Next Story
Newszop

ठाकरे बंधुओं की दोस्ती पर सवाल, BEST के टेस्ट में फेल होकर फडणवीस से मिले राज ठाकरे!

Send Push

महाराष्ट्र की राजनीति में एक बार फिर हलचल मच गई है। महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) प्रमुख राज ठाकरे ने गुरुवार को मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस से मुलाकात की। यह बैठक ऐसे समय पर हुई जब बेस्ट कर्मचारी सहकारी ऋण समिति के चुनाव में उद्धव ठाकरे की शिवसेना (UBT) और मनसे की संयुक्त कोशिश पूरी तरह नाकाम रही।

यह पहला मौका था जब दोनों दलों ने मिलकर कोई चुनाव लड़ा, लेकिन उनके साझा पैनल को एक भी सीट नहीं मिल सकी। इस हार के बाद स्थानीय निकाय चुनावों के लिए दोनों के बीच संभावित गठबंधन की चर्चा तो तेज हुई है, मगर आधिकारिक रूप से किसी ने भी इसकी पुष्टि नहीं की। कुछ समय पहले मराठी भाषा के एक कार्यक्रम में भी राज और उद्धव एक मंच पर नजर आए थे, जिससे राजनीतिक अटकलों को बल मिला था।


फडणवीस का कटाक्ष

बेस्ट चुनाव में हार के बाद मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने इस नतीजे को "ठाकरे ब्रांड की अस्वीकृति" करार दिया। उन्होंने कहा कि महज एक ऋण समिति के चुनाव को बड़े राजनीतिक अभियान का रूप देना गलत था। फडणवीस के अनुसार, उद्धव और राज ने इसे प्रतिष्ठा का मुद्दा बना दिया, लेकिन जनता ने साफ संदेश दे दिया कि उनकी कथित ताकत अब पहले जैसी नहीं रही।


उन्होंने संवाददाताओं से कहा, "यह चुनाव केवल एक सहकारी समिति का था, लेकिन ठाकरे भाइयों ने इसे बड़े-बड़े दावों के साथ राजनीति का मंच बना दिया। जनता ने उन दावों को नकार दिया और नतीजे इसका सबूत हैं।"

भाजपा की प्रतिक्रिया

भाजपा के मुख्य प्रवक्ता केशव उपाध्याय ने भी इस परिणाम पर टिप्पणी की। उन्होंने कहा कि ठाकरे परिवार का असर अब कमजोर होता जा रहा है। उपाध्याय के मुताबिक, उद्धव और राज ने मिलकर चुनावी माहौल गरमाने की कोशिश की और इसे अपनी आसान जीत के तौर पर पेश किया। लेकिन वास्तविकता यह रही कि शिवसेना (UBT) का वर्षों से चला आ रहा प्रभाव भी इस बार मनसे के साथ गठबंधन करने के बावजूद बेअसर साबित हुआ।

चुनावी तस्वीर

बेस्ट कर्मचारी क्रेडिट सोसाइटी के लिए शिवसेना (UBT) और मनसे ने मिलकर "उत्कर्ष" नाम का पैनल उतारा था। इसमें कुल 21 उम्मीदवार शामिल थे— जिनमें से 18 शिवसेना (UBT) से, 2 मनसे से और 1 अनुसूचित जाति/जनजाति संघ से था। नेताओं का कहना था कि भले ही मनसे का बेस्ट में बड़ा आधार न हो, लेकिन यह चुनाव दोनों दलों को स्थानीय निकाय चुनाव से पहले एक साथ काम करने का मौका देगा।

हालांकि, नतीजों ने यह साफ कर दिया कि ठाकरे बंधुओं की यह प्रयोगात्मक दोस्ती मतदाताओं को लुभाने में नाकाम रही। अब देखने वाली बात होगी कि आने वाले नगर निगम चुनावों में यह साझेदारी टिक पाएगी या राजनीतिक समीकरण फिर से बदल जाएंगे।

Loving Newspoint? Download the app now