Khatu Shyam Ji: पिछले कुछ सालों में दिल्ली-एनसीआर की सड़कों पर कई कारों पर एक विशिष्ट प्रतीक – धनुष और तीन बाणों वाला स्टिकर – देखने को मिलने लगा है. यह साधारण दिखने वाला चिह्न एक गहरी आध्यात्मिक कहानी से जुड़ा है और यह चलन सीधे तौर पर खाटू श्याम जी के प्रति बढ़ती श्रद्धा को दर्शाता है. खाटू श्याम जी एक लोकप्रिय हिंदू देवता हैं, जिनका प्रसिद्ध मंदिर राजस्थान के सीकर जिले में स्थित है.
गाड़ियों पर बढ़ती स्टिकर की संख्या बताती है कि कैसे खाटू श्याम जी में आस्था की लहर राजस्थान की सीमाओं को पार कर गई है और विशेष रूप से उत्तर प्रदेश, हरियाणा और दिल्ली के निवासियों के बीच अपनी जड़ें जमा चुकी है. एक रिपोर्ट के मुताबिक यूट्यूब पर ‘खाटू श्याम जी का अचानक उदय’ शीर्षक वाला एक वीडियो दर्शकों को देवता से जुड़ी पौराणिक कथाओं, इतिहास और उस हालिया सोशल मीडिया प्रभाव से परिचित कराता है, जिसने इस पूजनीय व्यक्तित्व को राष्ट्रीय स्तर पर सुर्खियों में ला दिया है.
बर्बरीक की कथा
वीडियो की शुरुआत इसके साथ होती है कि, “गाड़ियों पर लगे ये तीन बाण वाले धनुष स्टिकर आपने बहुत देखे होंगे, लेकिन अब तक ये 10-15 साल पहले, ना तो किसी की गाड़ी पर ये स्टिकर थे और ना ही किसी के घर में खाटू श्याम जी की कोई मूर्ति थी. फिर वीडियो देवता की कहानी बताता हैं, “आप जानते हैं खाटू श्याम जी तीन बाण के धारी महाभारत के बर्बरीक हैं जिन्होंने अपना शीश दान किया था (खाटू श्याम जी वास्तव में महाभारत के बर्बरीक हैं जिन्होंने बलिदान में अपना सिर अर्पित किया था).” उनकी कहानी महाभारत या भागवत पुराण में नहीं बल्कि स्कंद पुराण के कौमारिका खंड में मिलती है.
श्रीकृष्ण ने काट दिया सिर
वीडियो में, वह वर्णन किया जाता है कि कैसे बर्बरीक भीम के पौत्र और घटोत्कच तथा राक्षसराज की पुत्री कामकटंकटा के पुत्र थे. अपार शक्ति से संपन्न बर्बरीक ने तपस्या की और दिव्य शक्तियां प्राप्त कीं. जब उनकी मुलाकात विजय नामक एक ऋषि से हुई, तो ऋषि ने उन्हें अपने अग्निकुंड से पवित्र भस्म भेंट की, जिससे उनके शत्रुओं की कमजोरियां उजागर हो सकती थीं. बर्बरीक ने उस भस्म को अपने खोखले धनुष में रखा और बाद में दावा किया कि वह एक मिनट में पूरी कौरव सेना को समाप्त कर सकते हैं. यह सुनकर श्रीकृष्ण ने सुदर्शन चक्र से उनका सिर काट दिया. उनके बलिदान के बाद देवता प्रकट हुए और बताया कि बर्बरीक कभी एक यक्ष था जिसे उनके अहंकार के कारण ब्रह्मा ने श्राप दिया था. तब कृष्ण ने बर्बरीक के सिर को आशीर्वाद दिया और कहा कि कलियुग में उन्हें खाटू श्याम जी के नाम से भक्तों की मनोकामना पूर्ण करने वाले देवता के रूप में पूजा जाएगा.
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