‘इस दुनिया में कोई घर ऐसा नहीं जिस पर कोई कलंक न हो। यहां कौन ऐसा है जो किसी रोग या दुख से मुक्त है। सुख सदा के लिए किसके पास रहता है?‘ ये अनमोल वचन आचार्य चाणक्य के हैं। उनके इस वाक्य से आप भी रिलेट कर सकते हैं।
सुख और दुख दोनों एक ही सिक्के के दो पहलु होते हैं। ये समय-समय पर आते-जाते रहते हैं। इस दुनिया में शायद ही कोई ऐसा शख्स होगा जिसने दुख का मुंह नहीं देखा है। आचार्य चाणक्य भी ये बात अच्छे से जानते थे।
आचरण से खत्म हो सकता है हर दुख
आचार्य चाणक्य का यह भी मानना था कि इंसान चाहे तो अपने आचरण में बदलाव कर हर तरह की परेशानियों को जिंदगी में आने से रोक सकता है। आचरण को सही रख दुख को काफी हद तक कम किया जा सकता है। इस संबंध में आचार्य ने अपने ग्रंथ चाणक्य नीति में विस्तार से बताया है। ये खबर आप हिमाचली खबर में पढ़ रहे हैं। । ऐसे में आज हम आपको आचार्य चाणक्य की कही 5 खास बातें बताने जा रहे हैं। यदि आप ने उनकी इन बातों को अच्छे से समझ लिया तो दुख आपके जीवन में आसानी से दस्तक नहीं दे पाएगा।
दुख को रोकती है आचार्य चाणक्य की ये 5 बातें
1. आचार्य चाणक्य के मुताबिक इंसान के कुल की इज्जत उसके आचरण से होती है। बोलचाल के द्वारा उसके देश की प्रतिष्ठा बढ़ती है। प्रेम से जिंदगी में मान-सम्मान में वृद्धि होती है। वहीं भोजन से शरीर का बल बढ़ता है। ऐसे में इंसान को इन सभी चीजों को हमेशा दिमाग में रखना चाहिए और इसके अनुसार ही अपने आचरण और व्यवहार में परिवर्तन लाना चाहिए।
2. आचार्य चाणक्य कहते हैं कि परोपकार और तप से आपको पुण्य तुरंत मिल जाता है। लेकिन यहां इस बात का ख्याल रखें कि यह दान किसी सुपात्र (योग्य या जरूरतमंद) को ही मिले। सुपात्र को किए दान से दूसरों का भी लाभ होता है। इस तरह का पुण्य आपके साथ लंबे समय तक रहता है। इसलिए जब भी दान करें तो किसी सुपात्र को ही करें।
3. आचार्य चाणक्य के अनुसार जो शख्स जन्म से अंधा है वह अपनी मजबूरी के चलते देख नहीं पाता है। लेकिन जो इंसान वासना के अधीन है, अहंकारी है, और पैसों के पीछे भागता है, वह खुद को ही अंधा बना लेता है। इस तरह के लोग जो भी कार्य करें उन्हें पाप दिखाई नहीं देता है। ऐसे में हमे खुद को इन भावों से बचाकर रखना चाहिए।
4. आचार्य चाणक्य कहते हैं कि यदि आप किसी लालची को संतुष्ट करना चाहते हैं तो उसे भेंट दें। कठोर व्यक्ति को संतुष्ट करने के लिए उसके हाथ जोड़ें। मूर्ख को संतुष्ट करना है तो उसे सम्मान दें। वहीं विद्वान को संतुष्ट करने के लिए हमेशा सच बोलें।
5. आचार्य चाणक्य की माने तो हाथों की शोभा गहनों से नहीं, दान देने से होती है। निर्मलता जल से नहाने से आती है, न कि चन्दन का लेप लगाने से। व्यक्ति भोजन खिलाने से नहीं, बल्कि सम्मान देने से संतुष्ट होता है। खुद को सजाने से बुद्धि नहीं मिलती, इसलिए आपको अध्यात्मिक ज्ञान को जगाना पड़ता है।
यदि आप ने आचार्य चाणक्य की ये 5 बातें गांठ बांध ली तो दुख आपके जीवन में प्रवेश नहीं कर पाएगा।
You may also like
आईपीएल 2025 : पंजाब किंग्स, दिल्ली कैपिटल्स के खिलाड़ियों और स्टाफ को विशेष ट्रेन से सुरक्षित स्थान पर भेजा गया
India-Pakistan Conflict: भारत-पाक युद्ध के बीच कांग्रेस का ऐतिहासिक कदम, आज शाम पार्टी करने वाली है ये अहम कार्य
आज भोपाल-इंदौर में बदला रहेगा मौसम, चलेगी आंधी
Weather News: अगले 5 दिनों तक कई राज्यों में बारिश और गरज के साथ बौछारें, NCR में ओलावृष्टि और बिजली गिरने की चेतावनी
7 दिन में लिवर को चमकाएं, लौकी और गिलोय जूस का कमाल!