मॉस्को, 5 अगस्त . रूस के सुदूर पूर्व में स्थित कामचटका प्रायद्वीप पर Tuesday को क्ल्युचेव्स्कॉय ज्वालामुखी से राख का गुबार निकलने लगा. यह राख समुद्र तल से करीब 7 किलोमीटर ऊंचाई तक पहुंच गया और दक्षिण-पूर्व दिशा में प्रशांत महासागर की ओर बढ़ने लगा. यह जानकारी स्थानीय अधिकारियों ने दी.
कामचटका में आपातकालीन स्थिति मंत्रालय की स्थानीय शाखा ने अपने टेलीग्राम चैनल पर बताया कि राख के बादल के रास्ते में कोई आबादी वाला इलाका नहीं है और कहीं भी राख गिरने की कोई घटना दर्ज नहीं की गई है. साथ ही, ज्वालामुखी के आसपास इस समय कोई भी पर्यटकों का समूह मौजूद नहीं है.
ज्वालामुखी को नारंगी विमानन चेतावनी स्तर में रखा गया है, जो यह दिखाता है कि राख निकलने की संभावना ज्यादा है और यह हवाई यातायात के लिए खतरा पैदा कर सकता है.
समाचार एजेंसी सिन्हुआ की रिपोर्ट के मुताबिक, Monday को ज्वालामुखी की गतिविधि तेज हो गई, जब रूसी विज्ञान अकादमी की जिओफिजिकल सर्विस की कामचटका शाखा ने क्ल्युचेव्स्कॉय ज्वालामुखी से चार अलग-अलग तरह के राख के गुबार उठते हुए रिकॉर्ड किए. इनमें से सबसे ऊंचा गुबार समुद्र तल से 9 किलोमीटर ऊपर तक पहुंचा.
अधिकारियों ने चेतावनी दी है कि इस क्षेत्र के कई सक्रिय ज्वालामुखियों से 6 से 10 किलोमीटर तक राख निकल सकती है, इसलिए उन्होंने निवासियों और पर्यटकों से इन ज्वालामुखियों के आसपास 10 किलोमीटर के दायरे में यात्रा करने से बचने को कहा है.
क्ल्युचेव्स्कॉय ज्वालामुखी समुद्र तल से 4,754 मीटर ऊंचा है और यह यूरेशिया का सबसे ऊंचा सक्रिय ज्वालामुखी है. यह उस्त-कामचत्स्की जिले में स्थित है.
ज्वालामुखी की यह गतिविधि 30 जुलाई को कामचटका में आए 8.8 तीव्रता के भूकंप के बाद शुरू हुई है. यह भूकंप 1952 के बाद इस क्षेत्र का सबसे तेज भूकंप था. भूकंप का असर उत्तरी कुरील द्वीप समूह तक महसूस किया गया, जिससे सुनामी की चेतावनी जारी की गई और सेवेरो-कुरीलस्क जिले में आपातकाल घोषित कर दिया गया.
रूसी विज्ञान अकादमी की सुदूर पूर्वी शाखा के ज्वालामुखी और भूकंप विज्ञान संस्थान के निदेशक एलेक्सी ओजेरोव ने टीएएसएस समाचार एजेंसी को बताया, “हमारे आंकड़ों के अनुसार, कामचटका में इतनी बड़ी ज्वालामुखी गतिविधि आखिरी बार 1737 में हुई थी, जब 9 तीव्रता का भूकंप आया था.”
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एसएचके/केआर
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