जयपुर। राजस्थान हाईकोर्ट ने लापता नाबालिगों की बरामदगी में नाकामी पर पुलिस प्रशासन को कड़ी फटकार लगाई है। कोर्ट ने जयपुर नॉर्थ, जयपुर वेस्ट, कोटपूतली-बहरोड़ और डीग जिलों के डीसीपी व एसपी को आदेश दिया है कि वे संबंधित थाने में रोजाना एक घंटा बैठकर इन मामलों की जांच की निगरानी करें। आदेश जस्टिस इन्द्रजीत सिंह और जस्टिस भुवन गोयल की खंडपीठ ने चार अलग-अलग बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिकाओं की सुनवाई के दौरान दिए।
पुलिस के दावे, अदालत की नाराज़गी
कोर्ट ने कहा कि पुलिस आयुक्त से लेकर डीजीपी तक को पहले ही तलब किया जा चुका है, लेकिन अब तक लापता नाबालिगों का कोई सुराग नहीं मिला। 7 अप्रैल को पूर्व डीजीपी ने कोर्ट में गंभीर प्रयास का आश्वासन दिया था, पर नतीजा शून्य रहा। कोर्ट ने नाराजगी जताई कि पुलिस सिर्फ मोबाइल लोकेशन के भरोसे चल रही है और जब टीम दूरस्थ इलाके में पहुंचती है, आरोपी पहले ही भाग चुका होता है।
मामले में पुलिस की नई ड्यूटी
—जयपुर नॉर्थ DCP: रोजाना रामगंज थाने में एक घंटा
—जयपुर वेस्ट DCP: रोजाना मुरलीपुरा थाने में एक घंटा
—कोटपूतली-बहरोड़ SP: रोजाना हरसोरा थाने में एक घंटा
—डीग SP: अपने जिले के संबंधित थाने में एक घंटा
लापता नाबालिगों के मामले
—हरसोरा, कोटपूतली-बहरोड़ — 15 वर्षीय लड़की, 29 मार्च 2022 से लापता।
—रामगंज, जयपुर — 16 वर्षीय किशोरी, 6 फरवरी 2024 से लापता।
—मुरलीपुरा, जयपुर — 14 वर्षीय बच्ची, अब तक कोई सुराग नहीं।
कोर्ट की टिप्पणी
हाईकोर्ट ने यह भी कहा कि नाबालिगों की बरामदगी में देरी केवल पुलिस की सुस्ती और तकनीकी निर्भरता के कारण हो रही है। समय पर और प्रभावी कार्रवाई न होने से पीड़ित परिवारों का भरोसा टूट रहा है।
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