लंबे समय से चला आ रहा अमेरिका और चीन के बीच का ट्रेड वॉर आखिर थम गया है। दोनों देशों के बीच उच्च स्तरीय वार्ता के बाद अमेरिकी अधिकारियों ने ट्रेड डेफिसिट को कम करने के लिए एक डील की घोषणा की। यूएस-चीन ट्रेड वॉर के कारण कई देश परेशान थे। वैश्विक बाजारों पर मंदी का खतरा मंडरा रहा था। लेकिन अब दोनों देशों ने टैरिफ कम करने की घोषणा की है। जिससे वैश्विक बाजारों, खासकर अमेरिकी शेयर बाजारों में नई जान फूंक आ गई। चीन-अमेरिका ट्रेड वॉर के बारे में अमेरिका और चीन के बीच काफी समय से टैरिफ वॉर चल रही थी, जिसके कारण वैश्विक अर्थव्यवस्था काफी प्रभावित हुई। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने चीन पर 245% तक टैरिफ लगाने जैसे सख्त कदम उठाए। जिसके जवाब में चीन ने भी अमेरिकी उत्पादों पर 125% का टैरिफ लगाया। दोनों देशों के टैरिफ़ वॉर के कारण वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला तो प्रभावित हुई ही साथ ही कई देशों के शेयर बाजार भी डगमगा गए। लेकिन अब मई 2025 में जिनेवा में हुई दोनों देशों के अधिकारियों के बीच की वार्ता से यह तनाव कम हो रहा है। अमेरिकी शेयर बाजार में भारी उछाल अमेरिका और चीन के बीच कि टैरिफ वॉर खत्म होने के बाद अमेरिकी शेयर बाजार नई ऊंचाई पर पहुंच गया। डाउ जोन्स, नैस्डैक और S&P 500 जैसे प्रमुख सूचकांकों में भारी तेजी रिकॉर्ड हुई। वैश्विक मंदी का खतरा टला? निवेशकों का कहना है कि अमेरिका और चीन के बीच हो रही इस डील से न केवल व्यापार घाटा कम होगा, बल्कि वैश्विक मंदी का खतरा भी टलेगा। टेक्नोलॉजी सेक्टर के एप्पल, माइक्रोसॉफ्ट और एनवीडीया जैसे टैग दिग्गजों के शेयर्स में भी अमेरिका चीन की ट्रेड डील कि घोषणा के बाद से तेजी देखी गई। इसके अलावा वॉलमार्ट और अमेजॉन जैसे रिटेल शेयरों में भी वृद्धि देखी गई। अमेरिकी उपभोक्ताओं को राहत अमेरिका और चीन के बीच में ट्रेड वॉर खत्म होने के कारण अमेरिकी उपभोक्ताओं पर महंगाई का दबाव कम होगा। अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष यानी आईएमएफ का कहना है कि अमेरिका और चीन वैश्विक अर्थव्यवस्था का लगभग 43% हिस्सा है। ऐसे में इन दोनों शक्तिशाली देश के बीच की ट्रेड वॉर से दोनों देशों के विकास दर पर असर होता। जिससे वैश्विक मंदी की आशंका बढ़ रही थी। लेकिन अब जब दोनों देशों के बीच में ट्रेड डील की घोषणा हुई है तो ये चिंताएं काफी हद तक कम हो गई है। सतर्कता बरतने की सलाह दे रहे विशेषज्ञविशेषज्ञों का कहना है कि अमेरिका और चीन के बीच हुई ट्रेड डील से राहत तो मिली है, लेकिन अभी सतर्कता बरतनी चाहिए। क्योंकि ट्रंप प्रशासन ने यह भी संकेत दिए हैं कि वह अन्य देशों के साथ सख्त व्यापार नीति जारी रख सकते हैं। जिसे भविष्य में अस्थिरता की संभावना रहेगी। अमेरिका चीन की ट्रेड डील का भारत के लिए क्या मतलब?चीन-अमेरिका ट्रेड वॉर में राहत की खबर ने वैश्विक अर्थव्यवस्था और शेयर बाजारों को नई दिशा दी है। अमेरिकी शेयर बाजारों में उछाल और मंदी के खतरे में कमी ने निवेशकों का उत्साह बढ़ाया है। वहीं भारत पर अमेरिका चीन की ट्रेड डील का मिला-जुला प्रभाव देखने को मिल सकता है। संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट के अनुसार, ट्रेड वॉर के दौरान भारत के निर्यात में 3.5% की वृद्धि हुई थी। अब, टैरिफ में कमी से भारतीय टेक्सटाइल, फार्मास्युटिकल और टॉय सेक्टर को और अवसर मिल सकते हैं। वहीं दूसरी नजरिए से देखे तो अमेरिकी सरकार के द्वारा लगाए गए भारी टैरिफ के बाद कई कंपनियां भारत में प्रवेश की योजनाएं बना रही थी। लेकिन हाल ही में हुए इस फैसले का असर आगे दिखाई दे सकता है।
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