पटना, 21 जुलाई . बिहार आर्थिक अपराध इकाई (ईओयू) की विशेष टीम ने अंतरराष्ट्रीय साइबर फ्रॉड सिंडिकेट से जुड़े छह सदस्यों को गिरफ्तार किया है. यह अंतरराष्ट्रीय साइबर फ्रॉड सिंडिकेट सिम बॉक्स का संचालन करता था. जांच में यह बात सामने आई कि इस गिरोह ने एक समानांतर एक्सचेंज का संचालन किया था. साथ ही इन सिम बॉक्स की मदद से रोजाना 10 हजार से अधिक फर्जी कॉल किए जाते थे और इन कॉल की मदद से साइबर फ्रॉड किए जाते थे.
इसके तार कई देशों से जुड़े होने की भी बात बताई जा रही है. पुलिस के मुताबिक, इस गिरोह के मुख्य सरगना हर्षित कुमार (21) को सुपौल के गौसपुर से दबोचा गया है. इसके साथ इस गिरोह के पांच अन्य सदस्यों को भी गिरफ्तार किया गया है. बताया जा रहा है कि फर्जी तरीके से समानांतर एक्सचेंज की बदौलत फर्जी कॉल के जरिए अंतरराष्ट्रीय कॉल करके पिछले सिर्फ दो सप्ताह में ढाई करोड़ रुपये का नुकसान पहुंचाया गया है. जबकि जनवरी से अब तक दूरसंचार मंत्रालय को 60 करोड़ रुपये से अधिक का आर्थिक नुकसान हुआ है.
जानकारी के मुताबिक, हर्षित कुमार पिछले कुछ वर्षों में थाईलैंड, बैंकॉक समेत दर्जनभर देशों की यात्रा कर चुका है. इसका मोतिहारी में करोड़ों का मकान है. इसके मोतिहारी के एक बैंक खाते में 2.50 करोड़ रुपये जमा हैं, जिसे सील कर दिया गया है. इसके पास 12 से 14 करोड़ रुपये की चल एवं अचल संपत्ति का पता चला है. इसके पास अलग-अलग नामों से 30 से 35 बैंक खातों का पता चला है, जिनमें साइबर फ्रॉड की राशि का लेनदेन होता था. फिलहाल दूरसंचार विभाग अपनी स्तर से क्षति के नुकसान का आकलन करने में जुटा हुआ है. इस सिम बॉक्स की मदद से वह फेसबुक समेत अन्य सभी सोशल मीडिया प्लेटफार्म के माध्यम से चीन, वियतनाम, कंबोडिया समेत अन्य देशों के नागरिकों से संपर्क में था और इन्होंने एक टेलीग्राम ग्रुप भी बना रखा था. इन विदेशी सरगनाओं के साथ मिलकर वह साइबर ठगी का पूरा तंत्र चलाता था.
इस गिरोह के तार पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश, गोवा, कर्नाटक, दिल्ली, ओडिशा, झारखंड के अलावा संयुक्त अरब अमीरात, कंबोडिया, थाईलैंड, हांगकांग, चीन, वियतनाम, यूके और जर्मनी समेत अन्य स्थानों से जुड़े हुए हैं. पुलिस ने इस मामले में अब तक हर्षित के अलावा सीएससी संचालक मोहम्मद सुल्तान और चार प्वाइंट ऑफ सेल संचालकों को गिरफ्तार किया है. ईओयू की टीम ने पटना, मोतिहारी, सुपौल, वैशाली, रोहतास समेत अन्य जिलों में कई अभियुक्तों के 20 से 22 ठिकानों पर छापेमारी की गई.
ईओयू के स्तर से डीएसपी पंकज कुमार के नेतृत्व में गठित एसआईटी के स्तर से यह कार्रवाई की जा रही है. इन स्थानों पर छापेमारी के दौरान आठ सिम बॉक्स डिवाइस और सैकड़ों की संख्या में प्रमाणित, उपयोग किए और अनुपयोगी सिम कार्ड, कई बैंकों के पासबुक, एटीएम, क्रेडिट कार्ड समेत कई संवेदनशील दस्तावेज बरामद हुए हैं. हर्षित ने वियतनाम से चार और चीन से चार सिम बॉक्स उपकरण की खरीद की है. प्रारंभिक जांच में यह सामने आया कि सिम बॉक्स के माध्यम से 10 हजार से अधिक फर्जी कॉल एक दिन में ही किए जाते थे. इसकी मदद से कई तरह के साइबर अपराध किए जाते थे.
हर्षित झारखंड से सबसे ज्यादा अवैध तरीके से एक्टिवेट किए गए फर्जी सिम कार्ड को मंगवाता था. टेलीकॉम डिस्ट्रीब्यूटर्स आम लोगों की बायोमेट्रिक पहचान के आधार पर फर्जी सिम हासिल करते थे और वे इन्हें बेचते थे. इस पूरे गिरोह ने साइबर ठगी की बड़ी राशि को क्रिप्टो में तब्दील कर दिया था. इसी में वे आपस में लेनदेन करते थे. कई क्रिप्टो खातों और लेनदेन से जुड़े लिंक की जानकारी हासिल हुई है, जिसकी जांच चल रही है. ईओयू के एडीजी नैयर हसनैन खान ने बताया कि इस मामले की गहन तफ्तीश करने के लिए सीबीआई और आईबी की विशेष टीम भी जल्द पटना आने वाली है. उन्होंने बताया कि यह मामला कई राज्यों के अलावा विदेशों से जुड़ा हुआ है, तो ऐसे में राष्ट्रीय स्तर की एजेंसी के साथ मिलकर पूरे मामले की जांच की जाएगी. गिरोह के अन्य सदस्यों को जल्द ही गिरफ्तार कर लिया जाएगा. इनकी अवैध संपत्ति भी जब्त की जाएगी.
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एमएनपी/एएस
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