New Delhi, 5 नवंबर . India में प्राचीन समय से ही दूध को संपूर्ण आहार और अमृततुल्य माना गया है. आयुर्वेद के अनुसार दूध सिर्फ पोषण का साधन नहीं, बल्कि औषधि भी है, बशर्ते इसे सही समय, सही मात्रा और सही तरीके से लिया जाए. दूध का रस मीठा, वीर्य शीतल और विपाक मधुर होता है. गुणों में यह भारी, चिकनाई युक्त और बलवर्धक माना गया है.
यह खासकर वात और पित्त दोष को शांत करता है और शरीर, मन और आत्मा तीनों को पोषण देता है.
दूध के कई लाभ हैं. यह मांसपेशियों को मजबूत बनाता है, शरीर की संरचना को बनाए रखता है और दिमाग की कार्यक्षमता बढ़ाने में मदद करता है. रात में गुनगुना दूध पीने से नींद बेहतर होती है. अदरक या त्रिकटु मिलाकर लिया गया दूध पाचन में सहायक होता है. दूध में मौजूद कैल्शियम और विटामिन-डी हड्डियों को मजबूत करते हैं. यह रक्त को शुद्ध करके त्वचा पर चमक लाता है और मानसिक-शारीरिक थकान में ऊर्जा प्रदान करता है.
दूध पीने का सही समय रात में माना गया है. सुबह खाली पेट दूध नहीं लेना चाहिए, खासकर अगर पाचन कमजोर हो. दूध के साथ खट्टे फल, नमक, मांसाहार, सोडा या दही जैसी चीजें नहीं मिलानी चाहिए क्योंकि इससे एलर्जी या त्वचा रोग जैसी समस्याएं हो सकती हैं.
दूध को हल्का गर्म करके ही पिएं. इसमें औषधियां मिलाकर पीने से और अधिक लाभ मिलता है. हल्दी वाला दूध रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है, अश्वगंधा दूध बल और वीर्य वर्धक है, त्रिफला दूध आंखों और त्वचा के लिए फायदेमंद है, दालचीनी दूध शुगर नियंत्रण में मदद करता है, केसर दूध त्वचा और प्रजनन शक्ति बढ़ाता है और जायफल दूध नींद के लिए अच्छा है. कब्ज में दूध में एक चम्मच घी मिलाकर रात में लेने से लाभ होता है. हमेशा दूध को उबालकर ही पिएं ताकि यह पचने में आसान हो और रोगजनक बैक्टीरिया नष्ट हो जाएं.
भोजन के तुरंत बाद दूध नहीं लेना चाहिए. डायबिटीज वाले लोग बिना शहद या मिश्री के लें. पाचन कमजोर हो तो हल्दी या त्रिकटु मिलाकर लें.
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पीआईएम/एबीएम
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