वृंदावन के प्रसिद्ध संत प्रेमानंद महाराज के एक बयान को लेकर विवाद खड़ा हो गया है। अपने हालिया प्रवचन में उन्होंने कहा कि “इस्लाम गंदे आचरण करना नहीं सिखाता” । उनके इस वक्तव्य को लेकर कुछ लोगों ने आपत्ति जताई है और इसे “लव जिहाद और धर्मांतरण को नैतिक समर्थन देने वाला बयान” बताया है।
क्या कहा प्रेमानंद महाराज ने?
प्रेमानंद महाराज के अनुसार, “इस्लाम मूल रूप से गलत कामों को बढ़ावा नहीं देता और उसमें भी अच्छे मूल्यों की शिक्षा दी जाती है।” उन्होंने यह बात धार्मिक सहिष्णुता और आपसी समझ के संदर्भ में कही थी।
विरोध और चिंताहालाँकि, उनके इस बयान पर कुछ हिंदू संगठनों और सोशल मीडिया यूज़र्स ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है। उनका कहना है कि:
“यदि कोई संत सार्वजनिक रूप से इस्लाम जैसे धर्म की प्रशंसा करता है, तो इसका गलत उपयोग धर्मांतरण कराने वाले लोग कर सकते हैं। यह उन हिंदू लड़कियों को भ्रमित कर सकता है जो लव जिहाद जैसी घटनाओं का शिकार होती हैं।”
एक यूज़र ने लिखा:
“हमारे संत-महात्मा इस्लाम को अच्छाई का सर्टिफिकेट क्यों देने लगते हैं? इससे विधर्मियों को बल मिलता है और हिंदू समाज में भ्रम फैलता है।”
समर्थन और आलोचना दोनों
प्रेमानंद महाराज के अनुयायियों ने उनके बयान का समर्थन करते हुए कहा कि उन्होंने किसी भी धर्म विशेष के खिलाफ नहीं बल्कि सद्भाव और मूल्यों की बात की है, जो सनातन परंपरा का हिस्सा है। वहीं, विरोध करने वालों का तर्क है कि ऐसे वक्तव्य बिना संदर्भ के कट-पेस्ट होकर गलत उद्देश्यों से उपयोग किए जा सकते हैं।
सोशल मीडिया पर छिड़ी बहसप्रेमानंद जी के बयान के बाद सोशल मीडिया पर दो वर्गों के बीच बहस तेज़ हो गई है –
- एक ओर वे लोग हैं जो इसे धर्मनिरपेक्षता और सहिष्णुता की मिसाल मानते हैं,
- तो दूसरी ओर वे लोग हैं जो इसे “धार्मिक भ्रम और खतरे” की चेतावनी बता रहे हैं।
You may also like
जीएसटी दरों में कटौती आज से लागू: क्या-क्या हुआ सस्ता
भारत-पाक मुकाबले में अनुशासन की सीख, गौतम गंभीर ने खिलाड़ियों को दिया अहम निर्देश
Asia Cup 2025: पाकिस्तानी खिलाड़ी ने दिखाई अपनी ओछी हरकत, अर्धशतक मार किया गन सेलिब्रेनशन, सुना दिया इंडियंस फैन्स ने
चीनी लड़ाकू विमान जे-35 पाकिस्तान के लिए एक लंबी चुनौती, 2030 तक भी मिलने की उम्मीद नहीं: दावा
RJD के गठबंधन से प्रियंका गांधी का मोतिहारी में राजनीतिक हमला, क्या बदलेगा चुनावी समीकरण