शेयर मार्केट में शुक्रवार को ऊंचे लेवल से प्रॉफिट बुकिंग दिखाई दे रही है. सेंसेक्स और निफ्टी में ओपनिंग हालांकि फ्लैट रही लेकिन ओपनिंग बेल के बाद प्रॉफिट बुकिंग का दबाव बढ़ गया और निफ्टी ने 25290 का डे लो लेवल देखा. बैंकिंग और आईटी सेक्टर में बिकवाली देखी गई.
निफ्टी को इंडेक्स हैवीवेट स्टॉक एचडीएफसी बैंक, इंफोसिस, रिलायंस इंडस्ट्रीज़, भारती एयरटेल ने ड्रैग किया. इंफोसिस और एचडीएफसी बैंक जैसे स्टॉक तो एक-एक प्रतिशत तक गिर गए.
इस बीच मार्केट में वोलिटिलिटी इंडिकेटर INDIA VIX में गिरावट आई और वह 10 के करीब पहुंच गया. इंडिया विक्स बताता है कि मार्केट में कितनी वोलिटिलिटी है. आमतौर पर इंडिया विक्स 12 से 22 के बीच होता है लेकिन इसका 10 तक आ जाना मार्केट को सुस्त बना देता है. लो विक्स का असर ऑप्शन ट्रेडिग पर पड़ता है. लो विक्स में कभी भी स्पाइक आने का रिस्क बना रहता है.
क्या होता है INDIA VIXइंडिया VIX (India Volatility Index) भारतीय शेयर बाजार का एक महत्वपूर्ण इंडेक्स है, जिसे "फियर गेज" भी कहा जाता है याने बाज़ार में डर कितना है, यह इस इंडेक्स से मापा जाता है. INDIA VIX को यह नेशनल स्टॉक एक्सचेंज ने साल 2008 में इस उद्देश के साथ लॉन्च किया कि आम निवेशक बाज़ार के नेचर को समझ सकें.
यह बाजार में अगले 30 दिनों में अपेक्षित अस्थिरता (volatility) को मापता है. सरल शब्दों में यह बताता है कि निवेशक और ट्रेडर्स निफ्टी 50 इंडेक्स में कितने बड़े उतार-चढ़ाव की उम्मीद कर रहे हैं. यह निफ्टी ऑप्शंस के आर्डर बुक से निकाला जाता है, इसे स्टॉक प्राइस से नहीं निकाला जाता है. यह चालू और अगले सप्ताह के ऑप्शन प्रीमियम को प्रभावित करता है .बाज़ार में यह इंप्लाइड वोलेटिलिटी (IV) का असर समझने के लिए विक्स पर नज़र रखना ज़रूरी है.
लेकिन फिलहाल विक्स 10 से नीचे बना हुआ है जो बाजार में अति-आत्मविश्वास दिखा सकता है.लो विक्स में अक्सर बाज़ार के गिरने का खतरा रहता है. लो विक्स में अक्सर देखा गया है कि स्टॉक मार्केट की चाल धीमी लेकिन ऊपर की ओर होती है. इंट्राडे ट्रेडर्स को कम अवसर मिलते हैं, जबकि लॉन्ग-टर्म इन्वेस्टर्स को फायदा होता है.
लो VIX बाजार को सकारात्मक दिशा देता है, लेकिन ट्रेडर्स को सतर्क रहना चाहिए कि यह स्थिरता अस्थायी हो सकती है और कभी भी बाज़ार रिवर्सल ले सकता है.
लो VIX में ट्रेडर्स को कौन-सी स्ट्रैटेजी अपनानी चाहिए?लो VIX में बाजार स्थिर होता है, इसलिए ऑप्शंस प्रीमियम कम होते हैं. Volatility कम होने से ऑप्शंस की वैल्यू घटती है. लो विक्स वाले मार्केट में ट्रेडर्स को रिस्क कम रखते हुए ट्रेंड फॉलो करने वाली स्ट्रैटेजी अपनानी चाहिए. ट्रेडर्स ध्यान रखें ऐसे बाज़ार में अपने ट्रेड में लिवरेज कम रखें, क्योंकि अचानक स्पाइक का खतरा रहता है. अगर ट्रेड पोज़ीशनल है तो उसे प्रॉपर हेज करें.
लो विक्स में ऑप्शन सेलिंग में रिस्क बढ़ जाता है, क्योंकि ऑप्शन प्रीमियम कम होते हैं और ऑप्शन सेलिंग में स्पाइक आने से ऑप्शन प्रीमियम अचानक बढ़ सकते हैं, इसलिए जब विक्स 12 से नीचे हो तो ऑप्शन सेलिंग से बचना चाहिए.
निफ्टी को इंडेक्स हैवीवेट स्टॉक एचडीएफसी बैंक, इंफोसिस, रिलायंस इंडस्ट्रीज़, भारती एयरटेल ने ड्रैग किया. इंफोसिस और एचडीएफसी बैंक जैसे स्टॉक तो एक-एक प्रतिशत तक गिर गए.
इस बीच मार्केट में वोलिटिलिटी इंडिकेटर INDIA VIX में गिरावट आई और वह 10 के करीब पहुंच गया. इंडिया विक्स बताता है कि मार्केट में कितनी वोलिटिलिटी है. आमतौर पर इंडिया विक्स 12 से 22 के बीच होता है लेकिन इसका 10 तक आ जाना मार्केट को सुस्त बना देता है. लो विक्स का असर ऑप्शन ट्रेडिग पर पड़ता है. लो विक्स में कभी भी स्पाइक आने का रिस्क बना रहता है.
क्या होता है INDIA VIXइंडिया VIX (India Volatility Index) भारतीय शेयर बाजार का एक महत्वपूर्ण इंडेक्स है, जिसे "फियर गेज" भी कहा जाता है याने बाज़ार में डर कितना है, यह इस इंडेक्स से मापा जाता है. INDIA VIX को यह नेशनल स्टॉक एक्सचेंज ने साल 2008 में इस उद्देश के साथ लॉन्च किया कि आम निवेशक बाज़ार के नेचर को समझ सकें.
यह बाजार में अगले 30 दिनों में अपेक्षित अस्थिरता (volatility) को मापता है. सरल शब्दों में यह बताता है कि निवेशक और ट्रेडर्स निफ्टी 50 इंडेक्स में कितने बड़े उतार-चढ़ाव की उम्मीद कर रहे हैं. यह निफ्टी ऑप्शंस के आर्डर बुक से निकाला जाता है, इसे स्टॉक प्राइस से नहीं निकाला जाता है. यह चालू और अगले सप्ताह के ऑप्शन प्रीमियम को प्रभावित करता है .बाज़ार में यह इंप्लाइड वोलेटिलिटी (IV) का असर समझने के लिए विक्स पर नज़र रखना ज़रूरी है.
लेकिन फिलहाल विक्स 10 से नीचे बना हुआ है जो बाजार में अति-आत्मविश्वास दिखा सकता है.लो विक्स में अक्सर बाज़ार के गिरने का खतरा रहता है. लो विक्स में अक्सर देखा गया है कि स्टॉक मार्केट की चाल धीमी लेकिन ऊपर की ओर होती है. इंट्राडे ट्रेडर्स को कम अवसर मिलते हैं, जबकि लॉन्ग-टर्म इन्वेस्टर्स को फायदा होता है.
लो VIX बाजार को सकारात्मक दिशा देता है, लेकिन ट्रेडर्स को सतर्क रहना चाहिए कि यह स्थिरता अस्थायी हो सकती है और कभी भी बाज़ार रिवर्सल ले सकता है.
लो VIX में ट्रेडर्स को कौन-सी स्ट्रैटेजी अपनानी चाहिए?लो VIX में बाजार स्थिर होता है, इसलिए ऑप्शंस प्रीमियम कम होते हैं. Volatility कम होने से ऑप्शंस की वैल्यू घटती है. लो विक्स वाले मार्केट में ट्रेडर्स को रिस्क कम रखते हुए ट्रेंड फॉलो करने वाली स्ट्रैटेजी अपनानी चाहिए. ट्रेडर्स ध्यान रखें ऐसे बाज़ार में अपने ट्रेड में लिवरेज कम रखें, क्योंकि अचानक स्पाइक का खतरा रहता है. अगर ट्रेड पोज़ीशनल है तो उसे प्रॉपर हेज करें.
लो विक्स में ऑप्शन सेलिंग में रिस्क बढ़ जाता है, क्योंकि ऑप्शन प्रीमियम कम होते हैं और ऑप्शन सेलिंग में स्पाइक आने से ऑप्शन प्रीमियम अचानक बढ़ सकते हैं, इसलिए जब विक्स 12 से नीचे हो तो ऑप्शन सेलिंग से बचना चाहिए.
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