मुंबई, 30 मई . शिवसेना के प्रवक्ता कृष्णा हेगड़े ने शुक्रवार को राहुल गांधी और उद्धव ठाकरे की नेतृत्व क्षमता पर सवाल उठाए. उन्होंने उद्धव गुट की शिवसेना के दो प्रवक्ताओं संजय राउत और प्रियंका चतुर्वेदी के बीच मतभेद का जिक्र भी किया.
कांग्रेस नेता सलमान खुर्शीद सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल का हिस्सा हैं और विदेशों में आतंकवाद के खिलाफ भारत का पक्ष मजबूती से रख रहे हैं. कृष्णा हेगड़े ने खुर्शीद का जिक्र करते हुए समाचार एजेंसी से कहा, “उन्होंने राहुल गांधी के दोहरे रवैये को उजागर कर दिया है. खुर्शीद ने कहा कि कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाना सही कदम था, जबकि राहुल गांधी विदेशों में जाकर इसके खिलाफ बयान देते रहे हैं. यह कांग्रेस के अंदर तालमेल की कमी को दिखाता है. पार्टी के वरिष्ठ नेता राहुल गांधी के विचारों से सहमत नहीं हैं. यह दिखाता है कि कांग्रेस में आंतरिक मतभेद गहरे हैं और राहुल गांधी का नेतृत्व उनकी पार्टी के नेताओं को स्वीकार नहीं है.”
कृष्णा हेगड़े ने जयराम रमेश की उस बयान के लिए आलोचना की जिसमें उन्होंने भारतीय सांसदों की तुलना आतंकवादियों से की थी. हेगड़े ने कहा, “रमेश का बयान अत्यंत आपत्तिजनक और निंदनीय है. हमारे सांसद देश का मान होते हैं और वे भारत का पक्ष रखने के लिए दुनिया भर में जा रहे हैं. इनमें एनडीए, कांग्रेस, गठबंधन सहित सभी दलों के नेता शामिल हैं, जैसे शशि थरूर, सुप्रिया सुले, डॉ. श्रीकांत शिंदे और बैंजयंत जय पांडा. जयराम रमेश का यह बयान न केवल अपमानजनक है, बल्कि राष्ट्रविरोधी भी है, इसलिए कांग्रेस को देश से क्षमा मांगनी चाहिए.”
राहुल गांधी के बाद अब तेलंगाना के मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी ने भी पूछा है कि पाकिस्तान के साथ संघर्ष में कितने राफेल विमान नष्ट हुए. इस पर हेगड़े ने कहा, “कांग्रेस पार्टी लगातार ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के बाद हमारी सेना के कार्यों पर सवाल उठा रही है, जो बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है. जब भारतीय सेना के डायरेक्टर जनरल ऑफ मिलिट्री ऑपरेशंस ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में साफ कर दिया कि हमारे सभी पायलट सुरक्षित वापस लौटे हैं, तो कांग्रेस को इस पर सवाल नहीं उठाने चाहिए. रेवंत रेड्डी जैसे नेताओं को सेना के पराक्रम पर सवाल उठाने की बजाय, सेना पर गर्व करना चाहिए और देश से माफी मांगनी चाहिए.”
कृष्णा हेगड़े ने कहा, “संजय राउत ‘ऑपरेशन सिंदूर’ और भारतीय सेना के खिलाफ बोल रहे हैं. वहीं, उन्हीं की पार्टी की सांसद प्रियंका चतुर्वेदी अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर भारत का पक्ष रखने गई हैं. इससे साफ है कि शिवसेना (उद्धव गुट) में तालमेल की कमी है. पार्टी के भीतर मतभेद अब सार्वजनिक हो चुके हैं. इससे उद्धव ठाकरे की नेतृत्व क्षमता पर भी सवाल उठते हैं.”
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पीएके/एकेजे
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