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Rajasthan Water Scam: टैंकर से पानी सप्लाई में हुआ घोटाला, सूचना छिपाने पर विभाग पर ठोका गया तगड़ा जुर्माना

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चूरू जिले के सुजानगढ़ जलदाय विभाग खंड में टैंकरों से की गई जलापूर्ति में न केवल अनियमितताएँ बरती गईं, बल्कि एक साल तक सच्चाई छिपाई गई। इस पर संज्ञान लेते हुए राजस्थान सूचना आयोग ने विभागीय कार्यप्रणाली को लापरवाह, निष्क्रिय और गैर-जिम्मेदाराना करार देते हुए जन सूचना अधिकारी पर दो हज़ार रुपये का जुर्माना लगाया है।

कार्यकर्ता ने मांगी थी जानकारी
आरटीआई कार्यकर्ता मनोज पारीक ने बताया कि मार्च 2024 में उन्होंने जन स्वास्थ्य एवं अभियांत्रिकी विभाग से आरटीआई के तहत इस संबंध में कई जानकारियाँ माँगी थीं। पारीक ने वर्ष 2022-23 से 2024-25 तक टैंकरों की जीपीएस ट्रिप रिपोर्ट, एमआईएस और डिजिटल मॉनिटरिंग, भुगतान प्रक्रिया और ठेकेदारों के विवरण सहित निविदा प्रक्रिया की जानकारी माँगी थी।इसके साथ ही, टैंकरों से जलापूर्ति व्यवस्था की स्वतंत्र जाँच, प्रत्येक टैंकर की जीपीएस और एमआईएस प्रविष्टि सार्वजनिक करने, एमआईएस को जनता के लिए उपलब्ध कराने, रिपोर्ट छिपाने और भ्रामक जानकारी देने वाले अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करने, जनप्रतिनिधियों की ट्रिप सत्यापन रिपोर्ट जनता के समक्ष प्रस्तुत करने और भौतिक सत्यापन करवाने की भी माँग की गई थी।

पानी में भी घोटाला

जानकारी के अनुसार, जलदाय विभाग द्वारा टैंकरों से पेयजल आपूर्ति में घोटाला किया गया और इसके पीछे सच्चाई छिपाते हुए भ्रामक जानकारी भी दी गई। राजस्थान में पेयजल आपूर्ति के लिए टैंकरों पर लाखों रुपये खर्च किए जा रहे हैं, लेकिन अब इस व्यवस्था की पारदर्शिता और ईमानदारी पर बड़ा सवाल खड़ा हो गया है। सुजानगढ़ के आरटीआई कार्यकर्ता मनोज पारीक द्वारा मांगी गई जानकारी को न केवल एक साल तक दबा कर रखा गया, बल्कि अधूरी और भ्रामक जानकारी भी दी गई। विभाग द्वारा एक साल तक कोई स्पष्ट और प्रामाणिक जानकारी नहीं दी गई और प्रथम व द्वितीय अपील पर भी कोई समाधान नहीं हुआ।

राजस्थान सूचना आयोग ने लिया संज्ञान
राजस्थान सूचना आयोग ने इस मामले का संज्ञान लिया और टैंकरों से जलापूर्ति में अनियमितताओं और आंकड़ों को छिपाने का खुलासा किया। आयोग ने जुर्माना तो लगाया ही, साथ ही विभागीय कार्रवाई की भी सिफारिश की। आयोग ने 9 जून के अपने आदेश में स्पष्ट किया कि विभाग ने आरटीआई अधिनियम के तहत गंभीर उल्लंघन किया है। आवेदक को दी गई जानकारी भी अव्यवस्थित थी, यह जानकारी देने के लिए नहीं, बल्कि भ्रमित करने और सच्चाई छिपाने के लिए थी।आयोग ने जलदाय विभाग, सुजानगढ़ के लोक सूचना अधिकारी पर दो हजार रुपये का जुर्माना लगाया और यह राशि 21 दिन के भीतर राज्य सूचना आयोग में जमा कराना अनिवार्य किया।आयोग ने विभाग के मुख्य अभियंता को निर्देश दिए कि लोक सूचना अधिकारी के खिलाफ विभागीय अनुशासनात्मक कार्रवाई पर विचार करें ताकि ऐसी पुनरावृत्ति न हो।

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