पटनाः बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के एग्जिट पोल के नतीजे सामने आने के बाद यह सवाल उठ रहा है कि क्या चुनावी रणनीतिकार से सक्रिय नेता बने प्रशांत किशोर (पीके) के ' जन सुराज ' अभियान और 'नए बिहार के विचार' को मतदाताओं ने सिरे से नकार दिया है?
सजन सुराज का प्रदर्शन उम्मीदों के अनुरूप नहीं
एग्जिट पोल के शुरुआती अनुमानों में, अधिकांश सर्वे एजेंसियों ने स्पष्ट रूप से एनडीए गठबंधन को बहुमत मिलते हुए दिखाया है, जबकि आरजेडी के नेतृत्व वाला महागठबंधन पिछड़ रहा है। इस माहौल में, प्रशांत किशोर की नई पार्टी जन सुराज का प्रदर्शन उम्मीदों के अनुरूप नहीं दिख रहा है।
पीके की पार्टी को मिला तीसरा स्थान
हालांकि, एक प्रमुख सर्वेक्षण एजेंसी सी-वोटर के अनुसार, जन सुराज पार्टी को 13.3 प्रतिशत मतों के साथ राज्य में तीसरा स्थान मिलने का अनुमान लगाया गया है।
एग्जिट पोल में जन सुराज को शून्य या बहुत कम सीटें
ये आंकड़ा दिखाता है कि मतदाताओं का एक छोटा लेकिन महत्वपूर्ण हिस्सा पीके के भ्रष्टाचार विरोधी और विकास-केंद्रित एजेंडे से प्रभावित हुआ है। हालांकि, वोट शेयर का यह प्रतिशत सीटों में बदलता नहीं दिख रहा है, क्योंकि अधिकांश एग्जिट पोल में जन सुराज को शून्य या बहुत कम सीटें मिलने का अनुमान है।
विचार को समर्थन, लेकिन वोट नहीं?
प्रशांत किशोर ने अपनी पूरी ऊर्जा बिहार में पैदल यात्रा, जन जागरूकता और सीधे लोगों से जुड़ने पर लगाई थी, ताकि वे पारंपरिक जातीय और धार्मिक राजनीति के बाहर एक तीसरा विकल्प खड़ा कर सकें।
एग्जिट पोल के नतीजे दर्शाते हैं कि उनके 'नए बिहार' के विचार को कुछ हद तक सार्वजनिक समर्थन तो मिला है, लेकिन तीसरे सबसे बड़े वोट शेयर के रूप में पीके की पार्टी के प्रदर्शन का आकलन किया गया है। यह प्रदर्शन पारंपरिक गठबंधनों को तोड़ने और सीटों में बदलने के लिए पर्याप्त नहीं था। ऐसा लगता है कि निर्णायक घड़ी में, मतदाताओं ने स्थिरता और स्थापित राजनीतिक ध्रुवों (एनडीए या महागठबंधन) पर भरोसा जताया, जिसके चलते पीके की पार्टी को सीटों के मामले में निराशा हाथ लगी।
सजन सुराज का प्रदर्शन उम्मीदों के अनुरूप नहीं
एग्जिट पोल के शुरुआती अनुमानों में, अधिकांश सर्वे एजेंसियों ने स्पष्ट रूप से एनडीए गठबंधन को बहुमत मिलते हुए दिखाया है, जबकि आरजेडी के नेतृत्व वाला महागठबंधन पिछड़ रहा है। इस माहौल में, प्रशांत किशोर की नई पार्टी जन सुराज का प्रदर्शन उम्मीदों के अनुरूप नहीं दिख रहा है।
पीके की पार्टी को मिला तीसरा स्थान
हालांकि, एक प्रमुख सर्वेक्षण एजेंसी सी-वोटर के अनुसार, जन सुराज पार्टी को 13.3 प्रतिशत मतों के साथ राज्य में तीसरा स्थान मिलने का अनुमान लगाया गया है।
एग्जिट पोल में जन सुराज को शून्य या बहुत कम सीटें
ये आंकड़ा दिखाता है कि मतदाताओं का एक छोटा लेकिन महत्वपूर्ण हिस्सा पीके के भ्रष्टाचार विरोधी और विकास-केंद्रित एजेंडे से प्रभावित हुआ है। हालांकि, वोट शेयर का यह प्रतिशत सीटों में बदलता नहीं दिख रहा है, क्योंकि अधिकांश एग्जिट पोल में जन सुराज को शून्य या बहुत कम सीटें मिलने का अनुमान है।
विचार को समर्थन, लेकिन वोट नहीं?
प्रशांत किशोर ने अपनी पूरी ऊर्जा बिहार में पैदल यात्रा, जन जागरूकता और सीधे लोगों से जुड़ने पर लगाई थी, ताकि वे पारंपरिक जातीय और धार्मिक राजनीति के बाहर एक तीसरा विकल्प खड़ा कर सकें।
एग्जिट पोल के नतीजे दर्शाते हैं कि उनके 'नए बिहार' के विचार को कुछ हद तक सार्वजनिक समर्थन तो मिला है, लेकिन तीसरे सबसे बड़े वोट शेयर के रूप में पीके की पार्टी के प्रदर्शन का आकलन किया गया है। यह प्रदर्शन पारंपरिक गठबंधनों को तोड़ने और सीटों में बदलने के लिए पर्याप्त नहीं था। ऐसा लगता है कि निर्णायक घड़ी में, मतदाताओं ने स्थिरता और स्थापित राजनीतिक ध्रुवों (एनडीए या महागठबंधन) पर भरोसा जताया, जिसके चलते पीके की पार्टी को सीटों के मामले में निराशा हाथ लगी।
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