रेयर-अर्थ मैग्नेट
चीन से रेयर अर्थ के आयात के लिए तीन भारतीय कंपनियों को पहली बार मंजूरी मिली है। रिपोर्टों के अनुसार, इन कंपनियों में कॉन्टिनेंटर इंडिया, हिटाची और जय उशिन शामिल हैं। इन कंपनियों को रेयर अर्थ मैग्नेट के आयात के लिए कुछ शर्तों के साथ लाइसेंस प्रदान किया गया है।
यह लाइसेंस इस शर्त पर जारी किया गया है कि इन संसाधनों का अमेरिका को निर्यात नहीं किया जाएगा और न ही इन्हें रक्षा उद्देश्यों के लिए उपयोग किया जाएगा। हाल के समय में चीन और अमेरिका के बीच तनाव का एक कारण चीन द्वारा रेयर अर्थ निर्यात नियमों में बदलाव भी है।
चीन का रेयर अर्थ पर वर्चस्व
चीन ने हाल ही में रेयर अर्थ मैग्नेट्स के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया है। अप्रैल 2025 से लागू हुए इन प्रतिबंधों ने वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला को गंभीर रूप से प्रभावित किया है। वास्तव में, चीन दुनिया के 80 प्रतिशत से अधिक रेयर अर्थ उत्पादन का नियंत्रण रखता है। रेयर अर्थ मैग्नेट का उपयोग इलेक्ट्रिक वाहनों, मोबाइल फोन, सैन्य उपकरणों और सौर पैनलों में किया जाता है।
सोसाइटी ऑफ इंडियन ऑटोमोबाइल मैन्युफैक्चरर्स (SIAM) के अनुसार, भारत की 52 कंपनियां चीन से रेयर अर्थ मैग्नेट्स का आयात करती हैं। वित्तीय वर्ष 2024-25 में भारत ने 870 टन रेयर अर्थ मैग्नेट्स के आयात पर लगभग ₹306 करोड़ खर्च किए।
भारत का रेयर अर्थ भंडार
भारत के पास दुनिया का लगभग 6% रेयर अर्थ भंडार है। इस वैश्विक निर्भरता को कम करने के लिए भारत एक विश्वसनीय विकल्प के रूप में उभर रहा है। हालांकि, वर्तमान में भारत का उत्पादन वैश्विक स्तर पर 1% से भी कम है, लेकिन यह स्थिति तेजी से बदलने की संभावना है।
केरल, तमिलनाडु, ओडिशा, आंध्र प्रदेश और गुजरात जैसे राज्यों में इन खनिजों का बड़ा भंडार है, जो भविष्य की संभावनाओं के द्वार खोलता है। चीन दुनिया के 80% रेयर अर्थ को शुद्ध करता है, जिसका अर्थ है कि खनन किसी भी देश में हो, उसे उपयोगी बनाने के लिए अधिकांश देश चीन पर निर्भर हैं।
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