रूस से सस्ते तेल की खरीद को लेकर अमेरिका ने अब भारत और चीन के खिलाफ सख्त रुख अपनाना शुरू कर दिया है। हाल ही में जी-7 देशों के वित्त मंत्रियों की एक अहम बैठक में अमेरिका ने अपने सहयोगियों से अपील की कि भारत और चीन जैसे देशों पर टैरिफ लगाया जाए, जो रूस से तेल खरीद रहे हैं। अमेरिकी प्रशासन का दावा है कि इन दोनों देशों की ओर से की जा रही तेल खरीद से रूस को यूक्रेन युद्ध में आर्थिक मदद मिल रही है, जो अप्रत्यक्ष रूप से मास्को की युद्ध को बढ़ावा देता है।
अमेरिका का आरोप
वाशिंगटन का मानना है कि रूस से सस्ते दामों पर तेल खरीदने वाले देश मास्को के खिलाफ लगाए गए वैश्विक प्रतिबंधों को कमजोर कर रहे हैं। अमेरिकी वित्त मंत्री स्कॉट बेसेंट और व्यापार प्रतिनिधि जैमीसन ग्रीर ने एक संयुक्त बयान में कहा, "अगर हम पुतिन को आर्थिक रूप से कमजोर करना चाहते हैं, तो हमें वैश्विक स्तर पर एकीकृत और ठोस कदम उठाने होंगे।" उन्होंने यह भी कहा कि एकजुट प्रयासों से ही यूक्रेन में हो रहे नरसंहार को रोका जा सकता है।
भारत का पलटवारभारत ने अमेरिका के इस आरोप को सिरे से खारिज कर दिया है। विदेश मंत्रालय ने एक कड़े बयान में कहा, "भारत को निशाना बनाना अनुचित और अविवेकपूर्ण है। भारत, एक बड़ी अर्थव्यवस्था के रूप में, अपने राष्ट्रीय हितों और आर्थिक सुरक्षा की रक्षा के लिए सभी आवश्यक कदम उठाएगा।" भारत पहले भी स्पष्ट कर चुका है कि उसकी तेल खरीद पूरी तरह से कानूनी है और यह वैश्विक ऊर्जा बाजार की स्थिरता के लिए आवश्यक है।
ट्रंप की रणनीति
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप पहले ही भारत पर आयात शुल्क 25% तक बढ़ा चुके हैं, जिससे अब कुल टैरिफ 50% तक पहुंच चुका है। यह कदम भारत पर दबाव बनाने के उद्देश्य से उठाया गया है ताकि वह रूस से तेल खरीदना बंद करे। दिलचस्प बात यह है कि ट्रंप प्रशासन ने अब तक चीन पर इस मुद्दे को लेकर कोई नया शुल्क नहीं लगाया है, हालांकि दोनों देशों के बीच पहले से ही व्यापारिक तनाव बना हुआ है। ट्रंप पहले भी टैरिफ और प्रतिबंधों का उपयोग अपने "मेक अमेरिका ग्रेट अगेन (MAGA)" एजेंडे के तहत कर चुके हैं।
जी-7 बैठक में रूस पर और प्रतिबंधों की तैयारी
कनाडा के वित्त मंत्री फ्रांस्वा-फिलिप शैम्पेन की अध्यक्षता में हुई इस बैठक में रूस पर नए प्रतिबंधों की संभावना पर भी चर्चा हुई। बैठक में जब्त की गई रूसी संपत्तियों का उपयोग यूक्रेन की रक्षा में वित्तीय सहायता देने के लिए करने की योजना पर विचार हुआ। कनाडा ने एक बयान में कहा, "रूस पर दबाव बढ़ाने के लिए आर्थिक उपायों की एक विस्तृत श्रृंखला की समीक्षा की गई है, जिसमें आगे के प्रतिबंध और व्यापार उपाय जैसे टैरिफ भी शामिल हैं।"
अमेरिका की यह पहल संकेत देती है कि आने वाले दिनों में रूस के साथ व्यापार करने वाले देशों पर पश्चिमी देशों का दबाव और बढ़ सकता है। हालांकि भारत जैसे देश पहले ही साफ कर चुके हैं कि वे अपनी ऊर्जा जरूरतों और आर्थिक हितों के मद्देनज़र स्वतंत्र नीतियां अपनाते रहेंगे।
अमेरिका का आरोप
वाशिंगटन का मानना है कि रूस से सस्ते दामों पर तेल खरीदने वाले देश मास्को के खिलाफ लगाए गए वैश्विक प्रतिबंधों को कमजोर कर रहे हैं। अमेरिकी वित्त मंत्री स्कॉट बेसेंट और व्यापार प्रतिनिधि जैमीसन ग्रीर ने एक संयुक्त बयान में कहा, "अगर हम पुतिन को आर्थिक रूप से कमजोर करना चाहते हैं, तो हमें वैश्विक स्तर पर एकीकृत और ठोस कदम उठाने होंगे।" उन्होंने यह भी कहा कि एकजुट प्रयासों से ही यूक्रेन में हो रहे नरसंहार को रोका जा सकता है।
भारत का पलटवारभारत ने अमेरिका के इस आरोप को सिरे से खारिज कर दिया है। विदेश मंत्रालय ने एक कड़े बयान में कहा, "भारत को निशाना बनाना अनुचित और अविवेकपूर्ण है। भारत, एक बड़ी अर्थव्यवस्था के रूप में, अपने राष्ट्रीय हितों और आर्थिक सुरक्षा की रक्षा के लिए सभी आवश्यक कदम उठाएगा।" भारत पहले भी स्पष्ट कर चुका है कि उसकी तेल खरीद पूरी तरह से कानूनी है और यह वैश्विक ऊर्जा बाजार की स्थिरता के लिए आवश्यक है।
ट्रंप की रणनीति
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप पहले ही भारत पर आयात शुल्क 25% तक बढ़ा चुके हैं, जिससे अब कुल टैरिफ 50% तक पहुंच चुका है। यह कदम भारत पर दबाव बनाने के उद्देश्य से उठाया गया है ताकि वह रूस से तेल खरीदना बंद करे। दिलचस्प बात यह है कि ट्रंप प्रशासन ने अब तक चीन पर इस मुद्दे को लेकर कोई नया शुल्क नहीं लगाया है, हालांकि दोनों देशों के बीच पहले से ही व्यापारिक तनाव बना हुआ है। ट्रंप पहले भी टैरिफ और प्रतिबंधों का उपयोग अपने "मेक अमेरिका ग्रेट अगेन (MAGA)" एजेंडे के तहत कर चुके हैं।
जी-7 बैठक में रूस पर और प्रतिबंधों की तैयारी
कनाडा के वित्त मंत्री फ्रांस्वा-फिलिप शैम्पेन की अध्यक्षता में हुई इस बैठक में रूस पर नए प्रतिबंधों की संभावना पर भी चर्चा हुई। बैठक में जब्त की गई रूसी संपत्तियों का उपयोग यूक्रेन की रक्षा में वित्तीय सहायता देने के लिए करने की योजना पर विचार हुआ। कनाडा ने एक बयान में कहा, "रूस पर दबाव बढ़ाने के लिए आर्थिक उपायों की एक विस्तृत श्रृंखला की समीक्षा की गई है, जिसमें आगे के प्रतिबंध और व्यापार उपाय जैसे टैरिफ भी शामिल हैं।"
अमेरिका की यह पहल संकेत देती है कि आने वाले दिनों में रूस के साथ व्यापार करने वाले देशों पर पश्चिमी देशों का दबाव और बढ़ सकता है। हालांकि भारत जैसे देश पहले ही साफ कर चुके हैं कि वे अपनी ऊर्जा जरूरतों और आर्थिक हितों के मद्देनज़र स्वतंत्र नीतियां अपनाते रहेंगे।
You may also like
Madhya Pradesh Police Constable Recruitment 2025: Apply Now for 7500 Vacancies
SBI में प्रबंधक पदों के लिए आवेदन प्रक्रिया शुरू, जानें विवरण
MPPSC PCS 2024-25: Final Results Announced with Notable Achievements
Health Tips: हाई ब्लड प्रेशर आपके शरीर का कर सकता हैं नुकसान, हो सकती हैं ये समस्याएं
केरल में ये क्या हो रहा? बाघ-हाथियों को मारने के मूड में सरकार, नया कानून लाने की तैयारी