नॉर्थ ईस्ट के प्रमुख राज्य असम में दुग्ध उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए राज्य सरकार ने रविवार को एक बड़ा ऐलान किया। मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने दुग्ध उत्पादकों को 5 रुपये प्रति लीटर के हिसाब से सब्सिडी देने की घोषणा की। इस योजना के तहत 601 डेयरी सहकारी समितियों के 20000 डेयरी किसानों को हर रोज 30 लीटर दूध तक सब्सिडी मिलेगी। यानी एक डेयरी किसान को हर रोज 150 रुपये की सब्सिडी सरकार की ओर से मिलेगी।
असम सरकार ने इसके लिए 10 करोड़ रुपये का बजट रखा है। लेकिन अगर बात उत्तर भारत की करें तो डेयरी किसानों को प्रोत्साहित करने और दुग्ध उत्पादन बढ़ाने के लिए यहां भी विभिन्न राज्यों में अलग-अलग योजनाएं चलाई जा रही हैं। उत्तराखंड में इस तरह की योजना काफी पहले से चल रही है, जिसके तहत हजारों डेयरी किसानों को सब्सिडी मिल रही है। असम ही नहीं मध्य प्रदेश भी उत्तराखंड सरकार के इस मॉडल को अपना चुका है।
उत्तराखंड में कितनी सब्सिडी उत्तराखंड में दुग्ध मूल्य प्रोत्साहन योजना (Milk Price Incentive Scheme) लागू है। इस योजना के अंतर्गत गुणवत्ता के तय मानकों के आधार पर सब्सिडी दी जाती है। अगर दूध की गुणवत्ता 8 SNF या उससे ज्यादा है, तो किसानों को 4 रुपये प्रति लीटर के हिसाब से सब्सिडी मिलती है। वहीं 7.50 से 7.99 SNF के बीच 3 रुपये प्रति लीटर के हिसाब से सब्सिडी मिलती है। यह योजना उन डेयरी किसानों के लिए है, जो सहकारी समितियों को दूध सप्लाई करते हैं। इस योजना से करीब 53000 किसानों को जोड़ा गया जबकि इसके लिए 444 करोड़ का बजट रखा गया।
कैसे मिलेगा किसानों को पैसा दुग्ध उत्पादकों को सहकारी समितियों के माध्यम से रजिस्ट्रेशन कराना होगा। हर रोज किसान जितना दूध समितियों में जमा कराएंगे, उसके हिसाब से सब्सिडी का पैसा सीधे उनके बैंक खाते में आ जाएगा। उत्तराखंड में इस योजना के अलावा गंगा गाय योजना और कामधेनु योजना जैसी स्कीम भी चल रही हैं। इन योजनाओं के तहत दूध उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए प्रति लीटर दूध पर सब्सिडी के साथ डेयरी शुरू करने के लिए 33 फीसदी तक सब्सिडी दी जाती है।
मध्य प्रदेश ने भी अपनाया मॉडल मध्य प्रदेश ने भी उत्तराखंड की 'दुग्ध मूल्य प्रोत्साहन योजना' की तर्ज पर पिछले साल फरवरी में स्कीम का ऐलान किया था। इस योजना के लिए 200 करोड़ रुपये का बजट रखा गया और 5 रुपये प्रति लीटर के हिसाब से सब्सिडी देने की बात कही गई। लेकिन वित्त विभाग से मंजूरी मिलने के बावजूद भी अभी तक यह योजना शुरू नहीं हो सकी है।
असम सरकार ने इसके लिए 10 करोड़ रुपये का बजट रखा है। लेकिन अगर बात उत्तर भारत की करें तो डेयरी किसानों को प्रोत्साहित करने और दुग्ध उत्पादन बढ़ाने के लिए यहां भी विभिन्न राज्यों में अलग-अलग योजनाएं चलाई जा रही हैं। उत्तराखंड में इस तरह की योजना काफी पहले से चल रही है, जिसके तहत हजारों डेयरी किसानों को सब्सिडी मिल रही है। असम ही नहीं मध्य प्रदेश भी उत्तराखंड सरकार के इस मॉडल को अपना चुका है।
उत्तराखंड में कितनी सब्सिडी उत्तराखंड में दुग्ध मूल्य प्रोत्साहन योजना (Milk Price Incentive Scheme) लागू है। इस योजना के अंतर्गत गुणवत्ता के तय मानकों के आधार पर सब्सिडी दी जाती है। अगर दूध की गुणवत्ता 8 SNF या उससे ज्यादा है, तो किसानों को 4 रुपये प्रति लीटर के हिसाब से सब्सिडी मिलती है। वहीं 7.50 से 7.99 SNF के बीच 3 रुपये प्रति लीटर के हिसाब से सब्सिडी मिलती है। यह योजना उन डेयरी किसानों के लिए है, जो सहकारी समितियों को दूध सप्लाई करते हैं। इस योजना से करीब 53000 किसानों को जोड़ा गया जबकि इसके लिए 444 करोड़ का बजट रखा गया।
कैसे मिलेगा किसानों को पैसा दुग्ध उत्पादकों को सहकारी समितियों के माध्यम से रजिस्ट्रेशन कराना होगा। हर रोज किसान जितना दूध समितियों में जमा कराएंगे, उसके हिसाब से सब्सिडी का पैसा सीधे उनके बैंक खाते में आ जाएगा। उत्तराखंड में इस योजना के अलावा गंगा गाय योजना और कामधेनु योजना जैसी स्कीम भी चल रही हैं। इन योजनाओं के तहत दूध उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए प्रति लीटर दूध पर सब्सिडी के साथ डेयरी शुरू करने के लिए 33 फीसदी तक सब्सिडी दी जाती है।
मध्य प्रदेश ने भी अपनाया मॉडल मध्य प्रदेश ने भी उत्तराखंड की 'दुग्ध मूल्य प्रोत्साहन योजना' की तर्ज पर पिछले साल फरवरी में स्कीम का ऐलान किया था। इस योजना के लिए 200 करोड़ रुपये का बजट रखा गया और 5 रुपये प्रति लीटर के हिसाब से सब्सिडी देने की बात कही गई। लेकिन वित्त विभाग से मंजूरी मिलने के बावजूद भी अभी तक यह योजना शुरू नहीं हो सकी है।
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