रोमांटिक डिनर्स, फॉरेन ट्रिप्स, शॉपिंग, रोमांस के ढेरों पल। यह वो सपनीली उम्मीदें हैं जिनसे अक्सर पूरी मैरिड लाइफ को जोड़ के देखा जाता है। पर क्या असल में ऐसा ही होता है, नहीं। शादी में तनाव, लड़ाई और सोच विचार न मिलने जैसे लम्हे भी आते हैं, जिनका सामना करते हुए शादीशुदा जिंदगी कठिन लग सकती है।पर क्या यही कठिनाई शादियां टूटने का कारण भी बन जाती हैं? यह वो सवाल है जो आज के ‘सोशल मीडिया शो ऑफ’ वाले दौर में मन में उठ सकता है। ऐसे सवालों के जवाब देने का काम स्प्रिचुअल काउंसलर और सायक्लॉजिस्ट डॉ. मधु कोटिया ने किया है। शादी और उम्मीदों की डोर का कनेक्शन आप भी समझिए- जिंदगी की रफ्तार
आजकल जिंदगी की रफ्तार भले ही तेज होती जा रही हो लेकिन शादी की ड्यूरेशन कम होती ही दिख रही है। तलाक के बढ़ते मामले इस बात की गवाही देते हैं। डॉ. मधु की मानें तो कम्युनिकेशन की कमी और अपेक्षाएं रिश्ते में दिक्कतें पैदा करने की बड़ी वजहें हो सकते हैं। हमें खुद से एक सवाल जरूर पूछना चाहिए कि कहीं रिश्ते को फैंटेसी के सहारे चलाने की कोशिश तो नहीं की जा रही है। इसमें दुनिया की असल सच्चाइयों को जगह दी गई है या नहीं? बचपन की छविबचपन से ही हम टीवी, फिल्मों और अब सोशल मीडिया से रिश्ते के ऐसे स्वरुप को समझते हैं जिसमें रोमांस, मौज-मस्ती और दुनियाभर की संतुष्टि नजर आती है। रिश्ते का सामाजिक तानाबाना भी हम ऐसे ही बना लेते हैं। फिल्मों और दूसरे माध्यमों से हम यह भी तय कर लेते हैं कि हमको एक दिन सपनों का राजकुमार या राजकुमारी मिलेगी और फिर शादी के बाद जिंदगी खुशियों से भरपूर हो जाएगी। जबकि असल जिंदगी में प्यार को विश्वास, नियमित प्रयास और विकास के नजरिए से देखना होता है। कपल के बीच निराशाएक्सपर्ट मानती हैं कि पिछले कुछ सालों में उन्हें कई कपल काफी निराश नजर आए हैं। इसकी वजह अपेक्षाओं और असलियत के बीच की दूरी है। जब कल्पनाओं वाला जीवन नहीं मिलता है तो जोड़ों के बीच दरार सी आने लगती है। निराशा इसका ही नतीजा है। सबको लगता है कि उनका पार्टनर हर इमोशन, फाइनेंस, सोशल इन्टरेक्शन और स्प्रिचुएलिटी में भी बेहतरीन परफॉर्म करे। हमेशा ऐसा होना संभव नहीं है। इमोशनल फुलफिलमेंटहर किसी को लगता है कि उसका पार्टनर उन्हें पूरा करे। इसके चलते रिश्ते पर बहुत दबाव बनता जाता है। फिर रिश्ते में दरार भी आती जाती है। इमोशनल फुलफिलमेंट किसी के साथ नहीं बल्कि खुद अंदर से महसूस होता है। सोशल मीडिया ने इस अपेक्षा को और बढ़ा ही दिया है क्योंकि इसमें परफेक्ट रिलेशनशिप आ अलग ही रूप दिखाया जाता है। लैविश वैकेशन, रोमांस और ढेरों तरह के सपनीले लम्हे, आदर्श रिश्ते के तौर पर सोशल मीडिया पर परोस दिए जाते हैं। जबकि जिन जोड़ों की तस्वीरों और वीडियो में यह सब दिखाया जाता है वो भी आइडियल नहीं होते हैं बल्कि यह उनके एडिटेड वर्जन जैसा होता है। दो लोगों की पार्टनरशिपदो लोगों की पार्टनरशिप को दो परफेक्ट लोग सफल नहीं बनाते हैं बल्कि अलग लोग होते हुए, एक दूसरे के निर्णयों और परिस्थिति को स्वीकार करना ही इसे असफल होने से बचाता है। इस दौरान विश्वास, दोस्ती और मूल्यों का साझापन काम आते हैं और रिश्ते में प्यार बना रहता है। कमियों को पूरा करेंहेल्दी मैरिज के लिए जरूरी है कि आपस की कमियों को पूरा किया जाता रहे। इसके लिए प्यार को नए तरीके से समझना होगा। कुछ बातों पर ध्यान दीजिए-
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- स्वीकार्यता, हर परिस्थिति में यह सोच काम आती है
- असल प्यार में विकास सतत होता है
- प्यार सिर्फ अच्छे समय में नहीं बल्कि हर स्थिति में एक सा रहता है
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