बिहार में आगामी विधानसभा चुनावों से पहले मतदाता सूची के विशेष पुनरीक्षण अभियान (SIR) को लेकर राजनीतिक पारा चढ़ा हुआ है। जहां एक ओर विपक्ष इस प्रक्रिया पर सख्त ऐतराज जता रहा है, वहीं अब जेडीयू के अपने नेता भी खुले मंच से सवाल उठा रहे हैं। इसके साथ ही एनडीए की सहयोगी पार्टी, लोजपा (रामविलास) भी इस अभियान को लेकर आशंका जता रही है।
ऐसे में बीजेपी को सामने आकर सफाई देनी पड़ी है कि NDA में सबकुछ सामान्य है और मतदाता सूची पर उठ रहे सवालों को “भ्रम” बताया गया।
बीजेपी का पलटवार: 'विपक्ष घबरा गया है, NDA मजबूत है'
गुरुवार को बिहार बीजेपी के प्रवक्ता प्रभाकर मिश्रा ने कहा कि SIR को लेकर विपक्ष का विरोध दरअसल उनके छिपे हुए डर की निशानी है। उन्होंने तंज कसते हुए कहा, “जिन्होंने फर्जी वोटों के सहारे चुनावी नैया पार करने की आदत बना ली है, वे अब चुनाव आयोग की पारदर्शिता से घबरा रहे हैं।”
प्रभाकर मिश्रा ने JDU सांसद गिरिधारी यादव और विधायक संजीव सिंह के बयानों को "ग़लतफहमी" बताया और कहा कि पार्टी के वरिष्ठ नेता उन्हें सही जानकारी देंगे। उन्होंने जोर देकर कहा, “एनडीए पूरी तरह एकजुट है और यही एकजुटता चुनाव में भारी जीत दिलाएगी।”
लोजपा का संयमित रुख: 'चुनाव आयोग पर भरोसा रखें'
वहीं, चिराग पासवान की पार्टी लोजपा (रामविलास) ने भी अपनी स्थिति साफ करते हुए एक संतुलित बयान दिया है। पार्टी प्रवक्ता शशि भूषण प्रसाद ने कहा कि, “चुनाव आयोग एक संवैधानिक संस्था है और जब तक अंतिम सूची जारी नहीं होती, तब तक किसी निष्कर्ष पर पहुंचना जल्दबाज़ी होगी।”
उन्होंने कहा कि जेडीयू नेताओं की चिंता समझी जा सकती है, लेकिन अब सबको आयोग की प्रक्रिया का सम्मान करना चाहिए। अगर बाद में किसी असली मतदाता का नाम छूटता है, तो लोजपा भी उसके समर्थन में आवाज उठाएगी।
जेडीयू नेताओं के तीखे सवाल: ‘क्या मैं गलत सूची से सांसद बना?’
जेडीयू के विधायक संजीव सिंह ने चिंता जताई कि बाहर काम कर रहे प्रवासी मजदूरों के नाम मतदाता सूची से हट सकते हैं। उन्होंने कहा, “अगर कोई मजदूर 6 महीने की नौकरी में बंधा है और वह यहां नहीं है, तो उसका नाम कट सकता है — ये दुर्भाग्यपूर्ण है।”
वहीं सांसद गिरिधारी यादव ने दो टूक कहा, “अगर लोकसभा चुनाव की मतदाता सूची सही थी, तो अचानक कुछ ही महीनों में वही सूची विधानसभा चुनाव के लिए गलत कैसे हो सकती है? क्या इसका मतलब ये है कि मैं गलत सूची से सांसद चुना गया?”
निष्कर्ष: SIR बना सियासी तूफान
बिहार में SIR की प्रक्रिया अब राजनीतिक बहस का केंद्र बन चुकी है। जहां एक ओर विपक्ष इसे जनविरोधी कदम बता रहा है, वहीं NDA के भीतर से भी उठती आवाजें इस मामले को और गंभीर बना रही हैं। बीजेपी ने इसे विरोधियों की रणनीति बताया, जबकि लोजपा फिलहाल स्थिति को तटस्थ नज़रिए से देख रही है।
अगले कुछ हफ्तों में यह साफ होगा कि ये आवाजें केवल भ्रम हैं या वाकई NDA के भीतर भी सहमति की खाई गहराती जा रही है।
You may also like
(अपडेट) अमित शाह ने राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीति सम्मेलन का किया उद्घाटन
बाल वाटिका को बच्चों के बौद्धिक विकास और मनोरंजन के उद्देश्य से अपग्रेड किया गया: प्रतिभा जैन
वासुदेव शरण अग्रवाल : भारत के अनमोल रत्न, जिन्होंने भारतीय साहित्य और संस्कृति को नया दृष्टिकोण दिया
मुंबई इंटरनेशनल एयरपोर्ट को बम से उड़ाने की धमकी
100 ˏ साल से भी ज्यादा जिओगे, बस ये खास उपाय कर लो, पंडित प्रदीप मिश्रा का बड़ा दावा