अमेरिका के इमिग्रेशन एंड कस्टम एनफोर्समेंट ने अदालत में अपील दायर की। हालांकि दो अदालतों ने इस आदेश पर फिलहाल रोक लगा दी है। इस बीच आइए जानते हैं..सुब्रह्मण्यम वेदम की कहानी।
9 महीने की उम्र में अमेरिका में आएसुब्रह्मण्यम वेदम अब 64 साल के हो चुके हैं। उनका जन्म भारत में हुआ था, लेकिन जब उनकी उम्र महज 9 महीने थी, तब माता-पिता उन्हें अमेरिका ले आए थे। मतलब होश संभालने के बाद से उनके लिए अमेरिका ही घर है। अब सुब्बू का सवाल है कि आखिर भारत में जाकर वो क्या करें। उनका सबकुछ तो यहीं पर है। वह कानूनी रूप से अमेरिका के नागरिक हैं। उन्हें अभी लुईसियाना में एक सेंटर में रखा गया है, जहां एक हवाई जहाज उन्हें भारत पहुंचाने के लिए तैयार खड़ा है।
रूममेट की हत्या का आरोप लगाबात दिसंबर 1980 की है, जब सुब्रह्मण्यम की उम्र महज 22 साल थी। उन पर अपने ही साथी 19 साल के थॉमस किन्सर की हत्या का आरोप लगा। आरोप लगे कि सुब्बू ने .25 कैलिबर की पिस्टल से अपने रूममेट को मार डाला। हालांकि यह हथियार कभी बरामद नहीं हुआ। ठोस सबूत नहीं मिलने के बाद उन्हें उम्रकैद की सजा सुना दी गई।
2022 में आया नया मोड़
2022 में उनकी कहानी में एक नया मोड़ आया। एक एनजीओ ने उन्हें इंसाफ दिलाने की ठानी। नए सबूतों पर फिर से चर्चा हुई। इस साल अगस्त में फिर से मामले की सुनवाई हुई। इस बीच सुब्बू अमेरिका के इतिहास में पहले ऐसे शख्स बन गए, जिन्हें बिना कसूर के सबसे ज्यादा समय तक जेल में रहना पड़ा। 3 अक्टूबर, 2025 को आखिरकार उनकी रिहाई के आदेश जारी हुए।
रिहा होते ही हिरासत में लियासुब्रह्मण्यम की किस्मत में अभी भी आजाद हवा में सांस लेना नहीं लिखा था। जैसे ही वो जेल से बाहर आए, उन्हें फिर से हिरासत में ले लिया गया। वजह..जब वो 19 साल के थे तो एक गैर हिंसक ड्रग केस में दोषी करार दिए गए थे। उन पर LSD रखने और उन्हें बेचने की कोशिश करने का आरोप लगा। परिवार ने सफाई दी कि उस समय उसकी उम्र कम थी और एक भूल थी। हालांकि सुब्बू उम्रकैद की सजा काट रहे थे, इसलिए इस पर आगे कुछ नहीं हो सका। अब इमिग्रेशन विभाग उन्हें भारत वापस भेजना चाहता है, जहां उन्होंने अपनी जिंदगी के महज 9 महीने काटे।
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