रांचीः भारत निर्वाचन आयोग की ओर से सोमवार को कई राज्यों के लिए मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) का विस्तृत शेड्यूल जारी किए जाने की संभावना है। यह घोषणा आज शाम 4:15 बजे मुख्य चुनाव आयुक्त की प्रेस कॉन्फ्रेंस में की जा सकती है।
5 राज्यों में 1 नवंबर से शुरू
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, यह गहन पुनरीक्षण प्रक्रिया संभावित रूप से 1 नवंबर से शुरू हो सकती है। शुरुआती चरण में, यह कवायद मुख्य रूप से उन पांच राज्यों - असम, केरल, पुडुचेरी, तमिलनाडु और पश्चिम बंगाल - पर केंद्रित रहेगी, जहां 2026 में विधानसभा चुनाव होने हैं। जिन राज्यों में स्थानीय निकाय चुनाव जैसी विशेष परिस्थितियां चल रही हैं, उन्हें संभवतः इस चरण से बाहर रखा जाएगा।
झारखंड में एसआईआर की संभावना
माना जा रहा है कि झारखंड में भी यह एसआईआर प्रक्रिया लागू की जा सकती है। इसके पीछे मुख्य कारण भाजपा की ओर से राज्य में लगातार बांग्लादेशी घुसपैठ के आरोप लगाना है। विधानसभा और लोकसभा चुनावों के दौरान भी प्रधानमंत्री ने इस मुद्दे को प्रमुखता से उठाया था।
जेएमएम ने एसआईआर का किया विरोध
उधर, चुनाव आयोग द्वारा पूरे देश में विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) के पहले चरण की घोषणा करने पर जेएमएम नेता मनोज पांडे ने कहा कि सरकार का फैसला जन भावनाओं के अनुरूप नहीं हैं। हम एसआईआर का विरोध कर रहे हैं, हर स्तर पर विरोध करेंगे। अगर ये सरकार अपने फैसले पर रही और एसआईआर की घोषणा होती है तो हम इनके गैर भाजपा वोटर के नाम हटाने के मनसूबे पूरे नहीं होने देंगे। हमारे कार्यकर्ता हर बूथ पर तैनात रहकर बीएसओ पर नजर रखेंगे।
एसआईआर प्रक्रिया क्या है?
विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) एक सामान्य विशेष संक्षिप्त पुनरीक्षण (एसएसआर) से अलग प्रक्रिया है। एसएसआर में केवल नाम जोड़ने या हटाने पर ध्यान दिया जाता है, जबकि एसआईआर के तहत मतदाता सूची को पूरी तरह से नए सिरे से तैयार किया जाता है। इसके लिए हर पंजीकृत मतदाता को नया एनेमरेशन फॉर्म भरना अनिवार्य होता है।
पुनरीक्षण का कारण
चुनाव आयोग ने 24 जून के अपने आदेश में इस गहन पुनरीक्षण की आवश्यकता को समझाया था। आयोग ने कहा था कि पिछले दो दशकों में हुए तेजी से शहरीकरण, बड़े पैमाने पर स्थान परिवर्तन (पलायन) और नए पंजीकरण के कारण मतदाता सूची में व्यापक बदलाव आए हैं। इसके अलावा, कई मतदाता नई जगह नाम जुड़वाने के बाद पुरानी सूची से नाम नहीं हटाते, जिससे डुप्लीकेट एंट्री की समस्या बढ़ गई है। आयोग ने विदेशी नागरिकों के नाम सूची में शामिल होने की आशंका को भी एक महत्वपूर्ण कारण बताया था।
5 राज्यों में 1 नवंबर से शुरू
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, यह गहन पुनरीक्षण प्रक्रिया संभावित रूप से 1 नवंबर से शुरू हो सकती है। शुरुआती चरण में, यह कवायद मुख्य रूप से उन पांच राज्यों - असम, केरल, पुडुचेरी, तमिलनाडु और पश्चिम बंगाल - पर केंद्रित रहेगी, जहां 2026 में विधानसभा चुनाव होने हैं। जिन राज्यों में स्थानीय निकाय चुनाव जैसी विशेष परिस्थितियां चल रही हैं, उन्हें संभवतः इस चरण से बाहर रखा जाएगा।
झारखंड में एसआईआर की संभावना
माना जा रहा है कि झारखंड में भी यह एसआईआर प्रक्रिया लागू की जा सकती है। इसके पीछे मुख्य कारण भाजपा की ओर से राज्य में लगातार बांग्लादेशी घुसपैठ के आरोप लगाना है। विधानसभा और लोकसभा चुनावों के दौरान भी प्रधानमंत्री ने इस मुद्दे को प्रमुखता से उठाया था।
#WATCH रांची, झारखंड: चुनाव आयोग द्वारा पूरे देश में विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) के पहले चरण की घोषणा करने पर JMM नेता मनोज पांडे ने कहा, "सरकार का फैसला जन भावनाओं के अनुरूप नहीं हैं। हम SIR का विरोध कर रहे हैं, हर स्तर पर विरोध करेंगे। अगर ये सरकार अपने फैसले पर रही और SIR की… pic.twitter.com/ZX7V9HGpYC
— ANI_HindiNews (@AHindinews) October 27, 2025
जेएमएम ने एसआईआर का किया विरोध
उधर, चुनाव आयोग द्वारा पूरे देश में विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) के पहले चरण की घोषणा करने पर जेएमएम नेता मनोज पांडे ने कहा कि सरकार का फैसला जन भावनाओं के अनुरूप नहीं हैं। हम एसआईआर का विरोध कर रहे हैं, हर स्तर पर विरोध करेंगे। अगर ये सरकार अपने फैसले पर रही और एसआईआर की घोषणा होती है तो हम इनके गैर भाजपा वोटर के नाम हटाने के मनसूबे पूरे नहीं होने देंगे। हमारे कार्यकर्ता हर बूथ पर तैनात रहकर बीएसओ पर नजर रखेंगे।
एसआईआर प्रक्रिया क्या है?
विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) एक सामान्य विशेष संक्षिप्त पुनरीक्षण (एसएसआर) से अलग प्रक्रिया है। एसएसआर में केवल नाम जोड़ने या हटाने पर ध्यान दिया जाता है, जबकि एसआईआर के तहत मतदाता सूची को पूरी तरह से नए सिरे से तैयार किया जाता है। इसके लिए हर पंजीकृत मतदाता को नया एनेमरेशन फॉर्म भरना अनिवार्य होता है।
पुनरीक्षण का कारण
चुनाव आयोग ने 24 जून के अपने आदेश में इस गहन पुनरीक्षण की आवश्यकता को समझाया था। आयोग ने कहा था कि पिछले दो दशकों में हुए तेजी से शहरीकरण, बड़े पैमाने पर स्थान परिवर्तन (पलायन) और नए पंजीकरण के कारण मतदाता सूची में व्यापक बदलाव आए हैं। इसके अलावा, कई मतदाता नई जगह नाम जुड़वाने के बाद पुरानी सूची से नाम नहीं हटाते, जिससे डुप्लीकेट एंट्री की समस्या बढ़ गई है। आयोग ने विदेशी नागरिकों के नाम सूची में शामिल होने की आशंका को भी एक महत्वपूर्ण कारण बताया था।
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