देश के 1.92 करोड़ युवाओं के लिए 1 अगस्त से एक नई शुरुआत होने जा रही है। पहली बार नौकरी ज्वाइन करने पर केंद्र सरकार की ओर से अलग से 15000 रुपये तक का तोहफा मिलने जा रहा है। वो भी सैलरी से अलग। 1 अगस्त, 2025 से प्रधानमंत्री विकसित भारत रोजगार योजना लागू हो जाएगी। पहले इस योजना का नाम रोजगार से जुड़ी प्रोत्साहन ELI योजना (Employment Linked Incentive Scheme या ELI Scheme) था।
इस योजना के तहत जो युवा पहली बार EPFO में रजिस्टर कराएंगे, उन्हें सरकार की ओर से 15000 रुपये तक अलग से मिलेंगे। यही नहीं नौकरी देने वाले कंपनियों को भी प्रति कर्मचारी 3000 रुपये दिए जाएंगे। वो भी दो साल तक। अगर कंपनी मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर से जुड़ी है तो यह पैसा 4 साल तक मिलेगा। मतलब नौकरी करने वालों और नौकरी देने वालों दोनों की मौज होने वाली है। मगर सिर्फ एक गलती कंपनी और कर्मचारी दोनों को तगड़ा झटका दे सकती है। कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) ने इसे लेकर नए निर्देश जारी किए हैं।
कंपनियों को हर महीने करना होगा ये काम ईपीएफओ ने अपने निर्देश में कहा है कि 1 लाख तक वेतन (Gross Salary) पाने वाले कर्मचारियों को 15000 रुपये का वित्तीय प्रोत्साहन दिया जाएगा। हालांकि नियोक्ताओं (Employers) से आग्रह है कि वे हर महीने कर्मचारी की सही सैलरी दर्ज करें। इस योजना के तहत कर्मचारी की महीने की ग्रॉस सैलरी 1 लाख रुपये से ज्यादा नहीं होनी चाहिए। इसके लिए कंपनियों से कहा गया है कि वे सही ECR (Electronic Challan cum Return) जमा कराएं।
गलत जानकारी पर नहीं मिलेगा लाभ EPFO का साफ कहना है कि ईसीआर में वेतन की गलत जानकारी का मतलब पीएम विकसित भारत रोजगार योजना के लाभ वापस ले लिए जाएंगे। इससे न सिर्फ कंपनियों को बल्कि उसमें काम करने वाले कर्मचारियों को भी योजना का लाभ नहीं मिलेगा। मतलब ना कर्मचारी को सरकार से 15000 रुपये मिलेंगे और ना ही कंपनियों को प्रति कर्मचारी हर महीने 3000 रुपये मिलेंगे।
योजना के हैं 2 भाग
पीएम विकसित भारत रोजगार योजना के दो भाग हैं। पहला भाग कर्मचारियों से जुड़ा है। इसके मुताबिक पहली बार ईपीएफओ से जुड़ने वाले कर्मचारियों को सैलरी से अलग 15000 रुपये मिलेंगे। यह पैसा 2 किस्तों में आएगा। पहली किस्त का पैसा आने के लिए कर्मचारी को कम से कम 6 महीने तक नौकरी करनी होगी। इसके बाद ही पैसा मिलेगा। दूसरी किस्त 12 महीने पूरे होने पर मिलेगी।
दूसरा भाग कंपनियों से जुड़ा हुआ है। इसके तहत कर्मचारियों की नियुक्ति करने वाली कंपनियों को प्रति कर्मचारी हर महीने 3000 रुपये मिलेंगे। जिन कर्मचारियों की ग्रॉस सैलरी 1 लाख रुपये तक है, उनके लिए 2 साल तक यह पैसा मिलेगा। मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में 4 साल तक पैसा मिलेगा। हालांकि यह सिर्फ उन कर्मचारियों के लिए ही मिलेगा, जो कंपनी में कम से कम 6 महीने पूरे करेंगे।
इस योजना के तहत जो युवा पहली बार EPFO में रजिस्टर कराएंगे, उन्हें सरकार की ओर से 15000 रुपये तक अलग से मिलेंगे। यही नहीं नौकरी देने वाले कंपनियों को भी प्रति कर्मचारी 3000 रुपये दिए जाएंगे। वो भी दो साल तक। अगर कंपनी मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर से जुड़ी है तो यह पैसा 4 साल तक मिलेगा। मतलब नौकरी करने वालों और नौकरी देने वालों दोनों की मौज होने वाली है। मगर सिर्फ एक गलती कंपनी और कर्मचारी दोनों को तगड़ा झटका दे सकती है। कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) ने इसे लेकर नए निर्देश जारी किए हैं।
कंपनियों को हर महीने करना होगा ये काम ईपीएफओ ने अपने निर्देश में कहा है कि 1 लाख तक वेतन (Gross Salary) पाने वाले कर्मचारियों को 15000 रुपये का वित्तीय प्रोत्साहन दिया जाएगा। हालांकि नियोक्ताओं (Employers) से आग्रह है कि वे हर महीने कर्मचारी की सही सैलरी दर्ज करें। इस योजना के तहत कर्मचारी की महीने की ग्रॉस सैलरी 1 लाख रुपये से ज्यादा नहीं होनी चाहिए। इसके लिए कंपनियों से कहा गया है कि वे सही ECR (Electronic Challan cum Return) जमा कराएं।
प्रधानमंत्री विकसित भारत रोजगार योजना - विकसित भारत की ओर एक कदम!
— EPFO (@socialepfo) July 28, 2025
₹1 लाख तक वेतन पाने वाले कर्मचारियों को ₹15,000 तक का वित्तीय प्रोत्साहन।
नियोक्ताओं से आग्रह: हर माह कर्मचारियों का सही सकल वेतन दर्ज करें।#PMViksitBharatRozgarYojana #ELI4ViksitBharat #EPFO #ELIScheme… pic.twitter.com/olrdZJ0ide
गलत जानकारी पर नहीं मिलेगा लाभ EPFO का साफ कहना है कि ईसीआर में वेतन की गलत जानकारी का मतलब पीएम विकसित भारत रोजगार योजना के लाभ वापस ले लिए जाएंगे। इससे न सिर्फ कंपनियों को बल्कि उसमें काम करने वाले कर्मचारियों को भी योजना का लाभ नहीं मिलेगा। मतलब ना कर्मचारी को सरकार से 15000 रुपये मिलेंगे और ना ही कंपनियों को प्रति कर्मचारी हर महीने 3000 रुपये मिलेंगे।
योजना के हैं 2 भाग
पीएम विकसित भारत रोजगार योजना के दो भाग हैं। पहला भाग कर्मचारियों से जुड़ा है। इसके मुताबिक पहली बार ईपीएफओ से जुड़ने वाले कर्मचारियों को सैलरी से अलग 15000 रुपये मिलेंगे। यह पैसा 2 किस्तों में आएगा। पहली किस्त का पैसा आने के लिए कर्मचारी को कम से कम 6 महीने तक नौकरी करनी होगी। इसके बाद ही पैसा मिलेगा। दूसरी किस्त 12 महीने पूरे होने पर मिलेगी।
दूसरा भाग कंपनियों से जुड़ा हुआ है। इसके तहत कर्मचारियों की नियुक्ति करने वाली कंपनियों को प्रति कर्मचारी हर महीने 3000 रुपये मिलेंगे। जिन कर्मचारियों की ग्रॉस सैलरी 1 लाख रुपये तक है, उनके लिए 2 साल तक यह पैसा मिलेगा। मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में 4 साल तक पैसा मिलेगा। हालांकि यह सिर्फ उन कर्मचारियों के लिए ही मिलेगा, जो कंपनी में कम से कम 6 महीने पूरे करेंगे।
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