मोदी सरकार के जीएसटी में कमी कर जनता को भारी राहत देने के दावे की हकीकत तो यह भी है कि आम जनता पर यह बोझ भी इसी सरकार के द्वारा लादी गई थी। जीएसटी की मार जनता पर ऐसी पड़ी कि खाद, किताब, ट्रैक्टर, दवाई, पढ़ाई समेत करीब हर चीज महंगी हो गई। दूध-दही, आटा-अनाज, यहां तक कि बच्चों की पेन्सिल-किताबें, ऑक्सीजन, इंश्योरेंस और अस्पताल के खर्च जैसी रोज़मर्रा की चीज़ों भी जीएसटी के दायरे में रही, जिसका असर इनकी कीमतों पर भी खुब देखी गई। हालांकि अब राहत देकर इसे जनता के लिए एक बड़े तोहफे के तौर पर पेश किए जा रहा है। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने सरकार की इसी कोशिश पर सवाल उठाए हैं। उनका कहना है कि देश के इतिहास में पहली बार किसानों पर टैक्स लगाने वाली मोदी सरकार इसे कम कर ऐसा दिखा रही है जैसे कितना बड़ा काम किया हो।
कांग्रेस कर रही थी जीएसटी में बदलाव की मांगराज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने गुरुवार को ने अपने एक्स अकाउंट से किए पोस्ट में लिखा, “लगभग एक दशक से, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस, जीएसटी के सरलीकरण की माँग कर रही है। मोदी सरकार ने “वन नेशन, वन टैक्स” को "वन नेशन, 9 टैक्सेस" बना दिया था। जिसमें 0%, 5%, 12%, 18%, 28% के टैक्स स्लैब शामिल थे और 0.25%, 1.5%, 3% और 6% की विशेष दरें थीं।"
बीजेपी ने जीएसटी का किया था विरोधउन्होंने आगे लिखा, "कांग्रेस पार्टी ने अपने 2019 और 2024 के घोषणापत्रों में सरल और तर्कसंगत कर व्यवस्था के साथ जीएसटी 2.0 की मांग की थी। हमने जीएसटी के जटिल अनुपालन को भी सरल बनाने की मांग की थी, जिससे MSMEs और छोटे व्यवसाय बुरी तरह प्रभावित हुए थे।"
"28 फ़रवरी 2005 को कांग्रेस-यूपीए सरकार ने लोक सभा में जीएसटी की औपचारिक घोषणा की थी। 2011 में जब तत्कालीन वित्त मंत्री प्रणब मुख़र्जी जी जीएसटी बिल लेकर आए तब बीजेपी ने उसका विरोध किया था। जब मोदी जी मुख्यमंत्री थे, तब उन्होंने जीएसटी का घोर विरोध किया था। आज यही बीजेपी सरकार रिकॉर्ड जीएसटी कलेक्शन का जश्न मनाती है, जैसे कि आम जनता से टैक्स वसूलकर उसने कोई बहुत बड़ा काम किया हो।"
प्रियंका ने महंगाई तो राहुल ने जीएसटी बढ़ोत्तरी को लेकर बोला मोदी सरकार पर हमला, कहा- हो गया अच्छे दिनों का पर्दाफाश इतिहास में पहली बार किसानों पर लगा टैक्सकांग्रेस अध्यक्ष ने कहा, "देश के इतिहास में पहली बार किसानों पर टैक्स लगाया गया है। इस मोदी सरकार ने कृषि क्षेत्र की कम से कम 36 वस्तुओं पर जीएसटी थोपा था। दूध-दही, आटा-अनाज, यहाँ तक कि बच्चों की पेन्सिल-किताबें, ऑक्सीजन, इंश्योरेंस और अस्पताल के खर्च जैसी रोज़मर्रा की चीज़ों पर भी मोदी सरकार ने जीएसटी टैक्स थोपा। इसीलिए हमने बीजेपी के इस जीएसटी को "गब्बर सिंह टैक्स" का नाम दिया।"
बीजेपी सरकार ने GST को 'गब्बर सिंह टैक्स' बना दिया, जीएसटी 2.0 को अपनाकर लोगों को राहत दें मोदी: सुप्रिया श्रीनेत गरीबों और मध्यम वर्ग की जेब पर जीएसटी की मारउन्होंने लिखा, "कुल जीएसटी का दो-तिहाई यानी 64% हिस्सा गरीबों और मध्यम वर्ग की जेब से आता है, लेकिन अरबपतियों से केवल 3% जीएसटी वसूला जाता है, जबकि कॉरपोरेट टैक्स की दर 30% से घटाकर 22% कर दी गई है। पिछले 5 वर्षों में इनकम टैक्स वसूली में 240% की वृद्धि हुई और जीएसटी वसूली में 177% की बढ़ोतरी हुई। ये अच्छी बात है कि 8 वर्ष देर से ही सही जीएसटी पर मोदी सरकार की कुम्भकर्णीय नींद खुली और उन्होंने जागकर दर युक्तिकरण की बात की है।"
जीएसटी में होंगे केवल दो कर स्लैब, रोजमर्रा के सामान होंगे सस्ते, जानें किन चीजों के घटेंगे दाम? राज्यों को मुआवजा दिया जाएलगभग एक दशक से, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस, GST के सरलीकरण की माँग कर रही है।
— Mallikarjun Kharge (@kharge) September 4, 2025
मोदी सरकार ने “One Nation, One Tax” को "One Nation, 9 Taxes" बना दिया था।
जिसमें 0%, 5%, 12%, 18%, 28% के Tax Slabs शामिल थे और 0.25%, 1.5%, 3% व 6% की विशेष दरें थीं।
कांग्रेस पार्टी ने अपने…
खड़गे ने कहा कि सभी राज्यों को 2024-25 को आधार वर्ष मानकर 5 वर्षों की अवधि के लिए मुआवज़ा दिया जाए, क्योंकि दरों में कटौती से उनके राजस्व पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ना तय है।
उन्होंने कहा कि जीएसटी के जटिल अनुपालन को भी ख़त्म करना होगा, तभी सही मायने में MSMEs और छोटे उद्योगों को फायदा पहुँचेगा।
राहुल गांधी जीएसटी में बदलाव की मांग कर रहे थे। कांग्रेस ने इसे 'गब्बर सिंह टैक्स' नाम दिया था। जीएसटी की वजह से आम लोगों को पढ़ाई, दवाई से लेकर खेती और सिंचाई तक पर ज्यादा खर्च करना पड़ रहा था। 8 साल तक जनता की जेब ढीली करने के बाद आखिर मोदी सरकार ने इसमें कटौती करने की घोषणा की है। इस कटौती को बिहार चुनाव से जोड़कर भी देखा जा रहा है।
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