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जैसलमेर में पाकिस्तानी जासूस गिरफ्तार, फुटेज में समझें कैसे भारतीय सेना से जुड़ी जानकारी आईएसआई तक पहुंचा रहा था

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राजस्थान की खुफिया एजेंसी सीआईडी इंटेलिजेंस ने बड़ा खुलासा करते हुए पाकिस्तानी जासूस को गिरफ्तार किया है। आरोपी की पहचान हनीफ खान के रूप में हुई है, जो सीमावर्ती जैसलमेर जिले में रह रहा था। बताया जा रहा है कि हनीफ खान पैसों के लालच में पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई को भारतीय सेना से जुड़ी गोपनीय जानकारियां मुहैया करा रहा था।

सीआईडी इंटेलिजेंस के आईजी पुलिस डॉ. विष्णुकांत ने जानकारी देते हुए बताया कि प्रारंभिक जांच में यह स्पष्ट हुआ है कि हनीफ खान सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स के जरिए लगातार पाकिस्तानी एजेंट्स के संपर्क में था। वह सेना की गतिविधियों से जुड़ी जानकारियां साझा करता था और इसके बदले उसे आर्थिक लाभ मिलता था।

अधिकारियों के मुताबिक, आरोपी लंबे समय से संवेदनशील सूचनाओं को एकत्रित कर गुप्त रूप से भेज रहा था। उसके मोबाइल और इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों की जांच में कई अहम सबूत मिले हैं। सुरक्षा एजेंसियों को शक है कि उसने भारतीय सेना की मूवमेंट और बॉर्डर से जुड़ी अन्य जानकारी भी पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी तक पहुंचाई है।

सूत्रों के अनुसार, हनीफ खान आईएसआई से सीधे तौर पर नहीं बल्कि फर्जी सोशल मीडिया अकाउंट्स और वर्चुअल आईडी के जरिए संपर्क साधता था। शुरुआती चरण में उसे पैसों का लालच देकर फंसाया गया और धीरे-धीरे वह जासूसी गतिविधियों में शामिल हो गया।

सीआईडी अधिकारियों का कहना है कि मामले की गहन जांच की जा रही है। हनीफ खान से पूछताछ के दौरान कई और संपर्कों का खुलासा होने की संभावना है। एजेंसियां यह भी खंगाल रही हैं कि उसके नेटवर्क में और कितने लोग शामिल हैं तथा किन-किन स्थानों से जानकारी लीक की गई है।

इस गिरफ्तारी के बाद सीमा पर सुरक्षा व्यवस्था को और कड़ा कर दिया गया है। साथ ही, सेना और पुलिस ने संयुक्त रूप से अलर्ट जारी किया है। अधिकारियों ने स्पष्ट किया है कि देशविरोधी गतिविधियों में शामिल किसी भी व्यक्ति को बख्शा नहीं जाएगा और उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।

स्थानीय स्तर पर यह खबर फैलते ही लोगों में आक्रोश और चिंता दोनों देखने को मिली। सीमा से सटे गांवों के लोग अब और सतर्क हो गए हैं। सुरक्षा एजेंसियों ने आमजन से भी अपील की है कि किसी भी संदिग्ध गतिविधि की सूचना तुरंत पुलिस या प्रशासन को दें।

इस घटना ने एक बार फिर यह साबित कर दिया है कि दुश्मन देश भारत से गोपनीय जानकारी हासिल करने के लिए सोशल मीडिया जैसे साधनों का लगातार इस्तेमाल कर रहा है। विशेषज्ञों का मानना है कि ऐसे मामलों में जागरूकता और सतर्कता ही सबसे बड़ा हथियार है।

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