शुक्रवार के दिन मां दुर्गा की पूजा करने से भक्तों को उनका आशीर्वाद प्राप्त होता है। इस दिन भक्त मंदिर जाकर मां दुर्गा की आराधना करते हैं और उनके मंत्रों का जाप करते हैं। लेकिन इस दिन मां दुर्गा की पूजा का विशेष महत्व है, जो एक प्राचीन कथा से जुड़ा हुआ है।
दुर्गा मां से जुड़ी कथा
एक समय धरती पर असुरों का आतंक बढ़ गया था, जिससे देवताओं और असुरों के बीच युद्ध छिड़ गया। देवता असुरों से शक्तिशाली थे, लेकिन असुरों के राजा गुरु शुक्राचार्य के पास एक ऐसा मंत्र था, जिससे वह मरे हुए असुरों को पुनर्जीवित कर सकते थे। इस कारण देवता असुरों को समाप्त करने में असमर्थ थे। देवताओं ने मां दुर्गा से सहायता मांगी और उनसे गुरु शुक्राचार्य की शक्तियों को समाप्त करने का अनुरोध किया।
मां दुर्गा ने देवताओं से वादा किया कि वह गुरु शुक्राचार्य की शक्तियों को समाप्त करेंगी। उन्होंने ऐसा किया और इसके बाद गुरु शुक्राचार्य असुरों को पुनर्जीवित नहीं कर सके।

गुरु शुक्राचार्य ने अपनी शक्तियों के खत्म होते देख भगवान शिव की तपस्या की। शिव जी ने उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर उनके मंत्र को पुनः प्रभावी बना दिया। लेकिन गुरु शुक्राचार्य को यह पता था कि मां दुर्गा फिर से उनके मंत्र का प्रभाव समाप्त कर देंगी। इसलिए उन्होंने हर शुक्रवार को मां दुर्गा की पूजा करने का निर्णय लिया। इस पूजा से मां दुर्गा प्रसन्न हुईं और तब से शुक्रवार का दिन मां दुर्गा को समर्पित हो गया। इस दिन पूजा करने से मां दुर्गा जल्दी प्रसन्न होती हैं और अपने भक्तों की रक्षा करती हैं।
शुक्रवार को अन्य देवियों की पूजा
मां दुर्गा के अलावा, शुक्रवार का दिन मां संतोषी और मां लक्ष्मी को भी समर्पित है। इस दिन इन दोनों देवियों की पूजा करने से घर में धन की कमी नहीं होती और मां भक्तों की रक्षा करती हैं।
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