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रोजाना 7000 कदम चलने से डिप्रेशन और डिमेंशिया का खतरा होता है कम, जानें इसके पीछे की साइंस

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डिप्रेशन और डिमेंशिया जैसी मानसिक बीमारियां आजकल तेज़ी से बढ़ रही हैं, खासकर शहरी जीवनशैली में। लेकिन क्या आप जानते हैं कि सिर्फ रोज़ाना 7000 कदम चलने की आदत से इन खतरनाक बीमारियों का जोखिम काफी हद तक घटाया जा सकता है? एक्सपर्ट्स और हालिया रिसर्च इस बात की पुष्टि कर रहे हैं।

चलने और मानसिक स्वास्थ्य का क्या है कनेक्शन?
ब्रेन ब्लड फ्लो बढ़ता है: नियमित चलने से दिमाग में रक्त प्रवाह बेहतर होता है, जिससे न्यूरॉन्स को ऑक्सीजन और पोषण मिलता है।

हॉर्मोनल बैलेंस होता है: चलने से एंडोर्फिन और सेरोटोनिन जैसे ‘हैप्पी हॉर्मोन’ रिलीज़ होते हैं, जो डिप्रेशन को कम करते हैं।

न्यूरो प्लास्टिसिटी बेहतर होती है: चलना मस्तिष्क की नई कनेक्शन बनाने की क्षमता को बढ़ाता है, जिससे डिमेंशिया का खतरा घटता है।

स्ट्रेस लेवल घटता है: वॉकिंग से Cortisol (स्ट्रेस हॉर्मोन) का लेवल कम होता है।

रिसर्च क्या कहती है?
एक अध्ययन के अनुसार, जो लोग रोजाना कम से कम 7000 कदम चलते हैं, उनमें डिमेंशिया और डिप्रेशन का खतरा 40–60% तक कम हो सकता है। यह खासतौर पर उन लोगों में अधिक असरदार है जो मिड एज (40–60) के बीच हैं।

कब और कैसे चलें?
सुबह की सैर: सुबह की ठंडी और साफ हवा में चलना दिमाग के लिए अधिक फायदेमंद होता है।

ब्रिस्क वॉक करें: तेज़ कदमों से चलना मस्तिष्क की उत्तेजना को बेहतर बनाता है।

फोन या वॉच में स्टेप काउंटर रखें: इससे आप रोज़ाना अपने स्टेप्स ट्रैक कर सकते हैं।

लिफ्ट छोड़ें, सीढ़ियां चुनें: दिनभर की एक्टिविटी में छोटे-छोटे बदलाव भी मददगार हो सकते हैं।

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