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गाजियाबाद नो फ्लाइंग जोन घोषित, ड्रोन उड़ाने पर लगा प्रतिबंध, पुलिस-प्रशासन की तैयारियों को जानिए

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गाजियाबाद: उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद में सभी प्रकार की स्थिति से निपटने की तैयारी की गई है। ऑपरेशन सिंदूर के तहत आतंकी ठिकानों पर अटैक के बाद भारत-पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव को देखते हुए जिले का पुलिस-प्रशासन हाई अलर्ट मोड में हैं। सुरक्षा की दृष्टि से पूरे जिले को नो फ्लाइंग जोन घोषित कर दिया गया है। ऐसे में किसी भी प्रकार के ड्रोन को उड़ने की अनुमति नहीं दी जाएगी। ऐसा करने वाले व्यक्ति के खिलाफ कड़ी कानूनी कार्रवाई की जाएगी। इसके अलावा अपर पुलिस आयुक्त आलोक प्रियदर्शी के नेतृत्व में पुलिस अधिकारियों ने चिह्नित किए गए 16 संवेदनशील क्षेत्रों का शुक्रवार को निरीक्षण कर वहां सुरक्षा व्यवस्था परखी और तैनात पुलिसकर्मियों को आवश्यक निर्देश दिए।गाजियाबाद के कई पूर्व सैनिक और कई संस्थाओं ने भी किसी भी आपात स्थिति से निपटने के खुद को तैयार कर लिया है। वहीं, कई संस्थाओं ने ब्लड डोनर की लिस्ट तैयार की है जो जरूरत पड़ने पर जरूरतमंदों को ब्लड डोनेट करने में मदद करेगी। स्वास्थ्य विभाग ने भी क्विक एक्शन टीम का गठन किया है। इसमें डॉक्टरों के साथ ही तकनीकी कर्मचारियों को भी शामिल किया गया है, जो जरूरत पड़ने पर एक्शन मोड में आ जाएंगे। अपर पुलिस आयुक्त ने दी जानकारीअपर पुलिस आयुक्त ने बताया कि पुलिस-प्रशासन सुरक्षा में किसी प्रकार की कमी नहीं छोड़ेगा। ऐसे में चिह्नित किए गए संवदेनशील क्षेत्रों हिंडन एयरबेस, रेलवे स्टेशन, बस अड्डों, मेट्रो, ऑर्डनेंस फैक्ट्री और नमो भारत समेत जहां अधिक लोगों की आवाजाही रहती है। वहां विशेष चौकसी बरती जा रही हैं। इन स्थानों पर तैनात पुलिसकर्मियों को लगातार सुरक्षा के संबंध में निर्देश जारी किए जा रहे हैं। वहीं, सभी थाना क्षेत्रों में पुलिस की गश्त भी तेज कर दी है। खुफिया तंत्र भी एक्टिव मोड में हैं। 200 पूर्व सैनिकों और युवाओं की टीमयुद्ध की स्थिति आने पर पूर्व सैनिक आम लोगों की मदद के लिए आगे आए हैं। वे पुलिस-प्रशासन के साथ मिलकर हर प्रकार की मदद करेंगे। राष्ट्रीय सैनिक संस्था के अध्यक्ष और 1971 के भारत-पाक युद्ध के दौरान लगातार 13 दिन वेस्टर्न कमांड में बॉर्डर पर तैनात रहे कर्नल टीपीएस त्यागी का कहना है कि कोई भी सैनिक हमेशा सैनिक ही रहता है। उसमें न केवल खुद देशभक्ति की भावना होती है, बल्कि वह आसपास के लोगों को भी प्रोत्साहित करता है। कर्नल त्यागी की संस्था ने जिले में पूर्व सैनिकों और युवाओं को मिलाकर 200 लोगों की स्पेशल टीम तैयार की है जो जरूरत पड़ने पर तुरंत पुलिस की सहायता को तैयार रहेगी। टीम को इस प्रकार से ट्रेंड किया गया है कि वह पुलिस-प्रशासन के साथ मिलकर कार्य करेगी। अगर जरूरत हुई तो टीम के लोग हथियार उठाने को भी तैयार रहेगी। क्विक रेस्पॉन्स टीम का गठनएमएमजी और संयुक्त अस्पताल में डॉक्टरों की तीन टीम 12-12 घंटे की शिफ्ट में तैनात रहेंगी। इस टीम में एक स्टाफ नर्स, एक फार्मासिस्ट और सभी जरूरी दवाएं मौजूद रहेंगी। आपातकाल में वॉर्ड में डॉक्टरों को 24 घंटे अलर्ट रहने के निर्देश दिए हैं। एमएमजी अस्पताल के सीएमएस डॉक्टर राकेश कुमार ने बताया कि क्विक रेस्पॉन्स टीम में अनुभवी डॉक्टरों की एक विशेष टीम बनाई गई है। इसके अलावा अस्पताल के वॉर्डों में आवश्यक उपकरणों और सुविधाओं को अपडेट किया जा रहा है। अस्पताल की इमरजेंसी में भी अलर्टअस्पताल की इमरजेंसी को भी अलर्ट किया गया है। एमएमजी अस्पताल में 8-8 घंटे की तीन शिफ्टों में कार्य चलता है। प्रत्येक शिफ्ट में दो डॉक्टर, एक फार्मासिस्ट, दो जीएनएम, दो वार्ड बॉय और एक सहायक की ड्यूटी लगाई जाती है। किसी भी आपातस्थिति में इनकी संख्या में भी वृद्धि की जाएगी। 24 घंटे में किसी को भी कभी भी बुलाया जा सकता है। अस्पताल में रक्त भंडारण, ऑक्सीजन सिलिंडरों की उपलब्धता, वेंटिलेटर आदि की समीक्षा कर उन्हें स्टैंडबाय मोड में रखा गया है। जिले के निजी अस्पतालों को भी स्टैंडबाय मोड पर रखा गया है।
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